बंगाल में शादियों का हो रहा बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन, कभी भी धमक सकती है अधिकारियों की फौज
कोलकाता: पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी। जो पर्यटन, शिक्षा स्वास्थ्य के साथ प्रमुख विवाह स्थल के रूप में भी दुनिया भर के लिए चर्चा में शुमार रहता है। 2024 तक होने वाली शादी के लिए अभी से सारे धर्मशाला और विवाह समारोह स्थान, होटल बुक है।
बंगाल में शादियों का हो रहा बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन, कभी आ सकते है अधिकारियों का फौज। आज आपको हम समझाते है
आखिर ये होता क्या है?। अगर आप बंगाल में किसी शादी समारोह में जाएं और वहां पर फेरों के वक्त अचानक कोई अधिकारी आकर छानबीन करने लगे तो हैरान मत होइए। खासकर तब जब वह अपने बैग से लैपटॉप और छोटा फिंगर प्रिंट स्कैनर निकालकर दूल्हा- दूल्हन समेत वहां मौजूद गवाहों के भी बायोमेट्रिक्स रिकॉर्ड अपने सिस्टम में दर्ज करने लगे।असल में यह ममता सरकार की वह खास योजना है, जो इस साल 1 नवंबर से राज्य में शुरू की गई है। इस योजना का का मकसद बहु- विवाहों को रोकना शादियों के रिकॉर्ड को रजिस्टर्ड करना है।
विवाह स्थल पर जाकर मौके पर ही रजिस्ट्रेशन
पश्चिम बंगाल के रजिस्ट्रॉर जनरल ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक यह नया विवाह नियम राज्य में शादियों के डेटा को डिजिटाइज करने और पहचान छुपाकर होने वाले बहुविवाह को रोकने के लिए लागू किया गया है। इसके तहत मैरिज रजिस्ट्रारों को गहन ट्रेनिंग के बाद लैपटॉप और फिंगर प्रिंट स्कैनर दिए गए हैं। उनकी ड्यूटी है कि वे विवाह स्थलों पर जाकर मौके पर ही विवाहों को रजिस्टर्ड करें। साथ ही उन शादियों में मौजूद प्रमुख गवाहों के बायोमेट्रिक्स रिकॉर्ड भी दर्ज करें, जिससे कोई भी पक्ष शादी से मुकर न सके। कपल के लिए जा रहे बायोमेट्रिक रिकॉर्ड: स्कीम लागू करने से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आईपीसी की धारा 494 के तहत बहुविवाह एक दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद एक से ज्यादा शादियां करने के लिए कई लोग विशेषकर पुरुष अपनी पहचान बदल लेते हैं। ऐसे में अगर विवाह करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का बायोमेट्रिक रिकॉर्ड विभाग के मौजूद रहेगा तो दूसरी शादी के लिए डिटेल देते ही सिस्टम पहचान जाएगा कि अमुक व्यक्ति की पहले शादी हो चुकी है। गवाहों की डिटेल दर्ज कर रहा सिस्टम: मैरिज रजिस्ट्रार के मुताबिक जब वधू- वर की शादी पक्की हो जाएगी तो उन्हें रजिस्ट्रार ऑफिस आकर शादी के लिए आवेदन करना होगा। उसी मौके पर दोनों के बायोमेट्रिक रिकॉर्ड दर्ज कर लिए जाएंगे। इसके बाद शादी वाले दिन रजिस्ट्रार अपना लैपटॉप और फिंगर प्रिंट स्कैनर लेकर विवाह स्थल पर पहुंचेगा वहां पर फोटो व संक्षिप्त वीडियो के साथ-साथ प्रमुख गवाहों के बायोमेट्रिक्स रिकॉर्ड भी दर्ज करेगा. इस पूरी प्रक्रिया में उसे केवल आधे घंटे का वक्त लगेगा। पश्चिम बंगाल में विवाह के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की शुरुआत जून 2019 में हुई थी। इसके तहत विवाह के पंजीकरण की कागजी कार्रवाई मौके पर ही की जाती थी, जबकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बाद में होता था. हालांकि अब बायोमेट्रिक्स प्रणाली शुरू होने के बाद बंगाल में शादी का ऑनलाइन पंजीकरण तुरंत मौके पर किया जाएगा। अधिकारी गिनवा रहे स्कीम के फायदे: अधिकारी इस स्कीम के अनेक फायदे गिनवाते हैं. उनके मुताबिक शादियों के बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन से यह पहचानना आसान हो जाएगा कि क्या आरोपी वास्तव में शादीशुदा है और यदि हां, तो किससे। इससे शादियों में होने वाली धोखाधड़ी पर रोक लग जाएगी। साथ ही बहुविवाह या द्विविवाह के मामलों में कमी आएगी और किसी भी पीड़ित के कानूनी दावों को मजबूती मिलेगी. यही नहीं, अगर किसी कपल का तलाक हो गया हो ऐसे में महिला को गुजारा भत्ता पाने में भी मदद मिलेगी। साइबर अपराध से बचाव के उपाय: स्कीम से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि साइबर अपराध से बचने के लिए फिंगरप्रिंट स्कैनर में उंगलियों के निशान छिपाकर एन्क्रिप्ट कर दिए जाएंगे। यानी कि उनकी हैकिंग या पहचान की चोरी नहीं की जा सकेगी। योजना से उत्साहित अधिकारी बताते हैं कि बंगाल में शादी के नए नियम 1 नवंबर से लागू हुए हैं। उसके बाद से 15 नवंबर तक विभाग को 5500 से ज्यादा आवेदन मिल गए, जिनमें 2700 का मैरिज रजिस्ट्रेशन भी कर दिया गया। क्या मुस्लिमों को मिल गई है छूट?: सूत्रों का कहना है कि राज्य में विवाह के नए नियम हिंदू विवाह अधिनियम, 1954 और विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत होने वाली शादियों पर लागू हुए हैं
यानी कि ये नियम हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाइयों पर लागू हैं। मुस्लिम इसके दायरे से बाहर हैं. ऐसे में योजना के सफल होने पर अभी बहुत कुछ कहना जल्दबाजी हो सकता है। @ रिपोर्ट अशोक झा