“अजी बचकर हमसे कहा जाइएगा, जहां जाइएगा हमें पाइएगा”

सिलीगुड़ी: इन दिनों ईडी के निशाने पर विपक्ष के नेता है। लगातार पुराने मामलों में ईडी पूरे एक्शन में है। विपक्ष के नेता भागे भागे फिर रहे है तो कुछ ईडी के सवालों से बचते दिख रहे है। ऐसे में ईडी के द्वारा वह गीत गुनगुनाया जा रहा है की
अजी बचकर हमसे कहा जाइएगा, जहां जाइएगा हमें पाइएगा।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन मोड में है। कई मामलों में ईडी की ओर से छापे मारे जा रहे हैं और नेताओं से पूछताछ की जा रही है। ईडी ने सोमवार (29 जनवरी) को कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े धन शोधन के मांमले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से पूछताछ की थी तो मंगलवार (30 जनवरी) को इसी मामले में उनके बेटे और बिहार के पूर्व उप मु्ख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी पूछताछ के लिए बुलाया कई घंटों तक पूछताछ किया। सोमवार को ही कोलकाता में शाहजहां शेख से राशन वितरण घोटाले में ईडी पूछताछ करना चाहती थी लेकिन टीएमसी नेता अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुए। वहीं, कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले की जांच में ईडी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बुधवार (31 जनवरी) को रांची में पूछताछ करेगी. ईडी ने सोमवार को सोरेन के दिल्ली स्थित आवास पर घंटों डेरा डाले रही थी और परिसर की तलाशी ली थी। ईडी ने उनके आवास की तलाशी के बाद 36 लाख रुपये, एक बीएमडब्ल्यू एसयूवी और कुछ कथित आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं।
मंगलवार (30 जनवरी) को ईडी ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के ‘खिचड़ी घोटाले’ से संबंधित धन शोधन के एक मामले में शिवसेना (यूबीटी) नेता और सांसद संजय राउत के छोटे भाई संदीप राउत से पूछताछ की।
विरोधी दलों का आरोप है कि केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधियों को निशाना बना रही है। इस बीच यूपीए 1 की पूर्व सरकार और मौजूदा बीजेपी सरकार के दौरान ईडी की जांच के आंकड़ों लेकर भी चर्चा है। आइये जानते हैं कब कौन कितना रहा ईडी के रडार पर। दूसरी ओर तीन बड़े विपक्षी नेता लालू प्रसाद यादव, हेमंत सोरेन और भूपेंद्र हुड्डा प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के निशाने पर हैं। फिलहाल विपक्ष के ये तीनों नेता ईडी दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं। लालू यादव की पार्टी राजद और हेमंत सोरेन की झारंखंड मुक्ति मोर्चा भी विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में सोमवार को पटना में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुए। पटना में ईडी की टीम ने लालू यादव से करीब 9 घंटे तक पूछताछ की. लालू यादव सुबह करीब 11 बजे ईडी ऑफिस पहुंचे थे और रात 9 बजे वो ईडी दफ्तर से बाहर निकले। लालू यादव से ईडी की पूछताछ ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही राजद बिहार की सत्ता से दूर हुई है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी की पूछताछ में ईडी की टीम ने लालू से 40 सवाल किए। ईडी के पास 50 सवालों की फेहरिस्त है। शुरू में जब लालू यादव ईडी के ऑफिस पहुंचे तो उन्हें करीब एक घंटा तक इंतजार करना पड़ा. इसके बाद अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की।
कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर चुकी है ईडी
लैंड फॉर जॉब कथित घोटाला उस समय का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे और देश में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार थी। इस मामले में सबसे पहले सीबीआई ने नकेल कसी थी उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों की जांच कर रहा है। 9 जनवरी को ईडी ने इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट भी फाइल कर दी है। ईडी की चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए लालू यादव की बेटी मीसा भारती समेत कई लोगों को समन जारी कर पेशी पर बुलाया है। झारंखड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के रडार पर
दूसरी ओर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी की रडार पर हैं। जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही ईडी ने हेमंत सोरेन को 29-31 जनवरी के बीच पूछताछ के लिए बुलाया है। हेमंत सोरेन को ईडी की ओर से दसवीं बार समन जारी किया गया है। हेमंत सोरेन शनिवार को दिल्ली पहुंचे थे, ऐसे में ईडी को उम्मीद थी कि वो आज अधिकारियों के सामने पेश होंगे, लेकिन शुरू में उनका कोई अता-पता नहीं चला था।
