काशी में निर्जला एकादशी पर जल को बचाने का संकल्प
वाराणसी। जेठ माह के एकादशी तिथि पर आज गोस्वामी तुलसीदास जी के कर्मभूमि तुलसी घाट पर जल को बचाने का संकल्प लिया गया ।अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास जी के महंत प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र के सानिध्य में गंगा स्नान कर रहे लोगों ने जल को बचाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर महंत प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र ने कहा कि निर्जला एकादशी का बहुत ही धार्मिक एवं पौराणिक महत्वहै । हमारे ऋषि-मुनियों ने जल की महत्ता को देखते हुए निर्जला एकादशी का महत्व बताया है ।आज के दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत कर रखने का यह यह तात्पर्य है कि आज हम एक दिन जो जल बचाएंगे वह हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित होगा। जिस तरह से हमारी प्राकृतिक जल स्रोतों का दोहन हो रहा है उससे आने वाले समय में पानी का बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो जाएगा। इसलिए आज हमें पानी को बचाने की बहुत ही जरूरत है। मां गंगा को हमारे स्वार्थ ने प्रदूषित कर दिया है मां गंगा को हमें प्रदूषण मुक्त करना होगा यह हमारे जीवन का आधार है। आइए आज हम लोग संकल्प लें कि हम पानी को बर्बाद नहीं होने देंगे और पानी का उपयोग उतना ही करेंगे जितना हमारे लिए जरूरी है। इस अवसर पर नगर के कुंडो तालाबों के संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे पर्यावरण प्रहरी रामयश मिश्र ने कहा कि निर्जला एकादशी कहीं ना कहीं हमें जल को बचाने का एक संदेश देती है। जल हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है यह निर्जला एकादशी व्रत के माध्यम से हम जान सकते हैं। जल ही जीवन का आधार है अगर जल नहीं तो जीवन नहीं है। इसलिए आइए हम सब गंगा के तट पर खड़े होकर चल को बचाने का संकल्प लें। इस अवसर पर समाजसेवी मदन गोपाल पांडे, पहलवान मनोज यादव, मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य संजय प्रियदर्शी ने कहा कि जल ही जीवन को बचाने का प्रमुख आधार है जल नहीं रहेगा तो जीव जंतु सभी के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा इसलिए आइए हम जल को बचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें । कार्यक्रम का संयोजन रामयश मिश्र ने किया तथा धन्यवाद वरिष्ठ स्तंभकार यशपाल कुमार ने किया।