BHU में पहलीबार बार हुआ टीएम जॉइंट प्रत्यारोपण

वाराणसी। शुक्रवार से शुरू हुई ओरल सर्जरी विभाग, दांत रोग संस्थान भू में तीन दिवसीय वर्कशॉप।आ पहले दिन इस वर्कशॉप में दो अत्यंत जटिल सर्जरी को दिखाया गया।इस वर्कशॉप में भारत में इस ऑपरेशन के जनक माने जाने वाले डॉ आर एस नीएलकंदन, डॉ दर्पण वि डॉ पुनीत वाधवानी ऑपरेशन की टीम को लीड किया। इस वर्कशॉप में भारत भर से आये १०० से ज़्यादा लोग हिस्सा लिया।इसमें नेपाल साउथ अफ़्रीका मलेशिया से भी डॉक्टर्स हिस्सा ले रहे।वर्कशॉप की ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ प्रीति तिवारी ने बताया कि इस तरह का ये बीएचयू में पहला आयोजन है जिसमैं जबड़े ने खुलने की समस्या टीएमजे एंक्यूलोसिस के लिए प्रोस्थेसिस लगाकर ऑपरेशन हुआ।उद्घाटन समारोह में मुख्य स्थिति पद्मश्री सरोज चूड़ामणि गोपाल ने टीएमजए एंक्यूलोसिस के ऑपरेशन ने किस प्रकार से पूरी तरह से नवीनीकरण आ गया है|
आईएमएस डायरेक्टर प्रद एस कि सिंह ne बताया कि किस प्रकार से ऐसे आयोजनों से रेसिडेंट की ट्रेनिंग को बढ़ावा मिलता है।दांत रोग विभाग के डीन प्रॉफ़ से के बरनावल ने ओरल सर्जरी विभाग को बधाई दी और कहा की ऐसे आयोजनों से विभाग ने पहली बार बार इस तरह का ऑपरेशन किया गया।
ट्रामा सेंटर के प्रॉफ़ प्रभारी डॉ सौरभ सिंह ने बताया की किस प्रकार से हाल में किए गये बदलावों से इस तरह के आयोजन और ऑपरेशन किए जा रहे।
आयोजन में दांत रोग के सीनियर प्रोफेसर टी पी चतुर्वेदी ने डॉ सरोज चूड़ामणि को सम्मानित किया
ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ नरेश शर्मा ने बताया कि उत्तर भारत में ये समस्या अन्य जगहों से ज्यादा पायी जाती है। डॉ चंद्रेश जसवारा ne बताया की ये समय ऑपरेशन के बाद दोबारा ना आये इसमें नयी विधि काफ़ी कारगर होती है।
डॉ नीरज धीमान ने बताया की इस वर्कशॉप के ज़रिए BHU के बाहर के भी सर्जन को ट्रेनिंग मिलेगी।
डॉ प्रीति तिवारी ने बताया के ट्रामा सेंटर के प्रभारी डॉ सौरभ सिंह के सहयोग से सभी मरेजो का लगभग फ्री का ऑपरेशन हो रहा। अन्यथा इस ऑपरेशन me एक – पाँच लाख तक का खर्चा होता है।
उद्घाटन में आईएमएस व ट्रामा सेंटर के वरिष्ट चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।

 

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