मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने सीएए पर बयान देकर सियासी माहौल और गरमाया
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कोलकाता: बंगाल समेत विपक्ष शासित कई राज्यों में नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध किया जा रहा है। इस बीच, मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने सीएए पर बयान देकर राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। उन्होंने भारत में नागरिकता चाहने वाले पुरुषों की धार्मिक पहचान पता करने के लिए खतना टेस्ट जरूरी किए जाने का सुझाव दिया है। रॉय पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, किसी पुरुष का खतना हुआ है या नहीं, इसकी जांच को लेकर बड़ी बात! सीएए मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने से पूरी तरह बाहर रखता है, इसलिए संदेह की स्थिति में यह परीक्षण बिल्कुल सही है।
‘पहले किसी ने आपत्ति नहीं जताई, अब क्यों?’
रॉय ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए आगे कहा, कई साल पहले जब हम इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश ले रहे थे तो सभी पुरुषों का एक मेडिकल परीक्षण किया गया था, जिसमें एक पुरुष डॉक्टर के सामने निर्वस्त्र होना भी शामिल था। यह पता लगाने के लिए नहीं कि क्या किसी का खतना हुआ है, बल्कि यह जानने के लिए कि क्या किसी को हाइड्रोसील है? इस पर कभी किसी ने आपत्ति नहीं जताई। अब क्यों?
‘TMC ने सुझाव को बताया अमानवीय’
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने रॉय के प्रस्ताव को रिग्रेसिव और जहरीला बताया है. टीएमसी की राज्यसभा सांसद ममता ठाकुर ने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया और कहा कि रॉय की टिप्पणी बीजेपी की ‘कट्टरता के नए विभाग’ को प्रदर्शित करती है. उन्होंने रॉय के सुझाव को अमानवीय बताते हुए इसकी निंदा की।
‘यह जहरीली संस्कृति का उदाहरण है’
ठाकुर ने कहा, आज मेघालय के पूर्व राज्यपाल और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथागत रॉय यह सुझाव देकर कट्टरता की नई गहराई में डूब गए कि खतना के आधार पर किसी के धर्म का निर्धारण करने के लिए टेस्ट किए जाने चाहिए और तदनुसार नागरिकता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, यह भयावह प्रस्ताव बीजेपी द्वारा जारी रिग्रेसिव माइंडसेट और जहरीली संस्कृति का उदाहरण है। इस तरह की भेदभावपूर्ण और अमानवीय टिप्पणियों का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है।
‘मैं अपने पोस्ट पर कायम हूं’
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आने पर रॉय ने एक बार फिर टिप्पणी की और ‘एक्स’ के जरिए स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, मैंने सुझाव दिया है कि जब किसी पुरुष के धर्म पर संदेह हो तो उसकी जांच कर ली जाए कि उसका खतना हुआ है या नहीं। क्योंकि CAA से मुसलमानों को पूरी तरह बाहर रखा गया है। मैंने जो पोस्ट किया, मैं उस पर कायम हूं। नतीजे विस्फोटक, ज्यादातर मुसलमानों से दो चीजों में से एक का सुझाव देता हूं। या तो बहुत से मुसलमानों ने अपनी फर्जी पहचान दिखाकर गैर-मुसलमान के रूप में एंट्री की और अब डरते हैं कि कहीं उनकी धोखाधड़ी पकड़ी ना जाए।
या फिर जिन लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया, उनमें से अधिकांश की कभी चिकित्सीय जांच नहीं हुई है। ऐसी जांच, जिसमें किसी पुरुष डॉक्टर द्वारा किसी के निजी अंगों की जांच करना आम बात है, जो आगे बताती है कि उन्होंने हायर सेकेंडरी पास नहीं किया है। अंत में प्रत्येक गैर-मुस्लिम जो घोषणा करता है कि वो बांग्लादेश में इस्लामी उत्पीड़न से बचकर आया है, उसे भारत का नागरिक माना जाना चाहिए, जब तक कि अन्यथा साबित ना हो जाए।
‘टीएमसी पर दुष्प्रचार करने का आरोप’
उन्होंने आगे टीएमसी पर असहाय शरणार्थियों को लेकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। रॉय ने लिखा, केंद्रीय गृह मंत्रालय से दोबारा कहेंगे। CAA पर शंकाएं दूर करें और प्रिंट, नेट, टीवी और बांग्ला में बिना देर किये स्पष्ट करें। जैसा कि मैंने कहा, टीएमसी और उसके साथी वास्तव में उन असहाय प्रवासियों पर दुष्प्रचार कर रहे हैं जो बांग्लादेश में इस्लामी यातना से भागकर आए हैं।’रॉय ने सीमाएं पार कर दीं’टीएमसी नेता कुणाल घोष ने भी रॉय पर धार्मिक भेदभाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, तथागत रॉय ने आज सीएए पर अपने विचार रखते हुए सभी सीमाएं पार कर दीं और कहा कि भारत में किसी व्यक्ति की नागरिकता निर्धारित करने के लिए खतना निर्णायक फैक्टर होना चाहिए. हमें उन कट्टरपंथियों के प्रति कोई सहनशीलता नहीं है जो इस तरह के घटिया और अश्लील व्यंग्य के रूप में धार्मिक भेदभाव को कायम रखते हैं, जो उन हास्यास्पद आख्यानों को भी दर्शाता है जिन्हें बीजेपी देश में प्रचारित करती है। क्या आप इसी तरह सीएए लागू करने की योजना बना रहे हैं? निर्णय के ऐसे अश्लील मेट्रिक्स का उपयोग करके? तुम्हें अपने ऊपर बहुत शर्म आनी चाहिए। बताते चलें कि सीएए को लेकर लगातार टीएमसी और बीजेपी के बीच सवाल और जवाबों का दौर चल रहा है। 12 मार्च को केंद्र सरकार ने संशोधित बिल लागू किया. 2019 में पारित सीएए में प्रावधान किया गया है 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.l। हालांकि, टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि यह अधिनियम लोगों को परेशान करने के लिए लागू किया गया एक चुनावी हथकंडा है। बिल पारित होने के बाद से ममता ने पूरे बंगाल में इसका विरोध किया था। कई मौकों पर उन्होंने दोहराया कि जब तक बंगाल में टीएमसी की सरकार है, तब तक यह कानून यहां लागू नहीं होने दिया जाएगा। रिपोर्ट अशोक झा