डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद बांग्लादेश सरकार की बढ़ गई चिंता

पीएम मोदी के हवाले किया बांग्लादेश का मामला, फैसला उनका अधिकार

 

– भारत के लोग चाहते है भारत सबक सिखाए कट्टरपंथी सोच वाले बांग्लादेश को

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के साथ नरेंद्र मोदी की बैठक में बांग्लादेश का मुद्दा उठे। पिछले साल से बांग्लादेश में अशांति है। यूनुस सरकार के दौरान वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोप लगे थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में स्पष्ट कर दिया है कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को लेकर अमेरिकी डीप स्टेट की कोई भूमिका नहीं है। ट्रंप ने कहा कि बांग्लादेश को अब प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में छोड़ दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान पीएम मोदी ने उनके साथ बांग्लादेश के मुद्दे पर भी बातचीत की। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस चर्चा की जानकारी दी है। विक्रम मिस्री ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में हाल के घटनाओं पर चिंता जताई और भारत इस पूरी स्थिति को कैसे देखता है, इस पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश में स्थिति भी उस दिशा में आगे बढ़ेगी, जहां हम उनके साथ रचनात्मक और स्थिर संबंधों को आगे बढ़ा सकते हैं। लेकिन उस स्थिति को लेकर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के साथ अपने चिंताएं और विचार साझा किए। उनकी इस टिप्पणी ने भारत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या अब भारत बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कोई कदम उठाएगा? दरअसल, बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदू समुदाय पर हमलों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद से ही कट्टरपंथी गुटों का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। मंदिरों पर हमले, जबरन धर्मांतरण और हिंदू परिवारों को उनकी जमीनों से बेदखल करने की घटनाएं सामने आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स भी इस ओर इशारा कर रही हैं कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार खराब हो रही है। यही नहीं, कहा जा रहा है कि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले मोहम्मद यूनुस की सरकार इस स्थिति को रोकने में पूरी तरह असफल रही है। उल्टा, उनके नेतृत्व में कट्टरपंथी तत्वों को और बढ़ावा दिया जा रहा है। एलेक्स सोरोस जैसे विदेशी प्रभावशाली लोगों के साथ यूनुस की मुलाकातों ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जब बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन और अमेरिका की भूमिका पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हमारे डीप स्टेट की वहां कोई भूमिका नहीं है। यह एक ऐसा मसला है जिस पर प्रधानमंत्री लंबे समय से काम कर रहे हैं और इस पर काफी वर्षों से काम कर चुके हैं… मैं इसके बारे में पढ़ रहा हूं। मैं बांग्लादेश को अब प्रधानमंत्री के हाथों में छोड़ता हूं।” राष्ट्रपति ट्रम्प ने जब ये बयान दिया, तब प्रधानमंत्री मोदी उनके पास ही बैठे थे और मुस्कुरा रहे थे, जैसे दोनों में पहले ही इस संबंध में बात हो चुकी हो।
ट्रंप का यह बयान बेहद अहम है क्योंकि यह स्पष्ट संकेत देता है कि अमेरिका अब बांग्लादेश के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा और भारत को ही इस संकट से निपटना होगा। भारत में पहले से ही यह मांग तेज हो रही है कि मोदी सरकार को बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई। मोदी ने बांग्लादेश में हाल की घटनाओं और भारत की चिंताओं को ट्रंप के सामने रखा। भारत की तरफ से संकेत दिए गए हैं कि बांग्लादेश में स्थिरता और शांति के लिए भारत की भूमिका अहम होगी।अब सवाल यह है कि क्या भारत इस मामले में केवल कूटनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा या फिर किसी ठोस कदम की ओर बढ़ेगा? क्या बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए मोदी सरकार कोई सख्त कार्रवाई करेगी? ट्रंप का यह कहना कि “प्रधानमंत्री मोदी ही बांग्लादेश का ख्याल रखेंगे” – यह संकेत देता है कि अमेरिका अब इस मामले में पीछे हट चुका है और भारत को ही इस स्थिति को संभालना होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है।

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