मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक्सपायर रिंगर लैक्टेट दिए जाने से महिला की मौत में पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा

सीआईडी कर रही मामले की जांच, कंपनी के 10 दवाओं पर लगाया गया प्रतिबंध

 

– स्वास्थ सेवाओं से लोगों की जिंदगी से हो रहे खिलवाड़ के लिए भाजपा ने मांगा सीएम ममता का त्यागपत्र स्वास्थ्य सचिव की गिरफ्तारी

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल में एक बार फिर स्वास्थ्य के नाम पर हो रही गड़बड़ी के खिलाफ विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है। बंगाल के मिदनापुर जिले में 10 जनवरी को एक सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक्सपायर रिंगर लैक्टेट दिए जाने से एक महिला की मौत हो गई थी। अब महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें उसकी मौत के पीछे मल्टी ऑर्गन फेलियर और सेप्टीसीमिया होने की वजहों का पता चला है।पश्चिम बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में ‘एक्सपायर’ हो चुके ‘इन्ट्रावीनस (आईवी) फ्लूड’ दिए जाने से एक महिला की मौत होने और तीन अन्य के गंभीर रूप से बीमार होने के मामले में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने स्त्री रोग विभाग में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों से पूछताछ की।विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम की गिरफ्तारी की मांग की है. भाजपा विधायक ने आरोप लगाया कि कमीशन लेने के चक्कर में मरीजों को नकली दवाइयां देकर उनकी जान ली जा रही है. भाजपा नेता ने ये बातें रविवार को हावड़ा में आयोजित एक रक्तदान शिविर में कहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल के डायरेक्टर का कालीघाट के साथ एक अलग संबंध है. वह इस घटना की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात की है. शुभेंदु ने यह भी आरोप लगाया कि नकली दवाइयों की सप्लाई में कई बड़े लोग शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अस्पताल में एक्सपायर्ड सेलाइन चढ़ाने से मामनी रुईदास नामक एक प्रसूता की मौत हुई थी, जबकि तीन प्रसूताओं की तबीयत बिगड़ गयी थी। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी महिला के शरीर में जहरीले तरल पदार्थ की मौजूदगी की बात कही गई है. इस बात ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पीड़िता को सलाइन के अलावा ऑक्सीटोसिन भी दिया गया था ताकि जहरीले तरल पदार्थ के असर को नियंत्रित रखा जा सके।इस मामले में पहले से ही दो जांच की जा रही हैं, पहली राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित समिति और दूसरी राज्य पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) कर रहा है।पिछले सप्ताह पश्चिम मिदनापुर जिले के उक्त सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पांच महिलाएं कथित तौर पर एक्सपायरी रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद बीमार पड़ गई थीं. इनमें से एक महिला की अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद अन्य चार महिलाओं को उसी अस्पताल की क्रिटिकल केयर यूनिट और इंटेंसिव केयर यूनिट में उपचार के लिए रखा गया. उनमें से तीन को उनकी चिकित्सा स्थिति में तेज गिरावट के बाद कोलकाता के सरकारी एस.एस.के.एम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा।इस घटना ने गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं, क्योंकि एक्सपायरी आरएल सलाइन कथित तौर पर पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल लिमिटेड से आई थी, जो कि पहले कर्नाटक सरकार और बाद में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई कंपनी थी।इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों-सह-उप-प्रधानाचार्यों और जिलों के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति किए गए कंपाउंड सोडियम लैक्टेट इंजेक्शन (आरएल) के मौजूदा स्टॉक को पूरी तरह से बंद कर दें।बाद में, राज्य सरकार ने राज्य में सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थाओं से उक्त कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई सभी दवाओं के स्टॉक को हटाने का भी निर्देश दिया।पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की सरकारी एजेंसी पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स द्वारा सप्लाई की जा रही 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक प्रसूता की मौत के बाद लिया गया है, जहां कथित रूप से इस एजेंसी द्वारा आपूर्ति किए गए रिंगर लैक्टेट सॉल्यूशन के इस्तेमाल के बाद गंभीर जटिलताएं सामने आई थीं।स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अब ये 14 दवाएं राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में इस्तेमाल नहीं की जा सकेंगी। जिन अस्पतालों में ये दवाएं पहले से मौजूद हैं, उन्हें तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया है।स्वास्थ्य विभाग के आदेश के अनुसार, इन 14 दवाओं में से पहली सात दवाओं की आपूर्ति अब दूसरी फार्मास्युटिकल कंपनियां करेंगी, जबकि शेष सात दवाओं को अस्पतालों को बाजार से खरीदना होगा। इसके लिए जरूरी फंड सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा।14 प्रतिबंधित दवाएं इस प्रकार है -मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में प्रसूता की मौत के बाद प्रतिबंधित की गई दवाओं में रिंगर लैक्टेट सॉल्यूशन, डेक्सट्रोज सॉल्यूशन, लिवोफ्लॉक्सासिन इन्फ्यूजन, पेरासिटामोल इन्फ्यूजन, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन, मैनिटोल इन्फ्यूजन, ऑफ्लॉक्सासिन इन्फ्यूजन, पेडियाट्रिक मेंटेनेंस इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन, रिंगर सॉल्यूशन, सोडियम क्लोराइड इरिगेशन सॉल्यूशन, सोडियम क्लोराइड 0.9% +डेक्सट्रोज 5% इंजेक्शन, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन 0.45% के साथ डेक्सट्रोज 5%, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन IP 0.9% नॉर्मल और डेक्सट्रोज इंजेक्शन 10% एमओएसएम/लीटर 650 मिली हाइपरटोनिक शामिल हैं।कर्नाटक सरकार ने भी की थी कार्रवाई : हाल ही में कर्नाटक सरकार ने भी पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स द्वारा सप्लाई की जा रही कुछ दवाओं पर रोक लगाई थी। कर्नाटक में पांच गर्भवती महिलाओं की मौत के बाद इस फार्मा कंपनी की दवाओं पर सवाल खड़े हुए थे। वहां की जांच में इस कंपनी की कुछ दवाओं की गुणवत्ता पर संदेह जताया गया था, जिसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने भी सतर्कता बरतते हुए यह बड़ा फैसला लिया है।स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले को सरकार की ओर से मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया एक एहतियाती कदम माना जा रहा है। फिलहाल, राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इन दवाओं की जगह नई दवाएं मंगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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