उत्तर बंगाल में गूंज रहा गणपति बप्पा मोरिया, विदेशों में भी भगवान गणेश की होती है पूजा
शहर में गूंज रहा गणपति बप्पा मोरिया, विदेशों में भी भगवान गणेश की होती है पूजा
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी और आसपास के जिलों में आज से गणपति बाप्पा मोरिया की गूंज है। बिन्नागुडी गयरकट्टा रोड पर गणेश भक्तों ने श्री गणेश को चांद पर लांच कराया है। वही विधान मार्केट में गणपति को पर्यावण को ध्यान में रख बांस के मनमोहक पंडाल में स्थापित किया है। वार्ड 41, 40, 43, 46, 47, 3, 1, 6, 8, 10 में बड़े भी भव्य तरीके से दुर्गापूजा के तर्ज पर पंडाल बनाया गया है। आस्था के आकार और धर्म के धरातल पर भारतीय संस्कृति में गणेशजी को प्रथम पूज्य कहा गया है। वैदिक सनातन धर्म में प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता सिद्धिविनायक भगवान गणेश जी का प्राकट्य दिवस भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के मध्याह्न काल में हुआ। सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को विद्या-बुद्धि का प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षाकारक, सिद्धिदायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान के प्रदान करने वाले देव माने गए हैं। शिवपुराण के अनुसार देवी पार्वती ने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। इस बालक को द्वारपाल बना माता पार्वती ने स्नान से पूर्व आदेश दिया कि वह उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी अन्दर नहीं आने दें और स्नान के लिए चली गई। तभी भगवान शंकर आते हैं और अन्दर जाने का प्रयास करते हैं लेकिन बालक उन्हें अंदर नहीं जाने देता है। भगवान शिव के बार-बार कहने पर भी बालक नहीं मानता है। इससे भगवान शिव को क्रोध आ जाता है और वे अपने त्रिशूल से बालक के सिर को धड़ से अलग कर देते हैं। इससे माता पार्वती क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने मां जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। तब मृत्युंजय भगवान रुद्र ने बालक के धड़ पर गज मस्तक रखकर उसे पुनर्जीवित किया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक को आशीर्वाद देते हुए कहा हे गिरिजानंदन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। उन्होंने बालक को सब का पूज्य बनाकर अपने समस्तगणों का अध्यक्ष बनाने की घोषणा की और कहा कि हे गणेश्वर! तुम भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुए हो, इस स्थिति में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश होगा और सब सिद्धियां प्राप्त होगी। इस दिन व्रत से प्रसन्न होकर गणेश जी सब संकट दूर कर देते हैं।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन निषिद्ध किया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। यदि दैववश चंद्र दर्शन हो जाएं तो इस दोष शमन के लिए स्यमन्तक मणि का आख्यान सुनना चाहिए। सृष्टि निर्माण के समय ब्रह्मा जी के समक्ष जब सब बाधाएं उत्पन्न होने लगीं तो उन्होंने गणेश की स्तुति कर सृष्टि निर्माण निर्विघ्न संपन्न होने का वर मांगा। उस दिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। गणेश जी ने अभीष्ट वर प्रदान किया, तब से इसी दिन से गणेश उत्सव मनाया जाता है।
इसी दिन जब गणेश जी पृथ्वी लोक पर आ रहे थे, तब चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास उड़ाया। तब गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज के दिन जो भी तुम्हें देखेगा वह मिथ्या कलंक का भागी होगा। चंद्रमा लज्जित हुए, तब ब्रह्माजी तथा देवताओं की प्रार्थना पर चंद्रमा को क्षमा करते हुए श्री गणेश ने कहा जो शुक्लपक्ष की द्वितीया के चंद्र दर्शन करके चतुर्थी को मेरा विधिवत् पूजन करेगा, उसे चंद्र दर्शन का दोष नहीं लगेगा।
