मनुवादी व्यवस्था में दलितों को ज़मीन का अधिकार नहीं था, इसीलिए योगी जी ने बदले नियम- शाहनवाज़ आलम
कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए जमींदारी उन्मूलन एवम भूमि सुधार अधिनियम 1950 ने दलितों को किया सशक्त
लखनऊ. दलितों की ज़मीन खरीदने में डीएम की अनुमति की बाध्यता खत्म करके योगी सरकार फिर से दलितों को सामाजिक तौर पर मजबूत जातियों का गुलाम बनाना चाहती है. अब भाजपाई गुंडे दलितों की ज़मीन धमकाकर लिखवा लेंगे. ये बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी विज्ञप्ति में कहीं.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवम भूमि सुधार अधिनियम 1950 के तहत तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दलितों को ज़मीन का मालिक बनाने व मजबूत जातियों से उनकी ज़मीन की रक्षा के लिए यह क़ानून बनाया था. इस क़ानून में यह प्रावधान था कि दलित परिवार से कोई गैर दलित व्यक्ति तीन परिस्थितियों में ही खरीद सकता है. पहला, जब उसके पास उक्त ज़मीन को बेचने के बाद भी 3.125 एकड़ ज़मीन बचती हो. दूसरा, यदि परिवार में किसी को जानलेवा बीमारी हो तो उसके इलाज के लिए ज़मीन बेच सकता है. तीसरा, यदि दलित परिवार किसी दूसरे राज्य में बसने जा रहा हो तो अपनी ज़मीन बेच सकता है. इस पूरी प्रक्रिया में डीएम जाँच के बाद अनुमति देता था.
उन्होंने कहा कि इस क़ानून के चलते ही कांग्रेस सरकारों द्वारा दलितों को दिए गए ज़मीन के पट्टे उनसे ऊँची जातियों के लोग नहीं छीन पाते थे. दलितों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में इस क़ानून का सबसे बड़ा योगदान है.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अब योगी सरकार फिर से दलितों की ज़मीनों पर सामंती तत्वों का क़ब्ज़ा दिलाने और पुरानी सामंती व्यवस्था को लागू करने के लिए इस क़ानून को बदल रही है. उन्होंने कहा कि दलितों को समझना चाहिए कि जब भाजपा हिंदू राष्ट्र की बात करती है तो वह प्राचीन मनुवादी व्यवस्था को ही लागू करना चाहती है जिसमें दलितों को ज़मीन रखने का अधिकार नहीं होगा.