दिल्ली चुनाव में भाजपा का भाग्य बदल देगा डबल एम फैक्टर
एमएम फैक्टर से मतलब है, मिडिल क्लास की महिला
– दोनों पार्टियों की पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने अबतक यह वादा पूरा नहीं किया
अशोक झा नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव के मतदान का समय खत्म होते होते बुधवार को आए एग्जिट पोल ने सबको चौंका दिया।एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी के स्पष्ट बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की गई है। यह आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है जो लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रहे थे। वहीं कांग्रेस के लिए एक बार फिर बुरी खबर आती हुई दिख रही है। इन पोल्स में उसे फिर से शून्य सीटें आती हुई दिखाया गया है। आइए देखते हैं कि दिल्ली में किन मुद्दों ने काम किया। दिल्ली की जनता ने उसकी किन बातों पर ऐतबार किया। ये नतीजे एग्जिट पोल के हैं, वास्तविक नतीजे नहीं. दिल्ली के जनता के असली फैसले को जानने के लिए हमें आठ फरवरी तक का इंतजार करना होगा, जब मतगणना होगी और परिणाम आएंगे। एमएम फैक्टर: इस चुनाव में बीजेपी ने महिलाओं के लिए कई वादे किए हैं. सबसे प्रमुख है हर महीने 25 सौ रुपये देने का वादा। एमएम फैक्टर से मतलब है, मिडिल क्लास की महिला। ऐसा लग रहा है कि मिडिल क्लास की महिलाओं का समर्थन बीजेपी को मिला है। दिल्ली में बीजेपी ने अपनी सरकार बनने की स्थिति में महिलाओं को ‘महिला समृद्धि योजना’के तहत हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया है। यह वादा कांग्रेस और आप ने भी किया है। कांग्रेस ने 2500 और आप ने 2100 रुपये हर माह देने का वादा किया है। लेकिन महिलाओं ने आप और कांग्रेस के वादों पर ऐतबार नहीं किया। क्योंकि दोनों पार्टियों की पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने अबतक यह वादा पूरा नहीं किया है, जबकि बीजेपी की सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में इसे पूरा किया है। इसके अलावा बीजेपी ने गर्भवती महिलाओं को ₹ 21 हजार रुपये की आर्थिक मदद और छह पोषण किट मुफ्त देने का भी वादा किया है। उसने गरीब महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपये में देने और होली-दिवाली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त में देने का भी वादा किया है। लगता है कि महिलाओं ने बीजेपी के इस वादे पर भरोसा कर उसे वोट किया है। एक बात यह कही जा रही है कि जिस फैक्टर के दम पर आप को उम्मीद थी उसी ‘DM’ फैक्टर ने AAP का खेल बिगाड़ा है। AAP को झटका, क्या कांग्रेस ने काटे वोट?: यह बात सही है कि दिल्ली में बीते 10 वर्षों से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को इस बार भारी एंटी-इंकम्बेंसी का सामना करना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा जिससे AAP की छवि पर असर पड़ा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तो कांग्रेस का मुस्लिम और दलित वोट बैंक में सेंध लगाना भी AAP के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। एग्जिट पोल के आंकड़ों में कांग्रेस के खाते में 1-2 सीटें आ सकती हैं लेकिन उसके उम्मीदवारों ने AAP के कई सीटों पर वोट काटे जिससे सीधे बीजेपी को फायदा मिला। स्वास्थ्य की देखभाल: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक खोले थे. इनमें लोगों का इलाज मुफ्त में होता था। लेकिन समय बीतने के साथ इसमें खामियां आने लगीं। बाद में लोगों की शिकायत रही कि मोहल्ला क्लिनिक में न तो उनका इलाज होता है और न ही उनकी जांच होती है और न दवाएं मिलती हैं इसे बीजेपी ने मुद्दा बनाया. इसको लेकर आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल आमने-सामने भी आ गए थे। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने और सीनियर सिटिजन के लिए इस योजना के तहत पांच लाख रुपये तक के अतिरिक्त मुफ्त इलाज का वादा किया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया। लगता है कि दिल्ली के वोटरों ने बीजेपी के इस वादे पर ऐतबार किया है। मीडिल क्लास का बजट: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक चार दिन पहले बजट पेश किया। इसमें सरकार ने मीडिल क्लास और कामकाजी लोगों के लिए कई बड़ी राहतों का ऐलान किया. इसमें सबसे बड़ा ऐलान था 12 लाख रुपये सालाना तक की आय को टैक्स फ्री बनाना। इस बजट में केंद्र सरकार ने बिहार के लिए अपना खजाना खोल दिया। इसमें सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बिहार के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया। दिल्ली में बिहार के लोगों की बड़ी आबादी रहती है। नरेंद्र मोदी की सरकार की इन घोषणाओं ने मतदाताओं को बहुत अधिक प्रभावित किया।
दिल्ली का शराब घोटाला: दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार 2020-2021 में नई आबकारी नीति लेकर आई थी। बीजेपी ने आरोप लगाया कि इस योजना को बनाने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है उपराज्यपाल ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए थे। बाद में मनिलॉड्रिंग की शिकायतों पर इस मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय भी शामिल हो गया। सीबीआई जांच के आदेश होते ही दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपनी आबकारी नीति को वापस ले लिया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसके दायरे में आता गया। इस मामले में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्य सभा सांसद संजय सिंह तक गिरफ्तार कर लिए गए। इन तीनों के अलावा पार्टी के कई दूसरे पदाधिकारी और नेता भी इस घोटाले में गिरफ्तार हुए। अंतत: इस मामले में जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देकर आतिशी को अपनी जगह मुख्यमंत्री बनवा दिया। बीजेपी ने इस मामले का साथ नहीं छोड़ा. वह इस मामले को लगातार उठाती रही। दरअसल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कोख से पैदा हुई आम आदमी पार्टी इस आरोप से अपना दामन नहीं बचा सकी। यह मुद्दा आम आदमी पार्टी के लिए भारी पड़ता हुआ दिख रहा है।
