आज शब-ए-बारात की रात: इबादत करने से साथ गुनाहों से माफी और कामनाएं होती है पूरी

आज शब-ए-बारात की रात: इबादत करने से साथ गुनाहों से माफी और कामनाएं होती है पूरी

– आज की रात मुसलमानों के लिए मुकद्दस का महीना माना जाता है

– शब-ए-बारात के दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों को खास तौर पर सजाने की परंपरा लगेगा दीपावली सा माहौल

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बांग्लादेश और नेपाल सीमा से सटे इलाके मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। यहां कोई भी पर्व त्यौहार गंगा जमुनी तहजीब में तब्दील होता है। ऐसे ही एक पर्व है शब-ए-बारात। इसको लेकर प्रशासन जहां अलर्ट है वहीं इसको लेकर लोगों में काफी उत्साह है। आज मुस्लिम धर्म में यह बेहद अहम माना जाता है। मुस्लिम समाज के लोग शब-ए-बारात की रात मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं। इसके साथ ही जीवन में किए गए गुनाहों की माफी मांगते हैं। हर साल इस्लामिक कैलेंडर के 8 वें महीने में शब-ए-बारात का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोगों में काफी उत्साह देखने को मिलता है। शब-ए-बारात की रात को इबादत करने से सभी कामनाएं पूरी होती है। मस्जिदों में शब-ए-बारात की रात को बेहद खास नजारा देखने को मिलता है। इस बार लोग शब-ए-बारात की डेट को लेकर काफी कन्फ्यूज दिख रहे हैं। ऐसे में जानिए शब-ए-बारात की सही तारीख और इसका महत्व।
शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय में इबादत, तिलावत और सखावत की रात मानी जाती है। इस दिन अल्लाह की सच्चे मन से इबादत यानी अराधना की जाती है। इसके साथ ही तिलावत यानी कुरान की आयतें पढ़ी या सुनी जाती हैं और सखावत यानी दान-पुण्य भी किया जाता है। शब-ए-बारात मुसलमानों के लिए मुकद्दस महीना है. शब-ए-बारात के दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों को खास तौर पर सजाया जाता है। लोग देर रात तक कब्रिस्तानों में पूर्वजों के लिए दुआएं पढ़ते हैं और गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस्लाम में शब-ए-बारात का खास महत्व है. यह इस्लाम के प्रमुख पर्वों में से एक है।दरअसल, इस दिन इस्लाम को मानने वाले अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। अल्लाह इस दिन सारे गुनाहों को माफ कर देते हैं. यही कारण है इस दिन देर रात तक इबादत और तिलावत का दौर चलता है। इस रात इस्लाम में लोग अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की दुआएं पढ़ते हैं। चांद देखने के बाद इस बार शब-ए-बारात 13- 14 फरवरी की रात को मनाई जाएगी।
कब मनाया जाता है शब-ए-बारात : मुस्लिम धर्म गुरु इफराहीम हुसैन बताते हैं कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बारात दीन-ए-इस्लाम के आठवें महीने शाबान में मनाई जाती है। यह शाबान महीने की 15 वीं तारीख की रात को मनाई जाती है। इस्लाम धर्म में माह-ए-शाबान बहुत ही मुबारक महीना होता है। इसके 15 दिन बाद पवित्र रमजान का महीना शुरू हो जाता है।इस्लामिक धार्मिक परंपराओं के अनुसार, इस दिन शिया मुसलमानों के 12 वें इमाम मुहम्मद अल महदी का जन्म हुआ था। इसके अतिरिक्त, कई मुसलमान मानते हैं कि 15 वीं शाबान को अल्लाह ने नूह के मेहराब को विनाशकारी बाढ़ से सुरक्षित रखा था। यह भी कहा जाता है कि इस रात पैगंबर मुहम्मद ने कब्रिस्तान में जाकर अपने परिवार के सदस्यों के लिए अल्लाह से प्रार्थना की थी। सुन्नी इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह इस रात नर्क में यातना भोग रहे पूर्वजों को मुक्त करते हैं। इसलिए, इस रात कब्रिस्तान जाकर मृत पूर्वजों के लिए विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं।
शब-ए-बारात की रात क्या करते हैं: क्षेत्रवके जनप्रतिनिधि मुस्ताक आलम, अहमद हुसैन आदि ने बताया कि
शब-ए-बारात की रात मुसलमानों की धार्मिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण समय होता है. इस दिन, मुसलमान मगरिब की नमाज के बाद अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाकर उनके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं। वे कब्रों की सफाई करते हैं, उन पर फूल चढ़ाते हैं और अगरबत्ती जलाते हैं। इस रात, लोग पूरी रात अल्लाह की इबादत में व्यस्त रहते हैं, चाहे वह अपने घर में हो या मस्जिद में। वे गुनाहों की माफी के लिए कुरान पढ़ते हैं और नमाज अदा करते हैं। कुछ मुसलमान इस अवसर पर रोजा भी रखते हैं, जिसमें दो दिन का रोजा शामिल होता है। पहला रोजा शब-ए-बारात के दिन और दूसरा अगले दिन रखा जाता है। यह रोजा फर्ज नहीं, बल्कि नफिल होता है। शब-ए-बारात गुनाहों से तौबा करने का अवसर है। इस दिन, अल्लाह की इबादत के साथ-साथ लोग गलत कार्यों से दूर रहने का संकल्प लेते हैं। इसके अतिरिक्त, वे अपनी सामर्थ्यानुसार खैरात भी देते हैं और घरों में मीठे पकवान तैयार करते हैं।रमज़ान से पहले यह पर्व क्षमा याचना के साथ बिगड़े रिश्ते सुधारने और आत्म-सुधार का मौका देता है।इस दौरान लोग खुदा की इबादत करें। कुरान शरीफ पढ़ें। के गुनाहों से छुटकारा के लिए खुदा की बारगाह में माफी मांगें। खुदा इस रात अपने बंदों के हर गुनाह माफ कर देता है। तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ: मुस्लिम समुदाय के युवाओं को हिदायत दी है। कहा, इस दौरान न बाइक जुलूस के साथ स्टंटबाजी करें और होटलों में गपशप करें। शरीयत की नजर में यह सब गुनाह हैं। अपने परिवार और कारोबार की तरक्की के साथ देश की खुशहाली के लिए अल्ला से दुआ करें।

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