पहाड़ हो समतल भाजपा की बल्ले बल्ले, टीएमसी नहीं कर पा रही वोटों का ध्रुवीकरण

– एनडीए से नाता तोड़ने वाले विमल गुरुंग शतों के साथ भाजपा को दे सकते है समर्थन
पहाड़ के कई राजनीतिक दुकानों पर लगेंगे ताले
सिलीगुड़ी: बंगाल के 42 लोकसभा सीटों में दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर देश ही नहीं विदेश की भी नजर टिकी हुई है। इसका मुख्य कारण है कि देशभर के डेढ़ करोड़ गोरखा का संबंध देश के साथ विदेश से है। यहां भाजपा को चौथी बार जीत से रोकने के लिए टीएमसी ने स्थानीय व्यक्ति गोपाल लामा को भाजपा के खिलाफ उतारा है। जीटीए चेयरमैन अनीत थापा ने अपनी पार्टी का समर्थन उन्हें देकर जीत का भरोसा दिया है। इसी बीच दार्जिलिंग से हाम्रो पार्टी के अजय एडवर्ड ने कांग्रेस का समर्थन देकर मुनीश तमांग को उम्मीदवार उतारा है। तमांग दिल्ली के प्रोफेसर है और बाग्राकोर्ट के निवासी है। वही गोजमुमो चीफ विमल गुरुंग ने
पहाड़ी क्षेत्रीय दलों ने संयुक्त रूप से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। मकसद एक ही है, गोरखालैंड की मांग करने वाली पार्टियों के वोटों को मजबूत करना। हालांकि, गुरुवार की बैठक में इस बात पर कोई फैसला नहीं हुआ कि उम्मीदवार कौन होगा। दार्जिलिंग के जीडीएनएस हॉल में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के युवा संगठन की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। बैठक में भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम), भाजपा, तृणमूल कांग्रेस और सभी विपक्षी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में कार्सियांग के नाराज भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा उर्फ ​​बीपी बाजगई भी शामिल हुए। तो क्या पहाड़ी क्षेत्रीय दल बीपी बाजगई का समर्थन करेंगे? मोर्चा सूत्रों के मुताबिक सर्वदलीय बैठक के फैसले को पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में पेश किया। सूत्रों की माने तो विमल गुरुंग जिस प्रकार सीएए का समर्थन किया उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में गुरुंग भाजपा उम्मीदवार राजू बिष्ट को शर्तों के साथ समर्थन दे सकते है। दो अप्रैल तक स्थिति पूरी तरह साफ हो जाएगी। तीन अप्रैल को राजू बिष्ट नामांकन करेंगे। इसकी तैयारी तेज कर दी गई है। वर्तमान स्थिति को देखे तो ऐसा लगता है इस बार पहाड़ में कई राजनीतिक दुकानों पर ताला लग जाएगा। यह वह दुकान है जो समर्थन के नाम पर तरह तरह का डिमांड करते है।भाजपा विरोधी पार्टी पहाड़ समेत समतल के वोट को एकजुट करने की कोशिश में थी जो सफल होता नहीं दिख रहा है। दार्जिलिंग संसदीय सीट अपनी खूबसूरती के लिए विख्यात है। दार्जिलिंग सीट में कालिम्पोंग, दार्जिलिंग, कर्सियांग, माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी, सिलीगुड़ी, फांसीदेवा और चोपड़ा सहित सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। दार्जिलिंग लोकसभा सीट के 7 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 1753699 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 878148, महिला 875509 और थर्ड जेंडर 42 मतदाता हैं। लोकसभा सीट पर गोरखाओं के वोट का दबदबा है और करीब 50 प्रतिशत से अधिक गोरखा वोटर हैं। जिसमें दार्जिलिंग हिल्स, कर्सियांग, कालिंपोंग, मिरक और सिलीगुड़ी भी शामिल हैं।
भाजपा उम्मीदवार जसवंत सिंह, एसएस अहलूवालिया और राजू बिष्ट ने क्रमशः 2009, 2014 और 2019 में दार्जिलिंग निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी। इस सीट पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई है।दार्जिलिंग में बड़ी संख्या में अप्रवासी मजदूर रहते हैं। यहां के लोगों की बोलचाल की भाषा नेपाली है। पश्चिम बंगाल सरकार ने दार्जिलिंग में नेपाली भाषा को मान्यता भी दी है। यहां बड़ी संख्या में गोरखा रहते हैं और उनका राजनीतिक प्रभाव है। चुनावी इतिहास बताता है कि गोरखा समुदाय के लोग जिसे भी समर्थन करते हैं, उस पार्टी की जीत होती है। बीजेपी पिछले चुनाव गोरखा समुदाय की मदद से जीतती रही है। दार्जिलिंग में गोरखा समुदाय का दबदबा : दार्जिलिंग संसदीय सीट में कुल सात विधानसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी का कब्जा है और इलाके में बीजेपी का काफी प्रभाव है, हालांकि पिछले चुनावों में बीजेपी को गोरखा समुदाय का समर्थन मिला था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दार्जिलिंग निर्वाचन क्षेत्र में 16,11,317 मतदाता थे. इनमें से 8,17,687 पुरुष और 7,93,609 महिला मतदाता थे. 21 मतदाता तृतीय लिंग के थे. निर्वाचन क्षेत्र में 7,145 पोस्टल वोट थे. 2019 में दार्जिलिंग में सेवा मतदाताओं की संख्या 10,753 थी। बीजेपी ने दार्जिलिंग में लगा चुकी है हैट्रिक
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार राजू बिष्ट ने 4,13,443 वोटों के अंतर से सीट जीती। उन्हें 59.08% वोट शेयर के साथ 7,50,067 वोट मिले।

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अमर सिंह राय को हराया, जिन्हें 3,36,624 वोट (26.51%) मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार शंकर मालाकार निर्वाचन क्षेत्र में 65,186 वोट (5.13%) के साथ तीसरे स्थान पर रहे. कुल वैध मतों की संख्या 12,67,270 थी।2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार एसएस अहलूवालिया ने पहली बार इस सीट से जीत हासिल की. उन्हें 42.73% वोट शेयर के साथ 4,88,257 वोट मिले। तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार बाईचुंग भूटिया को 2,91,018 वोट (25.47%) मिले और वह उपविजेता रहे। अहलूवालिया ने भूटिया को 1,97,239 वोटों के अंतर से हराया. इस निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वैध वोटों की कुल संख्या 11,42,009 थी। सीपीएम उम्मीदवार समन पाठक 1,67,186 वोट (14.63%) के साथ तीसरे और कांग्रेस उम्मीदवार सुजय घटक 90,076 वोट (7.88%) के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। इस बार जिस प्रकार से राम मंदिर, सीएए और मोदी का कुशल विकास मॉडल सामने आया है उसे देखते हुए भाजपा की जीत 5 लाख से ज्यादा वोटों से हो जाए तो आश्चर्य नहीं है।

रिपोर्ट अशोक झा

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