31 जनवरी को ईडी के सामने पेश होंगे सोरेन
बाद में जब ईडी की टीम दिल्ली में उनके आवास पहुंची तो मुख्यमंत्री वहां नहीं मिले, इसके बाद एक टीम झारखंड भवन भी गई, लेकिन हेमंत सोरेन वहां भी नहीं मिले। ईडी की टीम सीएम हेमंत को खोज ही रही थी कि इस बीच उसके पास मुख्यमंत्री आवास से एक मेल आया। सूत्रों के मुताबिक, मेल में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 31 जनवरी को जांच एजेंसी के सामने पेश होंगे। कहा यह भी जा रहा है कि दिल्ली पहुंचे हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के पीछे क्या वजह हो सकती है यह आप खुद ही समझ सकते हैं।
भूपेंद्र सिंह भी पहुंचे हुए थे ईडी के ऑफिस
अब विपक्ष के तीसरे बड़े नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भी बात कर लेते हैं. कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के पूर्व सीएम हैं और फिलहाल वो भी ईडी दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं। हुड्डा पर 2004-2007 के दौरान मानेसर में भूमि अधिग्रहण में कथित अनियमितताओं का आरोप है। ईडी इसमें मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है। हुड्डा भी सोमवार को दिल्ली में ईडी ऑफिस पहुंचे हुए थे जहां उनसे पूछताछ हुई। बताया जा रहा है कि पिछले दो हफ्ते में यह दूसरी बार है जब ईडी हुड्डा से पूछताछ कर रही थी।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि जमीनों के सौदों में उन्होंने नौकरशाहों और अधिकारियों के साथ मिलीभगत की थी। जमीन मालिकों और किसानों ने इस मामले में 1500 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हरियाणा पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद 2021 में ईडी ने पूर्व सीएम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इस तरह से देखें तो बिहार, झारखंड और हरियाणा में विपक्ष के ये तीन बड़े नेता ईडी ऑफिस का चक्कर काट रहे हैं। विपक्षी का आरोप, सरकार जबरन कर रही नेताओं को परेशान
विपक्ष का कहनाी है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को जानबूझकर टारगेट कर रही है। सरकार इंडिया गठबंधन से डर रही है इसलिए वो विपक्षी नेताओं को ईडी और सीबीआई जांच में फंसा कर रखना चाहती है। लालू यादव खुद कई बार यह कह चुके हैं कि ईडी की जांच से वो डरने वाले नहीं है। सरकार डराने की कोशिश कर रही है लेकिन वो बीजेपी और एनडीए के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करते रहेंगे। किसके कार्यकाल में कितना एक्शन?
2004 से 2014 तक यूपीए-1 की सरकार के दौरान ईडी ने 112 छापे मारे थे। वहीं 2014 से 2022 के बीच मोदी सरकार के दौरान ईडी ने 3010 छापे मारे। 2004 से 2014 तक मनमोहन सरकार में 26 नेताओं के खिलाफ ईडी जांच कर रही थी, जिनमें 14 नेता विपक्ष में थे। वहीं, 2014 से 2022 के बीच मोदी सरकार के दौरान 121 नेताओं के खिलाफ ईडी ने जांच की, जिनमें 115 नेता विपक्ष के हैं। महमोहन सरकार के 10 वर्षो में विपक्ष के नेताओं पर ईडी का शिकंजा 54 फीसदी था तो मोदी सरकार में 2022 तक विपक्षी नेताओं पर यह 95 फीसदी था। मोदी सरकार में 2014 से 2022 तक ईडी की ओर से विपक्ष के जिन 115 नेताओं के खिलाफ जांच की गई, उनमें टॉप तीन में कांग्रेस, टीएमसी और एनसीपी के नेता हैं। मनमोहन सरकार के दौरान ईडी ने 5,346 करोड़ की जब्ती की, जबकि मोदी सरकार में 2014 से 2022 के बीच जांच एजेंसी ने 99,356 करोड़ की जब्ती की।
बीजेपी में आने के बाद इन नेताओं पर आगे नहीं हुई कार्रवाई!
कुछ नेताओं के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद उनके खिलाफ आगे कार्रवाई नहीं देखी गई है। जैसे कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे जब शिवसेना और कांग्रेस में थे तो अविघ्न हाउसिंग घोटाला मामले में उनके खिलाफ जांच चल रही थी। उनके बीजेपी में आने के बाद आगे कार्रवाई नहीं देखी गई।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पहले कांग्रेस में थे। उनके खिलाफ गुवाहाटी वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट मामले में जांच चल रही थी लेकिन बीजेपी में आने के बाद उनके खिलाफ आगे कार्रवाई नहीं देखी गई। शुभेंदु अधिकारी जब टीएमसी में थे तो उनके खिलाफ नारदा स्टिंग केस में जांच चल रही थी। उनके बीजेपी में आने के बाद आगे कार्रवाई नहीं देखी गई। इस पर भाजपा नेता का कहना है की उन्हें कोर्ट से राहत दी गई है पार्टी से नही। रिपोर्ट अशोक झा

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