मोकामा के पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार पर अंधाधुंध फायरिंग, बाल-बाल बचे

लालू का प्रस्ताव ठुकराकर नीतीश के साथ आए है छोटे सरकार

 

अशोक झा, पटना : मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह और कुख्यात अपराधी सोनू-मोनू गैंग के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई। बताया जाता है कि यह गोलीबारी दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर हुई और करीब 60-70 राउंड फायरिंग की गई। मोकामा प्रखंड के नौरंगा- जलालपुर गांव में मोकामा के पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह समर्थक और सोनू-मोनू गैंग में जमकर फायरिंग हुई है। इस फायरिंग में के पूर्व विधायक बाल-बाल बच गए। सूत्रों का कहना है कि पूर्व विधायक अनंत सिंह नौरंगा जलालपुर गांव में सोनु -मोनु के घर पंचायती करने गए थे।घटना के बाद नौरंगा गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। बाढ़ डीएसपी राकेश कुमार ने सोनू- मोनू गैंग पर फायरिंग की बात स्वीकार की है। कहा जा रहा है कि सोनू- मोनू पूर्व विधायक अनंत सिंह की बात मानने से इंकार कर दिया. इसपर उनके समर्थकों की ओर से गोली चला दी गई. इसके बाद दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई. इधर, पूर्व विधायक के समर्थकों का कहना है कि सोनू मोनू गिरोह की ओर से सबसे पहले गोली चलायी गई है। इसके जवाब में हम लोगों की ओर से आत्म रक्षार्थ गोली चलायी गई है। हालांकि इसमें किसी के अभी तक जख्मी होने की सूचना नहीं है।कौन है सोनू- मोनू: लखीसराय जिले के जलालपुर के रहने वाले हैं सोनू-मोनू नाम के दो भाई। सोनू-मोनू पर विभिन्न थानों में हत्या, लूट और रंगदारी जैसे मामले दर्ज हैं।पूरे क्षेत्र में इनकी दहशत है, सोनू मोनू की मां मुखिया हैं।सोनू-मोनू के पास खुद का अपना ईंट-भट्ठे का चिमनी है और ईंट बेचते हैं। आरोप है कि उनके ऊपर हमला सोनू-मोनू गैंग ने किया है।इस घटना के बाद नौरंगा गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. बाढ़ डीएसपी मौके पर कैंप कर रहे हैं. बताया जाता है नौरंगा जलालपुर गांव में एक दबंग के द्वारा एक घर में ताला लगा दिया गया था। इसी को लेकर पूर्व विधायक अनत सिंह कुख्यात सोनू मोनू के साथ पंचायती करने गांव पहुचे थे। इस घटना के बाद गांव में भारी तनाव है। बाढ़ डीएसपी राकेश कुमार ने सोनू- मोनू के घर पर ही फायरिंग की बात स्वीकार की है। पुलिस ने मौके से तीन खोखा भी बरामद किया है।
एक समय में अपराध और अपराधियों के लिए कुख्यात रहे मोकामा से तीन बार विधायक रहे अनंत सिंह पहली बार तब सुर्खियों में आए थे जब, उन्होंने पूर्व विधायक और बाहुबली नेता सूरजभान को शिकस्त दी थी.इसके बाद वह दोबारा तब चर्चा में आए जब, उनके घर पर पुलिस की दबिश हुई। इसमें उनके सरकारी आवास से AK-47 रायफल के अलावा कई प्रतिबंधित हथियार पकड़े गए थे.पटना से सटे मोकामा के बाढ़ सीडी ब्लॉक के नदावन गांव में पैदा हुए अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह भी राजनीति में हैं। 2020 के चुनावी हलफनामे में अनंत सिंह ने बताया था कि उनके खिलाफ कुल 7 मर्डर, 11 मर्डर की कोशिश के अलावा अपहरण के 4 मुकदमों समेत 38 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.हालांकि वह इन सभी मुकदमों बरी हो चुके हैं. अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह भी राजनीति में हैं। बड़े भाई को सूरजभान ने दी थी शिकस्त: दिलीप सिंह 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक और बिहार सरकार में मंत्री बने थे. हालांकि वह साल 2000 में गैंगस्टर से नेता बने सूरजभान के सामने चुनाव हार गए थे.दिलीप सिंह की हार के बाद से ही सूरजभान और अनंत सिंह के बीच ठन गई थी। अनंत सिंह ने साल 2005 में जेडीयू के टिकट पर मोकामा विधानसभा सीट जीतकर उस हार का बदला तो ले लिया, लेकिन आज भी सूरजभान और अनंत सिंह एक दूसरे को खटकते हैं। अनंत सिंह ने साल 2010 में भी मोकामा सीट पर विजय हासिल की। हालांकि साल 2015 में जेडीयू और आरजेडी के बीच गठजोड़ होने पर वह नीतीश कुमार से नाराज हो गए और पार्टी छोड़ दी।सरकारी आवास में मिली थी AK-47 रायफल: उस समय वह चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरे और लगातार तीसरी बार भी विजय हासिल की. इससे पहले साल 2007 में एक खबर आई थी कि उनके सरकारी बंगले में दो पत्रकारों को बंधक बनाया गया है। इस सूचना पर पुलिस ने दबिश दी थी ओर उनके ठिकाने से AK-47 रायफल के अलावा कई अन्य प्रतिबंधित सामग्री बरामद हुई थी. इसी क्रम में 16 अगस्त 2019 को उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद वह जेल चले गए।