बिहार के 15 शिवमन्दिर बनेंगे धार्मिक पर्यटन केंद्र, ठाकुरगंज हरगौरी मंदिर का नाम नहीं आखिर क्यों?

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बिहार राज्य में 15 शिव मंदिरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने इन मंदिरों के माध्यम से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का फैसला लिया है।इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएंगे। इस परियोजना का उद्देश्य केवल धार्मिक यात्रा को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि इन मंदिरों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर करना है। इसमें 15 शिवमंदिरों का चयन किया गया है लेकिन ठाकुरगंज हर गौरी मंदिर का नाम नहीं है। क्षेत्र से प्यार और आस्था पर विश्वास रखने वालों की मांग है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने ठाकुरगंज (किशनगंज) दौरा में हर गौरी मंदिर का नाम जोड़ इसकी घोषणा करे। बिहार के वह 15 शिव मंदिर जो बनेंगे पर्यटन स्थल।
गया स्थित कोचेश्वर मंदिर – गया जिले में स्थित कोचेश्वर मंदिर को भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया जाएगा।मधुबनी स्थित मदनेश्वर स्थान – यह मंदिर भी बिहार के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।सिवान सिसवन स्थित महेंद्रनाथ मंदिर – सिवान जिले के सिसवन स्थित महेंद्रनाथ मंदिर का भी विकास पर्यटन स्थल के रूप में किया जाएगा।पटना खुशरूपुर स्थित बैकटपुर धाम – पटना जिले के खुशरूपुर में स्थित बैकटपुर धाम भी अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।मधेपुरा स्थित सिंघेश्वर महादेव मंदिर – सिंघेश्वर महादेव मंदिर धार्मिक आस्थाओं का महत्वपूर्ण केंद्र है और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।कटिहार स्थित गोरखनाथ मंदिर – कटिहार जिले में स्थित गोरखनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।वैशाली स्थित हरिहरनाथ मंदिर (हरिहरक्षेत्र) – वैशाली जिले में स्थित हरिहरनाथ मंदिर, भगवान शिव की पूजा का प्रमुख केंद्र है। यह धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।दरभंगा स्थित कुशेश्वर स्थान शिव मंदिर – दरभंगा जिले में स्थित कुशेश्वर स्थान शिव मंदिर को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।मधुबनी राजनगर स्थित एकादश रूद्र मंदिर – मधुबनी जिले के राजनगर में स्थित यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्त्व के लिए जाना जाता है।मधुबनी रहिका स्थित कपिलेश्वर स्थान – रहिका में स्थित कपिलेश्वर स्थान एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जिसे अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।अररिया कुर्साकांटा स्थित सुंदरनाथ महादेव मंदिर – यह मंदिर अररिया जिले के कुर्साकांटा में स्थित है, जिसे अब पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थल बनाने की योजना है।भागलपुर सुलतानगंज स्थित अजगैवीनाथ मंदिर – अजगैवीनाथ मंदिर, जो भागलपुर जिले के सुलतानगंज में स्थित है, एक ऐतिहासिक शिव मंदिर है।भागलपुर कहलगांव स्थित बाबा बटेश्वरनाथ मंदिर – कहलगांव में स्थित बाबा बटेश्वरनाथ मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।पूर्वी चंपारण अरेराज स्थित सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर – अरेराज में स्थित सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है। यह मंदिर अपने अद्वितीय इतिहास और सांस्कृतिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। मुजफ्फरपुर स्थित औराई प्रखंड अंतर्गत भैरव स्थान मंदिर – भैरव स्थान मंदिर, जो मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड में स्थित है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से पर्यटक यहां धार्मिक अनुष्ठानों और शांति की अनुभूति कर सकेंगे।
ठाकुरगंज हर गौरी मंदिर की विशेषता: भारत -नेपाल बंगाल और बांग्लादेश की सीमावर्ती किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में स्थापित है हर- गौरी मंदिर। यहां का शिवलिंग स्वयं भू है। जिसके एक और मां पार्वती की आकृति इसकी महत्ता बढ़ाती है। रविंद्रनाथ टैगोर से जुड़े होने के कारण इसे बिहार का देवघर माना जाता है। कहते हैं कि बाबा की असीम कृपा है कि इस नगरी में बाबा के अलावा किसी की हनक पर धमक आज तक नहीं चल पाया है। महाभारत काल से जुड़े इस बात को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि यहां से मात्र 7 किलोमीटर दूर नेपाल के कीचक में भीम ने कीचक का वध किया था। जिसका प्रमाण आज भी वहां विद्यमान है। पुरातत्व विभाग को चाहिए कि इस अलौकिक शिवलिंग का हर प्रकार के संरक्षण करें। उन्होंने कहा कि सावन के अवसर पर शिव भक्तों द्वारा अपने आराध्य देव के संरक्षण का विचार सराहनीय है। क्यों है यह महत्वपूर्ण शिवलिंग और स्थान: ठाकुरगंज प्राचीन नाम कानपुर को 1880 ई० में रविन्द्र नाथ टैगोर के वंशज सर ज्योतीन्द्र मोहन ठाकुर ने खरीदा।उसी समय इसका नाम बदलकर ठाकुरगंज रखा गया। 1897 ई० में ठाकुर परिवार द्वारा पूर्वोत्तर कोण में पाण्डव काल के भग्नावशेष की खुदाई कराया जा रहा था। इसके बीच बांस के झाड़ कि नीचे से इस शिवलिंग के साथ कई और शिवलिंग को देखा गया। इस शिवलिंग की अपनी अलग पहचान है यह एक फुट उँचा काले पत्थर का है। जिसमें आधा जगतजननी माता पार्वती अंकित है। ठाकुर परिवार इसे कलकत्ता में स्थापित करना चाहते थे। किन्तु स्वप्न में निर्देश प्राप्त होने पर टीन के बने छोटे मकान में बंगला सम्वत 21 माघ 1947 को ठाकुर परिवार द्वारा ठाकुरगंज मे स्थापना कि गई । ठाकुर परिवार द्वारा मन्दिर प्रांगण में लगी प्लेट के आधार पर यह प्रमाणित है कि 8 फरवरी 1901 से हर गौरी मन्दिर की पूजा अर्चना प्रारंभ हुई। ठाकुर परिवार द्वारा नियुक्त पुरोहित भोलानाथ गांगुली का परिवार आज भी कार्यरत है। आज भी मंदिर परिसर के क्षेत्र को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित नहीं किया गया। इस शिवलिंग की पुरे भारतवर्ष मे अलग पहचान है। इस मन्दिर को हर गौरी धाम के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है। यही कारण है कि यहां राजनीतिक हो या देश विदेश के नेता अभिनेता और भक्त अपनी मनोकामना मांगने पहुंचते हैं।

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