हम भारतीय सभी मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करते हैं। ‘विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा। संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते। इस बार का ध्यान रखें कि गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा ही घर लेकर आएं। बप्पा को आप अपने घर में तीन, पांच, सात या फिर पूरे दस दिन के लिए रख सकते हैं। गणेश जी की प्रतिमा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही रखें। इस दिन गणेश जी को पीले वस्त्र ही पहनाएं और खुद भी इस दिन पीले वस्त्र धारण करें। कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए, तो बप्पा प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा जातक पर बरसाते हैं ।गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें, तो उनके सामने एक कलश रखें। इस कलश में एक सुपारी और कुछ सिक्के डालें। गणेश जी की प्रतिमा का पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं। बप्पा से विराजित होने की प्रार्थना करें। स्थापना के बाद गजानन को रोली और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद उन्हें माला पहनाएं और पुष्प अर्पित करें। भगवान के सामने दीप जलाएं। गणेश जी की पूजा में भोग लगाना ना भूलें। इसके लिए उन्हें मोदक या बूंदी के लड्डू का भोग लगा सकते हैं। गणेश जी की पूजा करते समय उन्हें दूब अर्पित करें। बप्पा को दूब बहुत प्रिय है। वहीं, गणेश जी को तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए। जहां भी बप्पा का विराजित करते हैं, वहां उन्हें अकेला न छोड़ें। रात में भी आप वहीं सोएं। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नान आदि से निवृत्त होकर गणेश जी की सेवा करें। हर शाम उनकी आरती करें।इस बात का ध्यान रहे कि आपके घर में गणेश जी (Ganesh) विराजित हैं, तो किसी भी प्रकार का बुरा काम न करें। किसी को भी कष्ट न पहुंचाएं और ना ही अपशब्द बोलें। गणेश जी को पशु-पक्षी प्रिय हैं, तो इस दौरान उनकी सेवा करें, उन्हें दाना पानी दें। गणेश उत्सव के दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित होता है। इस दौरान काले कपड़े भी नहीं पहनना चाहिए। हर जगह जगह भगवान गणेश के अलग-अलग रूपों की प्रतिमा स्थापित की जाती है। 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन यदि भक्त चाहते हैं कि उनकी पूजा को उन्हें दोगुना फल मिले तो इस दिन कुछ अचूक उपाय अपना सकते हैं. जिससे कि बप्पा की विशेष कृपा बरसेगी। आइए इन उपायों के बारे में विस्तार से जानें। धन की कभी नहीं होगी कमी: गणेश चतुर्थी के पहले दिन भक्त भगवान गणेश को पूजा के दौरान दूर्वा जरूर अर्पित करें. यह बप्पा को अति प्रिय है. इसलिए इस दूर्वा और हल्दी की 11 गांठ लेकर इसे पीले कपड़े में बांध लें। इसके बाद हर रोज अंनत चतुर्दशी के दिन तक इसकी पूजा करें. आखिर में इसे घर की तिजोरी में रख दें. इससे कभी घर में धन की कमी नहीं होगी।मनोकामना होगी पूरी: यदि भक्तों को अपनी मनचाही इच्छा को पूरा करना है तो गणेश चतुर्थी की शुरूआत से लगातार 10 दिनों तक यानी की अनंत चतुर्दशी के दिन तक पूजा के दौरान गाय की घी में गुड़ मिलाकर भगवान गणेश को भोग लगाना होगा. इससे भगवान भक्तों की मनोकामना पूरी करेंगे।
पूजा का मिलेगा दोगुना फल::भक्त गणेश चतुर्थी के दिन घर में भगवान गणेश यंत्र की स्थापना भी कर सकते हैं. यह घर के लिए शुभ माना जाता है. हां इस बात का जरूर ध्यान रखें कि यंत्र के स्थापना के बाद रोजाना नियमित रूप से इसकी पूजा अर्चना जरूर करें. इससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा गणेश जी कि अथर्वशीर्ष का भी रोज पाठ करें। इससे व्यक्ति को पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा ।मकर राशि वालों के घर दस्तक देने वाली हैं खुशियां, जल्द होगी अच्छे दिनों की शुरुआत। यहां श्री गणेश की वैश्विक उपस्थिति, उनकी पूजा किए जाने वाले विभिन्न रूपों, विभिन्न देशों में उन्हें जिन नामों से जाना जाता है, और भारत की सीमाओं से परे उनसे जुड़ी मान्यताओं की खोज की गई है।
