पीके की नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कोर्ट से मिली सशर्त जमानत
अबतक कई पार्टियों के लिए रहे किंगमेकर अब खुद किंग बनने के लिए मार रहे हाथ पैर
बिहार बंगाल सीमांत से अशोक झा: बंगाल की राजनीति के हीरो रहे पीके यानि प्रशांत किशोर इन दिनों अपनी पार्टी जनसुराज बनाकर इन दिनों बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। जनसुराज के मुखिया प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। प्रशांत किशोर की टीम ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जबरन उठाया है।जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को गिरफ्तार करने के बाद पटना पुलिस ने उन्हें सिविल कोर्ट में पेश किया। पेशी के बाद कोर्ट ने पीके को शर्तों के साथ जमानत दे दी है। प्रशांत किशोर उर्फ पीके को लेकर बिहार से लेकर बंगाल में हलचल है। बंगाल के लोगों में प्रशांत किशोर पीके के नाम से काफी मशहूर है। सीएम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए उनकी एजेंसी आईपैक लगातार पिछले साल तक काम कर रही थी। कहा जाता है कि पुलिस ने उन्हें थप्पड़ भी जड़ दिया जिसके बाद प्रशांत किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं और ये सवाल भी उठ रहे हैं कि कौन हैं प्रशांत किशोर जिन्होंने बिहार की राजनीति में हलचल मचा रखी है। तो आइये विस्तार से जानते हैं कि पीके के नाम से फेमस प्रशांत किशोर कौन हैं, उनका बैकग्राउंड क्या है और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं क्या हैं?प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति के रणनीतिकार और चुनावी प्रबंधन के विशेषज्ञ के तौर पर जाने पहचाने जाते हैं. उनका जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के बक्सर जिले में हुआ। उन्हें भारतीय राजनीति में चुनावी रणनीति और प्रचार अभियानों में नई सोच और तकनीकों के लिए जाना जाता है. तब चर्चा में आए जब लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। इस दौरान उनके कुछ नए चुनावी प्रचार का प्रयोग बेहद चर्चा में रहा था, जिसके बाद से वो धीरे-धीरे जय राजनीतिक पार्टियों से जुड़े और आखिरकार चुनावी रणनीतिकार से खुद की राजनीतिक पार्टी बनाते हुए सक्रिय राजनीतिज्ञ बन गए। अब तो वह चुनावी मैदान में भी अपनी पारी शुरू कर चुके हैं। प्रशांत किशोर किशोर फेमस होते गए:प्रशांत किशोर ने अपनी स्कूली शिक्षा बिहार से पूरी की और इसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में काम किया। प्रशांत किशोर ने 2011 में भारतीय राजनीति में कदम रखा। इस दौरान उन्होंने ‘चाय पे चर्चा’ और ‘3D रैली’ जैसे अभिनव चुनावी अभियानों का प्रयोग किया। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए रणनीति बनाकर चुनावी प्रबंधन में अपनी पहचान बनाई।
प्रशांत किशोर की महत्वाकांक्षाएं बढ़ीं: इसके बाद तो प्रशांत किशोर फेमस हो गए और उनकी महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ती गईं. I-PAC (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी नाम की संस्था जो 2015 में बना राजनीतिक पार्टियों के लिए काम कर चर्चा में रहे। वर्ष 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के लिए काम किया और महागठबंधन के लिए रणनीति बनाई। वहीं, वर्ष 2021 पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के लिए रणनीति बनाकर भी चर्चा में आए। जबकि आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के लिए रणनीति बनाकर पीके ने प्रचंड जीत की राह बनाई। छात्रों की मुखर आवाज बन रहे पीके :वर्ष 2022 में प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर से गांधी जयंती के अवसर पर शुरू किये ‘जन सुराज’ अभियान के तहत बिहार में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने का संकेत दिया था। बाद में राजनीतिक पार्टी बना चुनावी मैदान में उतर भी गए. इसके बाद वह कई मुद्दों के आधार पर बिहार की सियासत में पैर जमाने की कोशिश में लग गए हैं। लेकिन, इसी दौरान गांधी मैदान में आमरण अनशन के दौरान उन्हें पुलिस रात के अंधेरे में उठा ले गई। पुलिस का आरोप है कि बिना इजाजत वो गांधी मैदान में आमरण अनशन कर रहे थे। जिसके बाद से प्रशांत किशोर चर्चा में हैं।