आईसीएआर ने बीएचयू – ईरी सहयोग से तैयार धान की नई किस्म को किया पास

आईसीएआर ने बीएचयू – ईरी सहयोग से तैयार धान की नई किस्म को किया पास

 

लगातार तीन वर्षों के अखिल भारतीय परीक्षण में उत्तम प्रदर्शन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) की वैराइटल आईडेंटिफिकेशन कमेटी ने अपनी 98वे वार्षिक धान ग्रुप मीटिंग की बैठक जो कि आसाम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहट, आसाम में पिछले 4 एवं 5 मई 2023 को संपन्न हुई, बीएचयू-ईरी के सहयोग से विकसित धान की नई किस्म ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ को पास कर दिया है l यह किस्म लगभग 15 वर्षों के कठिन परिश्रम से बीएचयू के प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह के नेतृत्व में उनके वैज्ञानिकों की टीम डॉ. जयसुधा एस., डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. आकांक्षा सिंह तथा अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ईरी ) मनीला, फिलिपींस के वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार तथा डॉ. विकास कुमार सिंह ने मिलकर तैयार किया है। इस किस्म को कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश ने भी अपने 3 वर्षों के पूरे प्रदेश में परीक्षण के आधार पर उत्तर प्रदेश में रिलीज की अनुमति दे दी है । यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है जो 115 से 120 दिन में रोपाई की अवस्था में पक जाती है । मध्यम लम्बाई वाली किस्म है जिसकी लंबाई 102 से 110 सेंटीमीटर है। इसकी उपज क्षमता 55 से 64 कुंतल प्रति हेक्टेयर है । इसकी हलिंग, मिलिंग तथा खड़ा चावल निकलने का प्रतिशत अधिक है जो क्रमशः 79.90%, 68.50% तथा 63.50% है। इसके चावल की लंबाई 7.0 मिलीमीटर तथा पतलाई 2.1मिलीमीटर है जो एक लंबा पतला चावल है ।‌ यह बहुत सारे प्रमुख रोगों तथा कीट पतंगों के लिए प्रतिरोधी / सहनशील है, जैसे; लीफ स्पॉट, ब्राउन स्पॉट, बैक्टीरियल लीफब्लाइट , स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर, ब्राउन प्लांट हापर, गालमिज इत्यादि। किसानों को इसका बीज अगले वर्ष खरीफ 2024 में उपलब्ध हो जाएगा । प्रो. सिंह ने बताया कि वह पूर्ण रूप से आस्वस्थ हैं कि भगवान काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से इस किस्म का कम दिन में तैयार होकर अधिक उपज क्षमता, पतला और लंबा दाना, अधिक मूल्य दिलाने वाला चावल तथा अन्य अच्छे गुणों के कारण उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा के किसानों की आमदनी दुगना करने तथा उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में पूर्ण सहयोग करेगी।

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