काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को ख्याति व प्रतिष्ठा के उच्चतम शिखर पर ले जाने की क्षमता रखता है बीएचयू का आयुर्वेद संकायः कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन

कुलपति ने किया आयुर्वेद संकाय के शिक्षकों के साथ संवाद

 

वाराणसी: कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद संकाय में अपार संभावनाएं व क्षमताएं हैं, जिनका भरपूर इस्तेमाल करने के लिए अभी काफी काम करने की ज़रूरत है। संकाय स्थित धनवन्तरि सभागार में शिक्षकों से साथ संवाद के दौरान प्रो. जैन ने कहा कि आधुनिक विज्ञान व आधुनिक चिकित्सा की विभिन्न विधाओं के साथ आयुर्वेद का अंतर्विषयी अनुसंधान न सिर्फ विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठा की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है बल्कि भारतीय ज्ञान भंडार को वैश्विक पटल पर स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कुलपति जी ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद के अध्ययन व अनुसंधान की जो संभावनाएं एवं अवसर हैं, वे बेजोड़ है। इसके साथ साथ यहां आधुनिक विज्ञान की विभिन्न विधाओं के साथ इंटर-डिसिप्लिनरी शोध का वातावरण बीएचयू को दुनिया में अनूठा संस्थान बनाता है, ऐसे में हमें चाहिए कि हम अपनी क्षमता को पहचानें तथा इसके अनुरूप कार्य करें। कुलपति जी ने संकाय सदस्यों की विभिन्न चुनौतियों, चिंताओं व समस्याओं को सुना व उन्हें आश्वस्त किया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने सदस्यों को एक बेहतर व स्वस्थ कार्य वातावरण व आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में गंभीरता के साथ काम किया जा रहा है। प्रो. जैन ने कहा कि जिस तरह आय़ुर्वेद में स्वस्थ मन, मस्तिष्क और विचार की बात करते हुए समग्र स्वास्थ्य पर ज़ोर दिया जाता है, उसी प्रकार हमें भी एक स्वस्थ और सकारात्मक कार्यस्थल और विश्वविद्यालय की संकल्पना को साकार करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।

कुलपति जी ने कहा कि हम एक व्यक्ति के तौर पर बहुत अच्छे इंसान हो सकते हैं, लेकिन आवश्यक यह है कि हम एक टीम के सदस्य के रूप में भी अच्छे और प्रभावी बने रहें। उनहोंने संकाय सदस्यों का आह्वान किया कि वे ऐसे वातावरण का निर्माण करने में योगदान दे, जहां सभी लोग आपस में बैठकर जटिल से जटिल समस्याओं का भी समाधान खोज लें, तथा विवाद की स्थिति ही उत्पन्न न हो। संकाय सदस्यों द्वारा स्थान की कमी, प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण, तकनीकी व अन्य कर्मियों की कमी, ओपीडी के समय व स्थान, पुस्तकालय, पुराने भवन की मरम्मत आदि जैसे अनेक विषय उठाए गए। कुलपति जी ने स्थान व संसाधनों के कुशल प्रबंधन पर ज़ोर दिया और कहा कि विश्वविद्यालय में सुचारू व गुणवत्तापरक पठन-पाठन व शोध के लिए धन व संसाधनों की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी।

प्रो. जैन ने कहा कि उन्हें युवा संकाय सदस्यों से काफी उम्मीदें हैं और विश्वविद्यालय का प्रयास है कि वरिष्ठजनों के मार्गदर्शन एवं उनके अनुभव से लाभ लेते हुए युवा शिक्षकों में नेतृत्व तथा शैक्षणिक प्रशासन की क्षमताएं विकसित हों। संवाद कार्यक्रम में आयुर्वेद संकाय के प्रमुख प्रो. कमल नयन द्विवेदी, संकाय के वरिष्ठतम सदस्य प्रो. पी. के. गोस्वामी समेत अनेक विभागाध्यक्ष, शिक्षक व शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

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