जेल में रहकर जीते चुनाव: 2020 में आरजेडी के टिकट पर जेल में रहते हुए चुनाव जीते. हालांकि 2022 में उनके खिलाफ अवैध हथियार रखने के मामला कोर्ट में साबित हो गया और उन्हें सजा हो गई। इसकी वजह से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी नीलम देवी को आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ाया और वह इस समय विधायक हैं. वह एक बार फिर से जेडीयू के साथ हैं. इसी क्रम में उन्हें पिछले साल 14 अगस्त 2024 को अवैध हथियार अधिनियम केस में पटना उच्च न्यायालय से बरी हो गए और अब एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में उतर गए हैं।हालांकि मोकामा से विधायक रहे अनंत सिंह पहले से ही सुर्खियों में रहे हैं। इसके पीछे वजह है उनके राजनीति करने का तरीका। छोटे सरकार को कभी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और लालू यादव ने आरजेडी में शामिल होने का ऑफर दिया था. लेकिन वह उस ऑफर को ठुकराकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चले गए।बिहार की राजनीति में एक समय ऐसा भी आया जब अनंत सिंह को लालू यादव ने अपने साथ आने का प्रस्ताव दिया. हांलाकि छोटे सरकार ने यह ऑफर ठुकरा दिया और नीतीश कुमार के साथ चले गए. इतना ही नहीं, बाढ़ शहर में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित कर अनंत सिंह ने अपनी राजनीतिक करियर के शुरुआत का ऐलान किया।लालू का प्रस्ताव ठुकराने पर तत्कालीन राबड़ी देवी की सरकार के इशारे पर अनंत सिंह के पुश्तैनी आवास पर बिहार पुलिस की स्पेशल टीम ने रेड मारी. अनंत सिंह को भारी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन उसका इरादा नहीं डगमगाया।मोकामा में छोटे सरकार के नाम से जाने जाते हैं अनंत सिंह: अनंत सिंह भूमिहार समाज से आते हैं. मोकामा विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बाहुल्य है. इसके अलावा इस इलाके में गरीबी अपने चरम पर है. ऐसे में अनंत सिंह की रॉबिनहुड वाली छवि यहां काम कर जाती है। उदाहरण के लिए इलाके में अगर दहेज के लिए किसी लड़की की शादी नहीं हो रही है और उसका पिता अगर अनंत सिंह ड्योढ़ी पर चला जाता है तो उसे खाली हाथ नहीं लौटना होगा। या तो अनंत सिंह लड़के वाले को डरा धमकाकर शादी के लिए तैयार कर देते हैं या फिर कुछ खर्चा पानी देकर मामले को सुलझा देते हैं. इसी तरह किसी ने अगर अनंत सिंह को शादी का कार्ड भेज दिया तो वे उसके घर उपहार जरूर भेजते हैं। गांव में अगर अनंत सिंह आए हैं और किसी ने मुखिया की शिकायत कर दी तो छोटे सरकार उसी वक्त सरेआम फटकार लगा देते हैं। यही सब वजह है कि इलाके के लोग अनंत सिंह को सपोर्ट करते आ रहे हैं। लगातार 4 बार बने विधायक: यूं तो अनंत सिंह 2000 के दशक से ही राजनीति में सक्रिय थे. लेकिन आधिकारिक तौर पर उनकी राजनीति में एंट्री तब हुई जब 2005 में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने. नीतीश कुमार ने भी छोटे सरकार पर भरोसा जताया और उन्हें दो बार 2005 और 2010 में अपनी पार्टी से विधानसभा भेजा. इसके बाद 2015 में जेडीयू और आरजेडी के एक साथ आने पर अनंत सिंह ने मुख्यमंत्री का साथ छोड़ दिया और मोकामा से निर्दलीय जीत दर्ज की. उनकी जीत का सिलसिला 2020 में वह आरजेडी की टिकट पर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। जेल से पत्नी को बना दिया विधायक: बिहार के बाहुबली राजनेता अनंत सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बगावत का अंजाम भी भुगतना पड़ा और एक पुराने मामले में जेल जाना पड़ा. 2022 में अवैध हथियार रखने के मामले में छोटे सरकार को विधानसभा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया. जिसके बाद अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने राजद के टिकट पर मोकामा से उपचुनाव जीता. हालांकि, 2024 में जब जदयू ने फिर से महागठबंधन छोड़ दिया तो नीलम भी जदयू में शामिल हो गईं. इसका फायदा ये हुआ कि अनंत सिंह को 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान 15 दिनों के पैरोल पर रिहा किया गया और साल खत्म होते होते वह भी जेल से बाहर आ गए।

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