30 करोड़ का ब्राउन शुगर जब्त, छह आरोपी गिरफ्तार

30 करोड़ का ब्राउन शुगर जब्त, छह आरोपी गिरफ्तार
– सीमांचल में सक्रिय है मादक तस्कर गिरोह, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप जुटी जांच में
सिलीगुड़ी: ड्रग तस्करी के फैलते जाल के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह ने भी अपने पांव जमा लिया है। इसके हर मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद नेटवर्क ध्वस्त लगता है। फिर नया किंगपिन कमान थाम लेता है। इसी प्रकार सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम ने प्रधान नगर थाने की पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चलाकर 30 करोड़ रुपये की ब्राउन शुगर के साथ छह आरोपितों को बीती रात गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों के नाम परिमल राय, बाबर अली, गफर अली, सलीम शेख, तजिबुर रहमान और करीबुल इस्लाम है।आरोपितों में बाबर, गफर, सलीम, तजिबुर और करीबुल मुर्शिदाबाद का और परिमल नक्सलबाड़ी का निवास है। बताया जा रहा है कि मुर्शिदाबाद से बाबर और गफर दोनों करोड़ों रूपये की ब्राउन शुगर लेकर सिलीगुड़ी डेलीवरी करने पहुंचा था। दार्जिलिंग मोड़ के पास ब्राउन शुगर कि डेलीवरी के लिए घूम रहे थे। तभी परिमल राय बाइक लेकर ब्राउन शुगर की डेलीवरी लेने पहुंचा। तभी एसओजी और प्रधान नगर थाने की पुलिस ने बाबर अली, गफर अली और परिमल राय को धर दबोचा। तलाशी लेने पर तीनों के पास दो किलो ब्राउन शुगर बरामद हुआ। इसके बाद तीनों को एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया। वहीं, तीनों से पूछताछ के एसओजी ने सिलीगुड़ी नगर निगम के एक नंबर वार्ड अंतर्गत राजेंद्र नगर में अभियान चलाकर दो किलो ब्राउन शुगर के साथ सलीम शेख, तजिबुर रहमान और करीबुल इस्लाम को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपितों के पास से कुल चार किलो ब्राउन शुगर जब्त किए गए है। जिसकी अनुमानित बाजार मूल्य 30 करोड़ रुपए है। गिरफ्तार आरोपितों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। बड़ी खेप की बरामदगी के बाद यह सिलसिला लगातार चल रहा है। अब तक 17 सरगना को गिरफ्तार कर चुका है।फिर भी इस नेटवर्क का पांव उखाड़ने के लिए अंतिम कड़ी तक पहुंचने में हाथ-पांव मार रहा है। इस गिरोह की हर कड़ी में मौजूद शख्स एक-दूसरे के नाम-पते से अनजान है। केवल एक डील के लिए कोड के आधार पर सेटिंग होती है। प्रत्येक चरण में मौजूद रिसीवर अपना काम पूरा होते ही अपने मोबाइल का सिम तोड़कर फेंक देता है। अगली खेप में हर लोकेशन पर अलग शख्स का इस्तेमाल किया जाता है।अंतिम कड़ी तक पहुंचना बाकी: फिलवक्त यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ड्रग तस्करों के इस गिरोह के संचालन में डार्क वेब (इंटरनेट की वैसी साइटें, जिन्हें पारंपरिक वेब ब्राउजर से खोजा नहीं जा सकता), जैसी सूचना तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप इसकी जांच कर रही है। जांच में पाया गया कि सड़क किनारे सिम बेचने वालों से गिरोह के लोग थोक में सिम का इंतजाम करते हैं। इसके लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं। हफ्ते भर में सिम को नष्ट कर देते है, ताकि पकड़े जाने पर जांच एजेंसियों को कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकालने पर भी कुछ खास हासिल नही हो।
फर्जी ठिकानों सफेदपोशों से जुड़े हैं तार, सीमांचल, नेपाल-बांग्लादेश में फैला रहे जाल
सफेदपोशों के भी इस धंधे से जुड़े होने की आशंका गहरा रही है । यह गिरोह बंगाल, असम, नेपाल और बांग्लादेश सहित बिहार में हेरोइन, अफीम, अल्प्राजोलम, असिटोमिनोफेम (ब्लैक स्टोन) और कोडिन कफ सीरप की खेप बिहार भेज रहा है। इन्हें नेपाल, सिक्किम, सीमांचल के जिलों पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, खगड़िया, कटिहार आदि में फैलाया जा रहा है। वहां से इसे उत्तर-पूर्व के राज्यों या नेपाल, बांग्लादेश तक पहुंचाया जा रहा है।

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