BHU में संत रामप्रसाद दास और उमेश कबीर द्वारा संत रविदास के भजनों का गायन
वाराणसी। संत रविदास जयंती के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संत रविदास और उनका साहित्य’ विषयक संगोष्ठी तथा संत रामप्रसाद दास जी और श्री उमेश कबीर द्वारा संत रविदास के भजनों के गायन का आयोजन किया गयाI संत रामप्रसाद दास जी ने जब ‘मन लागो मेरा यार फकीरी में……’ एवं ‘ मोरे हीरा हेरा गए कचरे में….’ गाया तो सभी श्रोतागण झूम उठेI कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. चौथीराम यादव ने कहा कि मध्यकाल के दो विद्रोही कवि है- पहले कबीर एवं दूसरी मीरा बाईI मीराबाई को यह तेवर उनके गुरु रविदास से ही मिला थाI मीराबाई के साथ लोक खड़ा था इसलिए वह बच पाईI हिंदी में मीराबाई से नारी आन्दोलन शुरू हुआI उन्होंने आगे कहा कि पहली सामाजिक क्रांति बौद्ध धर्म की, दूसरी संतों एवं भक्तों की एवं तीसरी बाबा साहेब एवं फुले की थीI रविदास ने बुद्ध की परंपरा को ही स्वीकार कियाI इसका कारण यह था कि बौद्ध धर्म मानवीय एवं समता के आधार को लेकर चलाI रविदास भी मन की शुद्धता ईवा उदारता पर ज्यादा जोर देते हैंI कबीर एवं मीरा बाई ने पहली बार दलित एवं स्त्रियों की बात उठाई थीI मध्यकाल की सबसे लोकप्रिय प्रथम रचना ‘रामचरितमानस’ थी वहीं दूसरी रचना नाभादास की ‘भक्तमाल’ थीI विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. राज कुमार ने कहा कि भक्तिकाल के अधिकांश कवि भक्त एवं संत पहले हैं कवि बाद मेंI रविदास गायक कवि हैंI अध्यक्षता कर रहे प्रो. महेश प्रसाद अहिरवार ने कहा कि रविदास सामाजिक विसंगतियों को दूर करने की बात करते हैI उनके पद में उनकी जाति का वर्णन तो मिलता है पर जूते गांठने जिक्र नही हैंI उन्होंने प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि क्या रविदास ईश्वर भक्त हो सकते हैं? इसके पूर्व स्वागत वक्तव्य केंद्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने देते हुए कहा की भक्तिकाल लोक जागरण का काल हैI भक्तिकाव्य सामाजिक बदलाव का साहित्य हैI इस काल में ही लोक भाषाओं को प्रतिष्ठा मिलती हैं क्योकि इस समय के अधिकांश संतों ने अपनी वाणी के माध्यम से लोक भाषा का प्रयोग कियाI इन कवियों ने बुद्धिजीवी और श्रमजीवी के बीच की खाई को दूर कियाI इस कार्यक्रम में अन्य वक्ता के रूप में डॉ. प्रियंका सोनकर, डॉ. राज कुमार मीणा एवं डॉ. रवि शंकर सोनकर थेI कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. महेंद्र प्रसाद कुशवाहा ने दियाI कार्यक्रम में डॉ. उषा त्रिपाठी, डॉ. राजीव वर्मा, प्रो. आर. के. मंडल, डॉ. विन्ध्याचल यादव, डॉ. राहुल मौर्य, डॉ. रमेश लाल, श्री अरविन्द पाल एवं शोधार्थीगण रंजीत, दिव्याअंशी, कुंतालिका, अभिषेक, विदिशा सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं अध्यापकगण उपस्थित थे I