आज जगह जगह मनाई जाएगी धूमधाम से दही हांडी का त्योहार
चोर चोर का मचा शोर ,अजन्मा ने लिया जग में कदम रखा माखन चोर
अशोक झा, सिलीगुड़ी: आज देश के कई हिस्सों में धूमधाम से दही हांडी का त्योहार मनाया जाएगा। दही हांडी का त्योहार प्रतिवर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन आता है।श्रीकृष्ण भक्ति एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें अपने अंदर की शांति, संतोष और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में सर्वोच्च भगवान के रूप में पूजा जाता है। उनकी भक्ति करने से मनुष्य को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं, जो न केवल भौतिक जगत में बल्कि आत्मिक विकास में भी सहायक होते हैं। हिंदू धर्म में लोगों में अपने आराध्य देवी देवता के प्रति आस्था कूट कूट कर भरी है। आध्यात्मिक शांति और संतुलन श्रीकृष्ण की भक्ति करने से हमें मानसिक और भावनात्मक शांति प्राप्त होती है। उनकी मधुर लीलाओं और उपदेशों का स्मरण करने से मन का विकार समाप्त होता है और हमारे जीवन में संतुलन आता है। श्रीकृष्ण का स्मरण हमें तनाव और चिंता से मुक्त करता है और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देता है। श्रीकृष्ण की लीलाओं के वर्णन सुन कर या देखकर हम मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और हमें जो मानसिक शांति मिलती है हम उसका व्याख्यान नहीं कर सकते। सत्कर्म और नैतिकता का पालन श्रीकृष्ण जी ने ही हमें सिखाया है। भारत श्रीकृष्ण मंदिरों में विशेष कर मथुरा-वृंदावन में हमें विदेशी भक्त भी उनकी भक्ति में लीन होते दिखाई देते हैं। अब यहीं से सोच लीजिए कि उनकी भक्ति में कितनी शक्ति और शांति है श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का आदर्श प्रस्तुत किया है। उनकी भक्ति से व्यक्ति में नैतिकता और सत्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। गीता में श्रीकृष्ण ने कर्मयोग का सिद्धांत प्रस्तुत किया है, जो हमें निष्काम भाव से कर्म करने की शिक्षा देता है। हमने बहुत से लोगों को देखा है जो श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं वो भौतिक इच्छाओं को त्याग देते हैं श्रीकृष्ण भक्ति से व्यक्ति को भौतिक इच्छाओं और आसक्तियों से मुक्ति मिलती है। भक्ति का मार्ग हमें आत्मा की शुद्धि की ओर ले जाता है, जिससे व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान की ओर अग्रसर होता है। आज जब मानव जीवन में भौतिक संसाधनों का महत्व अत्यधिक बढ़ रहा है वहीं भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन व्यक्ति सब कुछ त्याग देता है। जीवन में प्रेम और समर्पण की भावना जिसमें भी रही उसको कभी दुख नहीं मिला और यह उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने ही हमें सिखाया था। श्रीकृष्ण प्रेम के अवतार हैं। उनकी भक्ति करने से जीवन में प्रेम और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है। उनकी रासलीला और गोपियों के प्रति उनका प्रेम हमें निःस्वार्थ प्रेम का आदर्श प्रस्तुत करता है। उनकी भक्ति से हम प्रेम के महत्व को समझते हैं और इसे जीवन में अपनाते हैं। आत्मा की मुक्ति के लिए भी भगवान कृष्ण की उपासना ही काफी है। श्रीकृष्ण की भक्ति करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होने का मार्ग मिलता है। गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है कि जो व्यक्ति उनके प्रति अनन्य भक्ति करता है, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त करता है। यदि हम समाज में सेवा भावना की बात करें तो आप किसी भी श्रीकृष्ण मंदिर में चले जाएं वहां जो लोग दूसरों की सेवा में लगे हैं वो देखते ही बनती है। श्रीकृष्ण की भक्ति हमें समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है। उनकी लीलाओं से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। आज हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर महाभारत तक उनकी लीलाओं का बहुत बड़ा वर्णन है। जिसको कुछ शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। श्रीकृष्ण भक्ति हमें जीवन के हर पहलू में समृद्धि और संतुलन प्रदान करती है। यह भक्ति न केवल हमें ईश्वर के करीब लाती है, बल्कि हमें एक श्रेष्ठ इंसान बनने की प्रेरणा भी देती है। श्रीकृष्ण की भक्ति के माध्यम से हम जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझ सकते हैं और उसे प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।