केंद्र सरकार का डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर निर्देश, कोलकाता मामले में लगातार हो रहे चौकाने वाले खुलासा

अशोक झा, कोलकाता: कोलकोता में निर्भया कांड को लेकर देशभर में उबाल है। इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक आदेश जारी किया है कि किसी डॉक्टर के साथ किसी प्रकार की हिंसा होती है, तो इसके लिए मेडिकल कॉलेज या अस्पताल के हेड जिम्मेदार होंगे। आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा होने पर घटना की 6 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज करवाई जाए। ऐसा न होने पर मेडिकल कॉलेज के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। दरअसल, हड़ताली डॉक्टरों की यह सबसे प्रमुख मांग थी कि केंद्र सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून पास करे। उनके अनुसार आए दिन कहीं न कहीं डॉक्टरों के साथ मारपीट की जाती रहती है। उनके जानमाल के साथ खिलवाड़ किया जाता है। ऐसे में डॉक्टरों की मांग थी कि एक कानून के जरिए केंद्र सरकार पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उचित कानून बनाए। हड़ताली डॉक्टरों ने इसके लिए केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भी लिखा था। केंद्र सरकार ने डॉक्टरों का साथ देने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही थी। हालांकि, अभी स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए कोई कानून लाने की बात तो नहीं कही गई है, लेकिन आज ही केंद्र सरकार के द्वारा एक आदेश जारी कर दिया गया है जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा होने पर मेडिकल कॉलेज के प्रमुख के द्वारा तत्काल इसकी सूचना पुलिस को देना अनिवार्य होगा और घटना की एफआईआर दर्ज कराना भी आवश्यक होगा।
सीबीआई ने जांच की तेज : चार डॉक्टर सीबीआई के CGO कॉम्प्लेक्स, साल्टलेक स्थित कार्यालय में पेश होंगे। सूत्रों के अनुसार, इन ट्रेनी डॉक्टरों से घटना की रात के घटनाक्रम के बारे में सवाल किए जाएंगे ताकि इस मामले की गहराई से जांच की जा सके। बता दें 9 अगस्त को 32 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर का अर्धनग्न शव सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला। कोलकाता पुलिस से जुड़े एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, इस मामले में कई लोगों के शामिल होने की संभावना को भी नकारा नहीं गया है। गुरुवार को CBI ने उस ट्रेनी डॉक्टर के तीन बैचमेट्स से पूछताछ की, जो 8 अगस्त की रात ड्यूटी पर थे। CBI ने अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रमुख से भी सवाल किए। CBI टीम ने अस्पताल के अंतर्गत आने वाले तला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी से भी पूछताछ की। इसके अलावा CBI की एक टीम ने पीड़िता के घर जाकर उसके माता-पिता से बात की। जांचकर्ताओं ने 9 अगस्त को अस्पताल से मिली कॉल का समय नोट किया और पीड़िता के दोस्तों के बारे में भी सवाल किए। CBI अधिकारियों ने संजय रॉय के कॉल डिटेल रिकॉर्ड की मांग की है। एक अधिकारी ने बताया कि हम यह भी जांच रहे हैं कि उनके मोबाइल से किसी वीडियो या इंटरनेट वॉयस कॉल की गई है या नहीं। CBI टीम ने पिछले रात RG कर अस्पताल का दौरा किया।
इस मामले में कई चौकाने वाले खुलासा का दावा: इस पूरे मामले में दावा किया है कि ट्रेनी के साथ पहले मारपीट की गई, फिर उसके साथ बलात्कार किया गया और हत्या में एक लड़की भी शामिल थी। कथित तौर पर इस साजिश में कॉलेज के प्रिंसिपल, एक वरिष्ठ डॉक्टर और संबंधित विभाग के प्रमुख शामिल थे।भाजपा के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की गई ऑडियो क्लिप वायरल हो गई है। इस क्लिप में महिला डॉक्टर ने प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ सदस्यों पर प्रशिक्षु डॉक्टरों को निशाना बनाकर एक गठजोड़ चलाने का आरोप लगाया है। उसने कहा कि इन डॉक्टरों को अपनी मर्जी के मुताबिक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था और थीसिस जमा करने के लिए परेशान किया जाता था। मेडिकल कॉलेज स्टाफ पर आरोप:
अपने ऑडियो संदेश में महिला डॉक्टर ने इस घटना पर अपना अविश्वास व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रिंसिपल और विभागाध्यक्ष विभिन्न बहाने बनाकर छात्रों से पैसे वसूलते हैं। वे छात्रों को धमकी देते हैं कि अगर वे पैसे नहीं देते हैं तो वे थीसिस जमा नहीं करेंगे, इंटर्न के पूरा होने के प्रमाण पत्र नहीं देंगे और मेडिकल पंजीकरण नहीं कराएंगे। महिला डॉक्टर ने विशेष रूप से संदीप घोष का नाम लिया, जिन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में इस सांठगांठ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने आरोप लगाया कि यह समूह इंटर्न और हाउस स्टाफ को शामिल करके सेक्स और ड्रग रैकेट चलाता था। बेची जाने वाली दवाओं में हेरोइन, ब्राउन शुगर और यहां तक कि कम कीमत वाली दवाइयां भी शामिल थीं, जिन्हें ड्रग्स के रूप में पैक किया गया था। इन गतिविधियों के लिए करोड़ों के टेंडर जारी किए गए थे, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा पार्टी फंड में जाता था।

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