देशभर में यूसीसी लागू करने के साथ मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने की टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने उठाई मांग
पार्टी समेत इस बयान को लेकर राजनीतिक हल्के में सरगर्मी

अशोक झा, कोलकाता: बिहारी बाबू जब बोलते है तो सबको खामोश करा देते है। कुछ ऐसा ही आजकल देखने को मिला है।
बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद और दिग्गज अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा यानि बिहारी बाबू एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने न केवल समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन किया, बल्कि पूरे देश में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने की भी वकालत तक कर डाली। इस बयान के बाद पार्टी भी पशोपेश में है बल्कि , उनके इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्षा ममता बनर्जी खुद UCC की घोर विरोधी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही उन्होंने माना कि इसे पूरे देश में लागू करना आसान नहीं होगा। उन्होंने उत्तराखंड की भाजपा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां इसे अच्छे तरीके से लागू किया गया है। हालांकि, उनकी इस राय पर उनकी खुद की पार्टी आगबबूला हो सकती है। दरअसल, ममता बनर्जी और उनकी पार्टी, UCC के सख्त खिलाफ हैं, क्योंकि मुस्लिम समुदाय इस कानून का विरोध कर रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस, सपा, राजद और TMC जैसी पार्टियां UCC के विरोध में खड़ी हैं, क्योंकि ये दल बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोटों पर निर्भर हैं। ऐसे में सिन्हा का यह बयान उनकी पार्टी की आधिकारिक लाइन से पूरी तरह उलट है। इसके अलावा शत्रुघ्न सिन्हा ने एक शिगूफा और छोड़ा है, जो तथाकथित सेक्युलर दलों को रास नहीं आने वाला है। उन्होंने न सिर्फ बीफ बैन का समर्थन किया, बल्कि पूरे देश में मांसाहारी भोजन पर ही रोक लगाने की बात कह दी। उनका कहना था कि अगर बीफ पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, तो अन्य मांसाहार पर भी बैन लगाना चाहिए। मगर, यह विचार उनकी पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाता। पश्चिम बंगाल में तो गौहत्या तक कानूनी रूप से मान्य है, ऐसे में अन्य मांसाहार की बात ही क्या की जाए? बंगाल में मुस्लिम आबादी अधिक है और मांसाहार संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए टीएमसी कभी भी ऐसा कदम नहीं उठा सकती। सिन्हा के इन बयानों ने राजनीतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्या TMC इस पर उनसे जवाब मांगेगी, या फिर उनके बयान को नज़रअंदाज कर दिया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के लिए यह मुद्दा न केवल राजनीतिक बल्कि वोट बैंक से भी जुड़ा हुआ है। अगर यह बयान तूल पकड़ता है, तो TMC के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।