फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में शरीक बुद्धिजीवियों की राय हिंदी के जरिए विज्ञान और तकनीक का व्यापक विस्तार संभव

उद्घाटन से समापन तक का संचालन संभाला डीआरडीओ की अधिकारी अनुराधा पांडेय ने


नांदी (फिजी)। हिंदी बोलने-जानने व उसके प्रति अनुराग रखने वाले विश्व के सभी नागरिकों के बीच हिंदी को संपर्क-संवाद की भाषा के रूप में विकसित करने के लिए नियमित अंतराल पर आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलनों के क्रम में दिनांक 15 फरवरी, 2023 से 17 फरवरी 2023 के मध्यप्रशांत क्षेत्र के फिजी देश के नांदी नगर में आयोजित हुआ 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन एक सफल और परिणामकारी सम्मेलन सिद्ध हुआ। विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन से लेकर समापन तक संचालन का दायित्व संभालने वाली अनुराधा पांडेय ने आज शाम फोन पर यह जानकारी दी। अनुराधा पांडेय डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की अधिकारी हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अनुराधा पांडेय की अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभा संचालन की विशेषज्ञता की खास तौर पर सराहना की है।
विश्व हिंदी सम्मेलन में शरीक हुए दुनियाभर के बुद्धिजीवियों का हिंदी को लेकर क्या रुख रहा, यह पूछने पर अनुराधा पांडेय ने कहा कि 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सम्मिलित भारत और फिजी सहित विश्व के अन्य देशों के सभी प्रतिनिधियों का यह समवेत अभिमत रहा है कि भारतीय ज्ञान परंपरा और अन्य पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को, कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसी अधुनातन सूचना, ज्ञान एवं अनुसंधान की तकनीक का हिंदी के माध्यम से प्रयोग करते हुए विश्व की बहुत बड़ी जनसंख्या तक पहुंचाया जा सकता है।
प्रतिस्पर्धा और प्रतियोगिता पर आधारित विश्व व्यवस्था को सहकार, समावेशन और सह-अस्तित्व पर आधारित वैकल्पिक सभ्यता दृष्टि प्रदान करने में हिंदी एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकती है। इस अभिमत के साथ 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का स्पष्ट मत यह भी है कि वसुधैव कुटम्बकम की भावना और अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति का विश्व-बाजार सर्वे भवन्तु सुखिन: की सभ्यता दृष्टि पर निर्मित किया जा सकता है।
अनुराधा ने बताया कि विश्व के लगभग सभी महाद्वीपों में प्रवासित भारतवंशियों ने अपने कठोर परिश्रम से प्रवासन वाले देशों के प्रति निष्ठा के साथ एक विशिष्ट विश्व व्यवस्था की निर्मिति में अप्रतिम योगदान दिया है। भाषा, ज्ञान, परंपरा और संस्कृति दृष्टि को विश्वव्यापी बनाने में गिरमिटिया जन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिनके द्वारा आज भी फिजी सहित विश्व के विविध देशों में रामकथा व भजन मंडलियों की जीवंत परंपरा से अपनी प्रासंगिक भूमिका का निर्वहन किया जा रहा है।
यह बात भी रेखांकित हुई कि सूचना प्रौद्योगिकी कृत्रिम मेधा जैसी अद्यतन ज्ञान प्रणालियों का समुचित उपयोग करते हुए हिंदी मीडिया, सिनेमा और जनसंचार के विविध नए माध्यमों ने हिंदी को विश्व भाषा के रूप में विस्तारित करने की संभावनाओं के नव द्वार खोले हैं।
सम्पूर्ण विश्व के समक्ष उपस्थित 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्व कीमहत्वपूर्ण भाषाओं में से अनन्यतम हिंदी, सार्थक परिणामकारी और अपनी अपेक्षित भूमिका का निर्वहन कर सके, इस हेतु हिंदी में प्रवासी साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्रवासी हिंदी साहित्य को विश्वव्यापी बनाने और विश्व की अन्य संस्कृतियों के श्रेष्ठतर मूल्यों का हिंदी में समावेशन करने के लिए अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए कृत्रिम मेधा, मशीनी अनुवाद और अनुवाद की पारंपरिक प्रविधियों के विविध पर्यायों का सामंजस्यपूर्ण अनुप्रयोग आवश्यक है।
12वां विश्व हिंदी सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने, उसकी भाषिक क्षमता का विविध ज्ञानानुशासनों में उपयोग करनेके लिए हिंदी शिक्षण में अधुनातन शिक्षण प्रणाली और संसाधनों का प्रयोग प्रभावकारी विधि से किए जाने की आवश्यकता का अनुभव कर रहा है। विश्व सभ्यता को हिंदी की क्षमताओं का समुचित सहकार प्राप्त हो इसके लिए, यह सम्मेलन विश्व हिंदी सचिवालय को बहुराष्ट्रीय संस्था के रूप में विकसित करने तथा प्रशांत क्षेत्र सहित विश्व के अन्य भागों में इसके क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता का भी अनुभव कर रहा है।
अनुराधा पांडेय ने बताया कि इस बार 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन ने यह अनुभव किया है कि वैश्विक स्तर पर उपर्युक्त भूमिका का निर्वाहन केवल सरकारों का ही दायित्व नहीं है अपितु इसके लिए विश्व के समस्त हिंदी सेवी और समर्थक जन को सामूहिक यत्न करते हुए श्रेष्ठ और सुखमय विश्व के निर्माण में अपनी योग्य भूमिका का निर्वहन सुनिश्चित करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button