नेपियर घास की खेती का अभियान उत्तर प्रदेश के किसानों में हो रहा है लोकप्रिय, पशुपालक किसानों की आय में हो रही चौगुनी वृद्धि

लखनऊ । अफ्रीकी मूल की घास की एक किस्म ने उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच हरित चारे के रूप में उपयोग और आसानी से इसकी खेती के कारण लोकप्रियता हासिल कर ली है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच व सहारनपुर में डीएम रह चुके व जौनपुर जनपद के वर्तमान जिलाधिकारी डाक्टर दिनेश चंद्र सिंह के प्रयासों से इन जिलों में नेपियर घास की भारी पैदावार हुई है। जौनपुर जनपद में तो एक पशुपालक किसान की आय चार गुना बढ़ी है। जौनपुर जनपद के केराकत तहसील अंतर्गत ग्राम अहन में खेती व पशुपालन का व्यवसाय कर रहे किसान सुरेन्द्र यादव इन दिनों प्रतिदिन करीब एक कुंटल दुग्ध का व्यवसाय कर रहे हैं। शुक्रवार को जिलाधिकारी डाक्टर दिनेश चंद्र सिंह ने किसान सुरेन्द्र यादव के घर पहुंच कर उन्हें व उनकी प्रेरणा देने वाली उनकी माता को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
डीएम डाक्टर दिनेश चंद्र ने शनिवार को बताया कि मूल रूप से अफ्रीकी देशों में उगाए जाने वाले इस पशु चारे का थाईलैंड व कुछ अन्य देशों के किसान भी उत्पादन करते हैं। पशुओं के हरे चारे के रूप में इसका प्रयोग होता है।
उन्होंने बताया कि गन्ने की तरह दिखने वाली नेपियर घास को इसके बड़े आकार के चलते ‘हाथी घास’ (एलीफेंट ग्रास) के नाम से भी जाना जाता है। जिले के किसानों को सेंक्रस पर्प्यूरियस, जिसे आमतौर पर नेपियर घास या एलीफेंट ग्रास कहा जाता है, से परिचित कराया गया और इसे हरे चारे के रूप में उनके खेतों में उगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। प्रशासन ने इस घास की बहुउपयोगिता और पोषण मूल्य को देखते हुए इसकी खेती को बढ़ावा दिया है।
डीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रेरणा से निराश्रित व पालतू गोवंश के लिए वर्ष 2022 में बहराइच से शुरू हुई नेपियर घास की मुहिम अब पूरे प्रदेश में परवान चढ़ चुकी है। सहारनपुर जनपद में भी इस पर काफी काम हुआ है और अब जौनपुर जिले के बड़ी संख्या में किसान मुहिम में जुड़कर इसका उत्पादन कर रहे हैं।
डीएम ने बताया कि नेपियर घास की पैदावार कर किसान लाखों का फायदा कमा रहे हैं। इसे उगाने की लागत बेहद कम है और यह पशुओं के चारे के तौर पर अच्छी कीमत पर बिक जाती है। एक बार नेपियर घास की रोपाई के बाद यह अगले 5 साल तक पशु चारे का उत्पादन देती है। एक बार बोने के बाद 60 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह घास पारंपरिक हरे चारे की तुलना में अधिक प्रोटीन युक्त होती है। इस घास में सामान्यतः 14-15 प्रतिशत तक प्रोटीन और 70 प्रतिशत फाइबर मौजूद होता है।
यह घास किसानों और पशु पालकों के लिए आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद है। इस घास में पाए जाने पोषक तत्व दुधारू पशुओं को तंदरुस्त रखते है। नेपियर घास से पशुओं का दुग्ध उत्पादन तो बढ़ता ही है। किसान इसकी व्यावसायिक खेती भी कर सकते हैं, इसका हरा चारा बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस घास को उगाने के लिए ज्यादा संसाधनों की जरूरत नहीं है।
लगभग सभी मौसम नेपियर घास की खेती के लिए अनुकूल हैं। इसलिए जब अन्य हरे चारे उपलब्ध नहीं होते हैं तब भी नेपियर घास मिल जाती है। आने वाले दिन इसकी बुआई के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं।
जिलाधिकारी जौनपुर ने बताया कि शुक्रवार को शासकीय भ्रमण के दौरान मैंने उप जिलाधिकारी केराकत सुनील भारती तथा अन्य राजस्व और अन्य विभाग के स्टाफ के साथ केराकत तहसील के ग्राम अहन का दौरा किया। हम आकस्मिक रूप से उन किसानों से मिले और उन्हें सम्मानित किया जिन्होंने हरा चारा प्रबंधन के क्षेत्र में अभिनव प्रयास किया है। अहन गांव में सुरेन्द्र यादव नाम के एक किसान हमें ऐसे भी मिले जिनका पूरा परिवार चारा प्रबंधन के लिए नेपियर घास उत्पादन कर रहा है। इन्होंने गोवंश पाल रखे हैं और प्रतिदिन एक कुंटल से अधिक दूध निकालकर बेचते हैं। पशुपालन के माध्यम से ये अपनी कृषि आय को चार गुना बढ़ा चुके हैं। पूरा परिवार प्रसन्नचित था, हमारे जाने पर वह और खुश हुए। मैंने उनके इस प्रयास को सराहा तथा वृद्ध माता जी को अंगवस्त्र देकर और जिस किसान भाई ने नेपियर घास के खेती कर हरे चारे की प्रबंधन के मेरे और सरकार के प्रयास को आगे बढ़ाया है उसको भी अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
गौरतलब है कि वर्ष 2022 में जब डाक्टर दिनेश चंद्र सिंह बहराइच के डीएम थे उन दिनों वहां बड़ी संख्या में किसानों ने नेपियर घास का उत्पादन कर लाभ कमाया, जो अब भी जारी है। प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने उन दिनों नेपियर घास का बहराइच माडल पूरे प्रदेश में लागू करने की बात कही थी। अगस्त 2022 में बहराइच दौरे पर आए उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भी नेपियर घास को गोवंश के लिए वरदान बताते हुए बहराइच में इसके उत्पादन को लेकर प्रशासनिक प्रयासों की सराहना की थी।
बहराइच जिले के हुजूरपुर ब्लाक अंतर्गत पातूपुर गांव के किसान राम निवास सिंह, विशेश्वरगंज ब्लाक के शेखापुर निवासी विनोद सिंह तथा पयागपुर ब्लाक अंतर्गत मैनापुर निवासी अर्जुन तिवारी इत्यादि किसानों ने प्रशासन के प्रोत्साहन पर नेपियर घास की खेती शुरू की थी। इन्हें देखकर अन्य किसान भी इसके उत्पादन में लग गये हैं।
इसी प्रकार सहारनपुर में अपनी पोस्टिंग के दौरान दिनेश सिंह ने नेपियर घास के अधिकाधिक उत्पादन हेतु किसानों को तथा गोशालाओं के संचालकों को इसे चारे के रूप में उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहित किया था।
डीएम जौनपुर ने प्रदेश भर के किसानों से अनुरोध किया कि वह अधिक से अधिक संख्या में आगे आकर नेपियर घास का उत्पादन करें, और अपनी व प्रदेश की समृद्धि में योगदान दें।