मणिपुर में हिंसा के बाद बंद का ऐलान, चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी
सार्वजनिक क्षेत्र की बढ़ाई गई सुरक्षा, घायलों का चल रहा इलाज

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: मणिपुर के कई हिस्से में फिर से हिंसा भड़क उठी। शनिवार की रात कांगपोकपी जिले के विभिन्न हिस्सों में कूकी प्रदर्शनकारियों ने बंद का ऐलान कर दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर हमला बोल दिया। इस झड़पों में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग, जिनमें महिलाएं और पुलिसकर्मी शामिल हैं, घायल हो गए। मृतक की पहचान लालगौथांग सिंगसिट के रूप में हुई है।30 साल के सिंगसिट को केथेलमांबी में झड़पों के दौरान गोली लगी। पुलिस ने बताया अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।इस बीच, कुकी-जो गांव के स्वयंसेवकों के समूह द्वारा एक अज्ञात स्थान से जारी एक कथित वीडियो में कहा गया है कि यह स्वतंत्र आवाजाही के बारे में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ है और एक अलग प्रशासन की मांग करता है। वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना जा रहा है कि उनके क्षेत्रों में प्रवेश करने के किसी भी प्रयास का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।
इस बीच, एक बयान में कहा गया है कि मुक्त आवागमन की पहल का विरोध करते हुए कुकी ज़ो परिषद ने शनिवार आधी रात से कुकी-ज़ो के सभी इलाकों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है । इसमें कहा गया है, ‘केंद्र सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह लोगों की रक्षा करने और अशांति को रोकने के लिए अंतर्निहित मुद्दों का समाधान करे। कुकी-ज़ो परिषद ने सरकार से तनाव और हिंसक टकराव को और बढ़ने से रोकने के लिए अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।’ परिषद ने यह भी कहा, ‘हम बफर ज़ोन में मेइती लोगों की मुक्त आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकते और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी नहीं ले सकते। केंद्र सरकार के ‘फ्री मूवमेंट’ वाले फैसले यानी लोगों के बिना गतिरोध एक-दूसरे जिलों में आवागमन को फिर से शुरू करने के पहले दिन ही बवाल मच गया. सरकार के इस कदम के विरोध में कुकी समुदाय के लोगों ने ऐसा बवाल मचाया कि 27 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जिनमें दो की हालत गंभीर है. 40 लोगों को भी चोटें आई हैं. इनमें भी 10 गंभीर रूप से घायल हुए हैं. अब तक एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है. मणिपुर में पूरे चार महीने बाद इस स्तर की हिंसा सामने आई है।मणिपुर में शनिवार से केंद्र का ‘फ्री मूवमेंट’ वाला फैसला लागू होना था. इसी के विरोध में यहां के कांगपोकपी जिले में कुकी समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और बसों की आवाजाही को रोकने की कोशिश करने लगे. कांगपोकपी जिला एक कुकी बहुल इलाका है. यहां प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की एक बस को रोकने का प्रयास किया. यह बस ‘फ्री मूवमेंट’ सुनिश्चित करने के प्रशासन के प्रयासों के तहत इंफाल से सेनापति जिले में जा रही थी. प्रदर्शनकारियों ने यहां बस पर पथराव किया. जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें खदेड़ा तो इन्हें भी पत्थरबाजी का सामना करना पड़ा. इसी के बाद हालात बिगड़ते चले गए.
पुलिस ने क्या बताया?: मणिपुर पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया है, ‘गामगीफाई में भीड़ ने बस पर पथराव करना शुरू किया. सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया. इन लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ कई स्थानों पर सड़क अवरोध लगाए गए थे. बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी सड़कों पर थे, जो बस की आवाजाही को रोकने की कोशिश कर रहे थे. विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों की ओर से सुरक्षा बलों पर गोलीबारी भी हुईं, जिसका सुरक्षा बलों ने जवाब दिया। पुलिस ने यह भी बताया कि इम्फाल से लगभग 37 किलोमीटर दूर कीथेलमैनबी में झड़प के दौरान 30 वर्षीय लालगौथांग सिंगसिट नाम के एक व्यक्ति को गोली लगने से मौत हो गई. पुलिस ने बताया, ‘सरकार ने हमें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मुक्त आवाजाही को अवरुद्ध न किया जाए. दुर्भाग्य से एक कुकी व्यक्ति, लालगौथांग सिंगसिट की मौत हो गई.’ मणिपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया है कि अभी भी मणिपुर के कुछ इलाकों में केंद्र के इस फैसले के विरोध में तनाव है, लेकिन फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। क्या-कुछ हुआ?: हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने गामगीफाई से कीथेलमनबी तक राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (दीमापुर-इम्फाल) को अवरुद्ध कर दिया. सुरक्षा बलों ने इन्हें हटाने के लिए आंसू गैस के गोले, नकली बम और लाइव राउंड का इस्तेमाल किया. उपद्रवियों ने भी सुरक्षाकर्मियों पर खूब पत्थर बरसाए. वहां निजी वाहनों को भी आग के हवाले करना शुरू कर दिया. इस दौरान गोलियां भी चलीं. गामगीफाई में रोकी गई बस में मौजूद 16 लोग घायल हुए. कुल 40 लोगों को चोटें आईं, जिनमें से 10 की हालत गंभीर बताई जा रही है. उधर, 27 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं. पुलिस के बयान में कहा गया है, ‘प्रदर्शनकारियों में से हथियारबंद बदमाशों द्वारा भारी पथराव, गुलेल के इस्तेमाल और बेतरतीब गोलीबारी के कारण 27 सुरक्षा बल के जवान घायल हो गए, जिनमें 2 एसएफ कर्मी गंभीर रूप से घायल हैं. सुरक्षा बलों के दो वाहन भी जला दिए गए। किस कारण शुरू हुआ नया विवाद?:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह सुरक्षा बलों और राज्य प्रशासन को निर्देश दिया था कि वे 8 मार्च से राज्य की सभी सड़कों पर लोगों की स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करें ताकि कुकी और मैतेई लोग कम-कम संख्या में एक-दूसरे के इलाकों आने-जाने लगें. इस पर अलग-अलग कुकी समूहों ने पहले ही चेतावनी दे दी थी. इनक कहना था कि वे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मैतई लोगों का तब तक विरोध करते रहेंगे, जब तक कि उनकी आठ सूत्री मांगें न मान ली जाएं। अब आगे क्या?:
कुकी-जो काउंसिल (KJC) ने शनिवार को हुई हिंसा के बाद सभी पहाड़ी जिलों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है. इनके बयान में कहा गया है, ‘पर्याप्त चेतावनियों के बावजूद मैतेई लोगों को कुकी-जो इलाकों में भेजने की राज्य सरकार की हालिया कार्रवाई ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है. इसी कारण लालगुन सिंगसिट की मौत हुई. KJC बफर जोन में मैतेई लोगों की स्वतंत्र आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकता और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी नहीं ले सकता.’ यानी साफ है केंद्र सरकार के ‘फ्री मूवमेंट’ फैसले का विरोध जारी रहना तय है.
कई तरह की आई चोटें : पुलिस ने बताया कि गमगीफई, मोटबंग और कीथेलमानबी में सुरक्षा बलों के साथ झड़पों के दौरान कम से कम 25 प्रदर्शनकारियों को विभिन्न प्रकार की चोटें आईं, जिन्हें उपचार के लिए पास के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. पुलिस द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्य भर में मुक्त आवाजाही की अनुमति देने के निर्देश का विरोध करने पर कुकी बहुल जिले में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं. जब पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी स्थिति तब और खराब हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने निजी वाहनों में आग लगा दी और इम्फाल से सेनापति जिले जा रही राज्य परिवहन की बस को रोकने का प्रयास किया।बाधा डालने का प्रयास: प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – दो (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) को भी अवरुद्ध कर दिया और सरकारी वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए टायर जलाए. यह विरोध प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) की ओर से आयोजित शांति मार्च के खिलाफ भी था. एफओसीएस एक मेइती संगठन है. इस शांति मार्च को कांगपोकपी जिले में पहुंचने से पहले ही सुरक्षा बलों ने सेकमई में रोक दिया. इस मार्च में 10 से अधिक वाहन शामिल थे. नहीं थी अनुमति: पुलिस ने दावा किया कि उन्हें मार्च रोकने के लिए कहा गया था, क्योंकि उनके पास अनुमति नहीं थी. एक पुलिसकर्मी ने बताया कि ”हम केवल आदेशों का पालन कर रहे हैं. हमें मार्च रोकने के लिए कहा गया है. अगर वे जाना चाहते हैं, तो वे बसों में जा सकते हैं, जिसकी व्यवस्था सरकार करेगी. हालांकि, एफओसीएस के सदस्यों ने यह कहते हुए विरोध किया कि वे केवल गृह मंत्री के निर्देश का पालन कर रहे थे, जिसमें शनिवार से पूरे राज्य में मुक्त आवाजाही की अनुमति दी गई है। प्रशासन की मांग:इस बीच, कुकी-ज़ो गांव के स्वयंसेवकों के समूह द्वारा एक अज्ञात स्थान से जारी एक कथित वीडियो में कहा गया है कि यह स्वतंत्र आवाजाही के बारे में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ है और एक अलग प्रशासन की मांग करता है. इस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है. वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना जा रहा है कि उनके क्षेत्रों में प्रवेश करने के किसी भी प्रयास का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा. इस बीच, एक बयान में कहा गया है कि मुक्त आवागमन की पहल का विरोध करते हुए कुकी ज़ो परिषद ने शनिवार आधी रात से कुकी-ज़ो के सभी इलाकों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है। सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा:इसमें कहा गया है, ”केंद्र सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा करने और अशांति को रोकने के लिए अंतर्निहित मुद्दों का समाधा करे. कुकी-ज़ो परिषद ने सरकार से तनाव और हिंसक टकराव को और बढ़ने से रोकने के लिए अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. परिषद ने यह भी कहा, ”हम बफर ज़ोन में मेइती लोगों की मुक्त आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकते और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी नहीं ले सकते।