बहराइच में राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट दलित की करोड़ों की बेशकीमती जमीन कथित भू-माफिया ने अवैधानिक ढंग से कराई अपने नाम

मुख्य राजस्व अधिकारी व एसडीएम की रिपोर्टों के बावजूद अपनी ही जमीन पर सरकार नहीं हो पा रही काबिज

 

*वकालत के पैंतरों से डिले एंड डाइल्यूट प्रक्रिया (देरी कर टालना और मामले को हल्का करना) से मामले का नहीं होने दे रहे निस्तारण*

*जहां बन सकता था सरकारी अस्पताल, स्कूल या अनाथालय, वहां कथित भू माफिया मैकू यादव का कब्जा*

*सीएम योगी व डिप्टी सीएम तक भी पहुंचा था प्रकरण*

*प्रशासनिक अमले व सरकारी वकील ने भी मूंद रखी आंखें*

बहराइच 19 फरवरी। अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति की बेशकीमती सम्पत्ति कथित तौर पर अवैधानिक तरीके से गैर अनुसूचित जाति के एक प्रभावशाली यादव परिवार के नाम कराए जाने का मामला सामने आया है।
लोग अचंभित हैं कि योगी सरकार में भी भू- माफिया दबंगों की दबंगई रूक नहीं रही है।

अनुसूचित जाति की छोटी से छोटी आराजी सम्पत्ति तक बगैर प्रशासनिक अनुमति की प्रक्रिया पूरी किए गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं हो सकती। नामान्तरण के लिए स्क्रीनिंग व अनुमति की प्रक्रिया से गुजरना होता है। कानून के जानकारों के अनुसार अनुसूचित जाति से गैर अनुसूचित जाति को वसीयत गैरकानूनी है। ऐसा होने पर राजस्व संहिता के अनुसार उक्त आराजी सरकार के नाम किए जाने का प्रावधान है।

लेकिन यहां मामला बिल्कुल उलट है, गैर पंजीकृत वसीयतनामा के जरिए विधिक अनुमति के बगैर तहसील कर्मियों ने एक दलित (चमार) की करीब 16 बीघा जमीन दबंग मैकू लाल यादव के नाम पर दर्ज करा दी। दरअसल मैकू लाल यादव के एक पुत्र विजय यादव अधिवक्ता हैं, आए दिन उनके वकालती पैंतरों से मामला लटकाए रखा जा रहा है। वहीं पैरोकार कभी एसडीएम, कभी सीआरओ और कभी मंडलायुक्त के दरवाजों पर चप्पलें घिस रहे हैं, लेकिन कतिपय लालफीताशाही के चलते न्याय नहीं हो पा रहा। इस मामले में हो रहे कथित अन्याय को उजागर कर राज्य की सम्पत्ति बचाने हेतु ‘व्हिसल ब्लोअर’ के रूप में पूर्व ग्राम प्रधान के पुत्र विनोद कुमार ने लड़ाई लड़ने की शुरुआत की थी, और आपत्तिकर्ता बनकर अन्याय के खिलाफ अदालत में पैरवी शुरू की।

प्रकरण बहराइच नानपारा मार्ग पर बहराइच शहर से सटे मोहम्मद नगर गांव का है। बहराइच नानपारा हाइवे एनएच 927 पर स्थित सड़क से थोड़ी दूर स्थित गांव निवासी अनुसूचित जाति के मोलहे पुत्र सस्ती का नाम ग्राम मोहम्मद नगर के आठ गाटों पर दर्ज था। हाइवे और शहर के नजदीक की यह जमीन काफी कीमती है। मोलहे की मृत्यु के बाद इन गाटों पर उनके वारिसान का नाम दर्ज हो गया था। इसी बीच मैकू लाल यादव नामक एक व्यक्ति ने मोलहे के अपंजीकृत वसीयतनामे के आधार पर इसमें से करीब 16 बीघा (1.38 लाख वर्ग फिट) (गाटा संख्या-2377, 2382, 2383) जमीन को कथित तौर पर गैरकानूनी ढंग से अपने नाम दर्ज करा लिया। शिकायत की गयी तो सन 2004 में तत्कालीन एसडीएम सदर उदयभान त्रिपाठी ने जांच की, जांच में एसडीएम ने मैकू यादव को बेदखल कर इस सम्पत्ति को राज्य सरकार के पक्ष में निहित कर कब्जा लेने की संस्तुति की थी। लेकिन एक सुलहनामे के आधार पर वकालती पैंतरेबाजी के चलते सरकार को कब्जा नहीं मिल सका।

बतौर आपत्तिकर्ता विनोद कुमार ने पैरवी की, इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम से भी गुहार लगाई गयी, मामला एक बार फिर उठ खड़ा हुआ। 2022 में सीएम व डिप्टी सीएम कार्यालय से जांच के आदेश हुए, तब डीएम बहराइच ने दोबारा जांच शुरू कराई। जांच के दौरान राजस्व विभाग के लेखपाल की रिपोर्ट व 27 जुलाई 2023 में मुख्य राजस्व अधिकारी ने अपनी आख्या में लिखा कि, “रिपोर्ट व अभिलेखीय साक्ष्य यह स्पष्ट करते हैं कि अनुसूचित जाति के संक्रमणीय भूमिधर ने उत्तर प्रदेश ज.वि. और भू. व्य. अधिनियम 1950 की धारा 157(क) का उल्लंघन कर अपंजीकृत वसीयत गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को कर दी। धारा 166 से स्पष्ट अधिनियम के उपबंधों के उल्लंघन में किया गया संक्रमण शून्य होगा, प्रथम श्रेणी का असिस्टेन्ट कलेक्टर संक्रमण को शून्य घोषित कर सकता है। इस घोषणा के पश्चात संक्रमण के विषय वस्तु को समस्त भार से मुक्त होकर राज्य सरकार में निहित समझा जाएगा। जांच से स्पष्ट है कि यह शून्य संक्रमणीय संक्रमण है। प्रकरण में राजस्व संहिता की धारा 98 का उल्लंघन है, धारा 104 व 105 से आच्छादित है, राजस्व संहिता 2016 के नियम 103 में भी फैसला एसडीएम को लेना है।”
अब प्रकरण एसडीएम सदर की अदालत में विचाराधीन है, तारीखें लग रही हैं। मामले की गंभीरता के मद्देनज़र ‘व्हिसल ब्लोअर’ के तौर पर जागरूक नागरिक रश्मि गुप्ता सामने आई हैं। वह स्वयं मामले की पक्षकार बन गयी हैं। गुप्ता ने आपत्तिकर्ता के तौर पर एसडीएम कोर्ट पर हाजिर होकर समस्त तथ्यों के साथ अपनी लिखित बहस भी प्रस्तुत कर दी है। लेकिन जाने क्यूं सरकारी वकील अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने में कोताही बरतते हुए दिख रहे हैं। पैरोकार रश्मि गुप्ता का आरोप है कि भूमाफिया मैकू यादव अपनी दबंग छवि व उनके अधिवक्ता पुत्र विजय यादव इसे अपना निजी मामला बताकर वकीलों को पैरवी से रोकने की कुचेष्टा कर रहे हैं। सरकारी वकील भी कहीं ना कहीं दबाव में कमजोर पैरवी करते प्रतीत हो रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि मैकू यादव के अवैध कब्जे वाली उक्त जमीन आज यदि सरकार के कब्जे में होती तो यहां गरीबों के लिए बस्ती, स्कूल, अस्पताल या फिर वृद्धाश्रम आदि बनाकर इसे जनहित में इस्तेमाल किया जा सकता था।

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