लमही में गूंजा प्रेमचंद का मंत्र अमर रहे
लमही में गूंजा प्रेमचंद का मंत्र अमर रहे
*विशाल भारत संस्थान ने निकाला मन्त्र मार्च*
*महान उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द के जन्मदिवस पर लमही में निकला मन्त्र मार्च*
*लमही गांव में आज भी रहते है मुंशी जी के कहानियों के कई किरदार*
*लमही में प्रेमचंद का मंत्र अमर रहे, नमक का दरोगा अमर रहे का नारा गुंजा*
वाराणसी, 30 जुलाई। महान उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के जन्मदिवस के अवसर पर उनके पैतृक गांव लमही में विशाल भारत संस्थान द्वारा मन्त्र मार्च एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुंशी प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी मन्त्र के नाम पर सुभाष भवन से प्रेमचंद के पैतृक आवास तक विशाल भारत रंगमंच के कार्यकर्त्ताओं एवं कलाकारों ने मन्त्र मार्च निकालकर प्रेमचन्द को याद किया। साथ ही लमही स्थित सुभाष भवन में प्रेमचन्द की लमही–साहित्यिक पथ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुंशी प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों के किरदार आज भी लमही गांव में जीवंत है। प्रेमचन्द ने उर्दू और हिन्दी मंं कहानियां लिखी। उनकी कहानियों के पात्र आज भी लोगों को प्रेरणा देते है। मुंशी प्रेमचन्द को तो दुनियां याद करती है। आज सुभाष भवन से निकले मार्च में बाल कलाकारों ने भी भाग लिया। मार्च का नेतृत्व विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने किया।
संगोष्ठी के मुख्यवक्ता रामपंथ के धर्मप्रवक्ता डा० कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव एवं अध्यक्षता कर रहे ज्ञान प्रकाश ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के मंदिर में माल्यर्पण एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर डा० कवीन्द्र नारायण ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द का साहित्य लेखन साहित्य समाज का दर्पण है। राजा से उतरकर प्रजा पर साहित्य लेखन करना बहुत बड़ी बात है। मुंशी प्रेमचन्द ने समाज की महिलाओं को साहित्य में स्थान देकर साहित्य लेखन के जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन किया क्योंकि उन्होंने समाज में घटित हो रही घटनाओं को ही अपने लेखन के माध्यम से प्रस्तुत किया।
अध्यक्षता कर रहे ज्ञान प्रकाश ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द के साहित्य जगत में आने के बाद लोगों ने कहा कि कलम की ताकत तलवार से भी ज्यादा होती है। उनका साहित्य समाज, दलित वर्ग, महिलाओं एवं निचले तबके का चित्रण है। मुंशी प्रेमचन्द का साहित्य सदैव ही समाज का वास्तविक दर्पण बनकर साहित्य जगत को रौशन करता रहेगा।
युवा साहित्यकार माज अहमद, शिवम पाठक ने अपने विचार व्यक्त किये एवं श्रद्धा चतुर्वेदी ने आशा नामक प्रेरणादायक कहानी का मंचन किया। उदय प्रताप पब्लिक स्कूल की बच्चियों श्रेया, रूद्रा, सोना, उद्देशिका, पिहू, प्राप्ति, प्रकृति, काव्या हिमानी एवं श्रुति ने चैती एवं कजरी के गायन की प्रस्तुति की। गायन प्रस्तुत करने वाली बच्चियों को प्रशस्ति पत्र वितरित किया गया।
संगोष्ठी का संचालन विशाल भारत रंगमंच के संयोजक प्रांजल श्रीवास्तव ने किया एवं धन्यवाद संस्थान की राष्ट्रीय महासिचव डा० अर्चना भारतवंशी ने किया।
संगोष्ठी में नजमा परवीन, डा० मृदुला जायसवाल, सुनीता श्रीवास्तव, बिन्दू, धनेसरा, रमता श्रीवास्तव, सरोज देवी, शमसुननिशा, प्रभावती, पार्वती, हिरामनी, किशुना, ममता, अंजू, किरन, राजकुमारी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, शिखा, राधा, आकांक्षा, रिया आदि लोग मौजूद रहे।