प्रशांत किशोर का सफर-गुजरात से आगाज: वर्ष 2011 में ‘वाइब्रेंट गुजरात’ की रूपरेखा प्रशांत किशोर ने ही तैयार की थी। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर को बीजेपी के प्रचार की जिम्मेदारी मिली और तब 182 में से 115 सीटें जीतकर नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर चुनकर आए थे। 2014 लोकसभा चुनाव:गुजरात विधानसभा चुनाव की सक्सेस स्टोरी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी का आधार तैयार किया. प्रशांत किशोर ने इस चुनाव में ‘चाय पर चर्चा’ और ‘थ्री-डी नरेंद्र मोदी’ जैसे कॉन्पेट के तहत अभिनव प्रयोग किये. बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत प्राप्त की। प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर बड़े ब्रैंड बने।2015 बिहार विधानसभा चुनाव: वर्ष 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन बना दिया। चुनाव प्रचार की रणनीति उन्होंने ही तैयार की और ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ का चर्चित नारा दिया। महागठबंधन को 243 में से 178 सीटों पर प्रचंड विजय प्राप्त हुई और एनडीए केवल 58 सीटों पर सिमट गया।
2017 पंजाब विधानसभा चुनाव: वर्ष 2017 में प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार कर 117 सीटों में से 77 सीटों पर जीत दिलवाई। इसके बाद तो उनका कद और बढ़ गया। इसके बाद कांग्रेस ने भी प्रशांत किशोर पर दांव खेला, लेकिन इस बार पीके सफल नहीं हो पाए। 2017 यूपी विधानसभा चुनाव: वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की रणनीति फेल रही और कांग्रेस पार्टी को बहुत बुरी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी 403 सीटों में से सिर्फ 47 सीटें ही जीत पाई। वहीं, इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 325 सीटें जीती। प्रशांत के करियर में पहला मौका था जब उनकी चुनावी रणनीति फेल रही थी। 2019 आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव: वर्ष 2019 में प्रशांत किशोर को आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के लिए चुनावी सलाहकार नियुक्त किया गया। वाईएसआर कांग्रेस के लिए पीके ने कैंपेन डिजाइन किए और जगन मोहन की पार्टी को 175 में से 151 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद प्रशांत किशोर का रुतबा और बढ़ गया।2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव: वर्ष 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रंशात किशोर ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाई। ‘लगे रहो केजरीवाल’ कैंपेन लॉन्च किया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर बहुत बड़ी जीत मिली और बीजेपी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: प्रशांत किशोर तमिलनाडु में एमके स्टालिन को चुनाव जितवाने के बाद ममता बनर्जी के साथ आ गए। पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने टीएमसी के लिए ‘खेला होबे’ का नारा दिया और ममता बनर्जी को बहुत बड़ी विजय प्राप्त हुई। पीके ने कहा था कि बीजेपी 99 पार नहीं करेगी और हुआ भी यही, बीजेपी 78 के आंकड़े पर सिमट गई। मूल रूप से बिहारी हैं प्रशांत किशोर: प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के रोहतास जिले के गांव कोनार से हैं. हालांकि बाद के दौर में उनका परिवार यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे बक्सर जिला में शिफ्ट हो गया था। उनके पिता पेशे से डॉक्टर थे. बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट के तौर पर करियर शुरू करने से पहले प्रशांत यूनिसेफ में जॉब करते थे और उन्हें इसकी ब्रांडिंग की जिम्मेदारी मिली थी. वो 8 सालों तक यूनाइटेड नेशंस से भी जुड़े रहे और अफ्रीका में यूएन के एक मिशन के चीफ भी रहे।