यूपी में 50 रुपये के स्टांप पेपर अब नहीं होगा पॉवर ऑफ अटॉर्नी

लखनऊ। प्रदेश में अचल संपत्ति की बिक्री के लिए अब 50 रुपये के स्टांप पेपर पर पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं होगा। खून के रिश्ते से अलग किसी भी तरह की खरीद फरोख्त में पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करने पर सर्किल रेट के आधार पर स्टांप शुल्क देना होगा। वाराणसी समेत पूरे यूपी में फ्लैट-प्लॉट खरीदने की योजना बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर नए नियम के तहत स्टांप की सुविधा शुक्रवार से प्रदेशभर में लागू हो गई है।
प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि पावर ऑफ अटॉर्नी पर स्टांप शुल्क की नई व्यवस्था प्रदेशभर में लागू कर दिया गया है। अब अपने खून के रिश्ते से अलग किसी भी तरह की चल-अचल संपत्ति की खरीद में पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करने पर सर्किल रेट के आधार पर स्टांप शुल्क देना होगा। दूसरी तरफ, रिश्तों में पावर ऑफ अटॉर्नी देने पर अधिकतम पांच हजार रुपये स्टांप शुल्क देय होगा। नई व्यवस्था की शुरुआत के पीछे कारण पूछने पर राज्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर किसानों को ठगा जाता रहा है। बिल्डर 50 रुपये के अनुबंध पर ही जमीन की लिखा-पढ़ी करा लेते हैं, फिर जमीन को महंगी दर पर बेचकर अपनी झोली भरते हैं। टैक्स की चोरी भी होती है। किसानों का उत्पीड़न व टैक्स चोरी रोकने के लिए ही पावर ऑफ अटॉर्नी पर लगने वाले शुल्क में बदलाव किया गया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यह बदलाव भारतीय स्टांप अधिनियम के तहत हुआ है। रजिस्ट्री कराने के दौरान अब ज्यादातर ई-स्टांप का प्रयोग हो रहा है। ई-स्टांप कोई पेपर पर नहीं छपता, बल्कि शुल्क जमा करने के बाद उतनी धनराशि की मोहर लगा दी जाती है। इससे पेपर बचता है। स्टांप प्रिंटिंग का खर्च भी बच जाता है।

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