आप के वोट बैंक में सेंध: बीजेपी ने झुग्गी वालों के लिए उनकी झुग्गी के पास ही मकान बनाकर देने का वादा किया है।दिल्ली में अनिधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को आम आदमी पार्टी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। कहा जाता है कि बिजली-पानी वाली योजनाओं और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की योजना के बड़े लाभार्थी इन्हीं जगहों पर रहते हैं। बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के इस मजबूत वोट बैंक को तोड़ने पर बहुत पहले से काम शुरू कर दिया था। इसी के तहत झुग्गी वालों को झुग्गी की जगह पर ही फ्लैट बनाकर दिए गए। चुनाव की घोषणा से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने इस तरह के सैकड़ों फ्लैटों को उनके मालिकों को सौंपा था। इसके अलावा बीजेपी ने अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों को उनके मकानों का मालिकाना हक देने का वादा भी किया है। इसके अलावा बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के एक और बड़े सपोर्टर वर्ग ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा चालकों के लिए 10 लाख रुपये का जीवन बीमा और पांच लाख रुपये का दुर्घटना बीमा का वादा कर उन्हें तोड़ने की कोशिश की है। लगता है कि बीजेपी अपनी इस कोशिश में कामयाब होते दिख रही है। दिल्ली में बीजेपी की सरकार का इतिहास कैसा रहा है? दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का शासन राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण रहा है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए। बीजेपी ने दिल्ली में पहली बार 1993 में सरकार बनाई थी, और उसके बाद से कई बार सत्ता में आई। हालांकि, दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (आप) के उभरने के बाद बीजेपी का सत्ता में आना कठिन हो गया है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी का योगदान दिल्ली की राजनीति में उल्लेखनीय है।
1993 में पहली बार बीजेपी की सरकार: 1993 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 56 सीटें जीतीं और कांग्रेस पार्टी को हराया। इस चुनाव में मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया गया। इस प्रकार, मदनलाल खुराना दिल्ली के पहले बीजेपी मुख्यमंत्री बने। उनके नेतृत्व में दिल्ली में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, और दिल्ली में बीजेपी की पहली सरकार बनी। 1998 में बीजेपी की दूसरी सरकार: बीजेपी ने 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से शानदार प्रदर्शन किया और 48 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव में भी मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने। उनके शासन में दिल्ली ने कई विकास कार्य किए, जिनमें दिल्ली मेट्रो की योजना पर भी चर्चा की गई। हालांकि, 2003 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। 2003 में तीसरी बार बीजेपी की सरकार:2003 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47 सीटों पर जीत मिली और पार्टी ने सत्ता में वापसी की। इस बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सुषमा स्वराज को दी गई। सुषमा स्वराज के कार्यकाल में दिल्ली में कई प्रमुख योजनाएं लागू की गईं, जिनमें सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ। लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दिल्ली में हार का सामना करना पड़ा और इसके बाद बीजेपी की सरकार चली गई।बीजेपी का दिल्ली में संघर्ष: 2008 के बाद बीजेपी को दिल्ली में सत्ता में आने में सफलता नहीं मिली। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 31 सीटें मिलीं, जबकि आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 28 सीटें जीतीं। बीजेपी का नेतृत्व उस समय भी विपक्षी पार्टी के रूप में रहा, और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी की अपराजेय स्थिति: साल 2015 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। आप ने 70 में से 67 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को केवल 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस जीत ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को दिल्ली में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में बैठाया। साल 2020 में भी दिल्ली में आम आदमी पार्टी का दबदबा बरकरार रहा। इस बार भी आप ने 70 में से 62 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को केवल 8 सीटें ही मिलीं। इस जीत में केजरीवाल के नेतृत्व में हुए विकास कार्यों और मुफ्त सुविधाओं को लेकर दिल्ली के नागरिकों ने भारी समर्थन दिया। 2025 में क्या हो रहा है?: अब 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। एग्जिट पोल्स में यह नजर आ रहा है कि इस बार बीजेपी ने अपनी सीटों में इज़ाफा किया है और आम आदमी पार्टी से कांटे की टक्कर ले रही है। कई एग्जिट पोल्स के अनुसार बीजेपी को 45-50 सीटों के आसपास मिल सकती हैं, जबकि आम आदमी पार्टी को 32-37 सीटों के आस-पास दिखाया जा रहा है। इससे यह साफ है कि दिल्ली विधानसभा में इस बार किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना कम है। बीजेपी ने इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय योजनाओं का जोरदार प्रचार किया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के विकास कार्यों, मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर दिया है। एग्जिट पोल्स में अब यह सवाल उठ रहा है कि दिल्ली में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी और क्या वह इस बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो पाएगी।