प्रशासनिक सुधार: बीएचयू ने अपने पेंशनभोगियों के लिए आरंभ की डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र सुविधा

प्रशासनिक सुधार: बीएचयू ने अपने पेंशनभोगियों के लिए आरंभ की डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र सुविधा
*• पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए व्यक्तिगत रूप से नहीं होना होगा उपस्थित*
*• दुनिया भर में फैले विश्वविद्यालय के 6000 से अधिक पेंशनभोगियों को मिलेगी राहत*
वाराणसी, 26.06.2023: अपने प्रशासनिक व वित्तीय ढांचे को अधिक प्रभावी, प्रतिक्रियात्मक एवं लोगों के अनुकूल बनाने की ओर अग्रसर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण क़दम उठाते हुए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र सुविधा तत्काल प्रभाव से आरंभ कर दी है। यह सुविधा आरंभ होने से दुनिया भर में फैले विश्वविद्यालय के 6000 से अधिक पेंशनभोगियों को लाभ होगा और वे कहीं से भी अपना जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। पेशनभोगियों के लिए हर वर्ष जीवन प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक होता है। फिलहाल वे बैंक के माध्यम से अथवा बीएचयू के पेंशन अनुभाग में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर ऐसा कर सकते हैं। लेकिन यह सभी के लिए संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में कई बार पेंशनभोगियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी के मद्देनज़र विश्वविद्यालय द्वारा आधार बायोमीट्रिक सत्यापन पर आधारित “जीवन प्रमाण पोर्टल” के माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र सुविधा आरंभ करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए पेंशनभोगियों को नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेन्टर (NIC) के पोर्टल www.jeevanpramaan.gov.in पर जाकर स्वयं को पंजीकृत करना होगा तथा अपनी बैंकिंग, सम्पर्क, बायोमीट्रिक व अन्य आवश्यक जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इस के बाद पोर्टल द्वारा आधार प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बायोमीट्रिक जानकारी का सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के पश्चात पेंशनभोगी को एसएमएस अथवा जीवन प्रमाण पत्र आईडी के रूप में स्वीकृति प्राप्त होगी। यह प्रमाण पत्र बिना किसी व्यक्तिगत उपस्थिति के पेंशन संवितरण प्राधिकारी को प्रेषित किया जा सकता है।

ऐसे परिवार/आश्रित पेंशनभोगी, जिन्हें जीवन प्रमाण पत्र के साथ ‘अविवाहित’ या ‘बेरोजगार’ प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक है, उन्हें पेंशन संवितरण अधिकारी को पारंपरिक तरीके से ही यह प्रमाण पत्र जमा करना होगा।

वित्ताधिकारी डॉ. अभय कुमार ठादुर ने कहा कि इस सुविधा की शुरुआत कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की उस प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जिसके तहत विश्विवद्यालय में व्यवस्थागत प्रक्रियाओं को सरल तथा लोगों के अनुकूल बनाया जाएगा ताकि सुविधाएं सुचारू रूप से व बिना किसी अड़चन के लाभार्थियों तक पंहुचें। वित्ताधिकारी ने विश्वास जताया कि यह सुविधा विश्वविद्यालयी व्यवस्था में ई-गवरनेंस को आगे ले जाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। गौरतलब है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इस सुविधा को आरंभ करने वाले भारत के चुनिंदा उच्च शिक्षण संस्थानों में शामिल हो गया है।

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