दुनिया भर में श्री गणेश की पूजा नेपाल: एक महत्वपूर्ण हिंदू आबादी वाले भारत के पड़ोसी देश के रूप में, नेपाल भी श्री गणेश का सम्मान करता है। त्योहारों के दौरान अक्सर उनकी पूजा की जाती है, और भगवान गणेश को समर्पित मंदिर नेपाल के विभिन्न हिस्सों में पाए जा सकते हैं।
श्रीलंका: श्रीलंका में, विशेष रूप से तमिल हिंदू समुदाय के बीच, भगवान गणेश व्यापक रूप से पूजे जाने वाले देवता हैं। ऐसा माना जाता है कि वह सौभाग्य लाते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं, जिससे घरों और मंदिरों में उनकी उपस्थिति प्रमुख होती है। थाईलैंड: थाईलैंड में भगवान गणेश को फ्रा फिकानेट के नाम से जाना जाता है। जबकि अधिकांश आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है, गणेश को एक ऐसे देवता के रूप में पूजा जाता है जो चुनौतियों पर काबू पाने में मदद कर सकते हैं, और उनकी छवि कई थाई घरों में पाई जा सकती है।
कंबोडिया: कंबोडिया में गणेश जी को विनायक के नाम से जाना जाता है। उनकी पूजा मुख्य रूप से चाम लोगों द्वारा की जाती है, जो हिंदू मूल का एक जातीय समूह है। कंबोडिया के कुछ क्षेत्रों में भगवान विनायक को समर्पित मंदिर देखे जा सकते हैं।
इंडोनेशिया : इंडोनेशिया में श्री गणेश की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद, इंडोनेशिया में हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म का गहरा इतिहास है। भगवान गणेश, जिन्हें “गणेश” या “गणेश” के नाम से जाना जाता है, विभिन्न समुदायों द्वारा मान्यता प्राप्त और सम्मानित हैं। उनकी छवि इंडोनेशियाई मुद्रा, रुपिया पर भी सुरक्षा और समृद्धि के प्रतीक के रूप में दिखाई देती है। भूटान: बौद्ध परंपराओं से ओत-प्रोत देश भूटान में, भगवान गणेश को एक अभिभावक देवता के रूप में पूजा जाता है जो बाधाओं को दूर कर सकते हैं और सफलता प्रदान कर सकते हैं। उनकी छवि घरों और पूजा स्थलों में पाई जा सकती है।मॉरीशस: एक बड़ी हिंदू आबादी के साथ, मॉरीशस गणेश चतुर्थी को बड़े उत्साह के साथ मनाता है। भगवान गणेश को द्वीप के रक्षक के रूप में देखा जाता है और इस त्योहार के दौरान धूमधाम से उनकी पूजा की जाती है।विदेश में श्री गणेश के नाम एवं मान्यताएँ
हालाँकि भगवान गणेश के बारे में मूल मान्यताएँ दुनिया भर में एक जैसी हैं, उनका नाम अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकता है। नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड में उनका नाम “गणेश” के समान है। कंबोडिया में उन्हें “विनायक” कहा जाता है और भूटान में उन्हें “गणेश” के नाम से जाना जाता है। श्री गणेश से जुड़ी मान्यताएँ भी इन देशों में अपेक्षाकृत एक समान हैं। उन्हें ऐसे देवता के रूप में पूजा जाता है जो बाधाओं को दूर करते हैं, सौभाग्य लाते हैं और ज्ञान और बुद्धिमत्ता के प्रतीक हैं। सुचारू और सफल परिणाम के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों, समारोहों और त्योहारों की शुरुआत में अक्सर भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है।
इंडोनेशियाई मुद्रा पर भगवान गणेश
इंडोनेशियाई रुपिया पर श्री गणेश की उपस्थिति देश की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के प्रमाण के रूप में कार्य करती है। जबकि इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम-बहुल देश है, यह अपनी हिंदू और बौद्ध विरासत को भी पहचानता है और उसका सम्मान करता है। मुद्रा नोटों पर भगवान गणेश की छवि को शामिल करना देश के भीतर सुरक्षा, समृद्धि और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के सह-अस्तित्व का प्रतीक है। श्री गणेश की पूजा भारत की सीमाओं से परे तक फैली हुई है। शुरुआत के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में भगवान गणेश की सार्वभौमिक अपील के कारण नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, कंबोडिया, भूटान, मॉरीशस और विशेष रूप से इंडोनेशिया जैसे देशों में विभिन्न रूपों और विभिन्न नामों से उनकी पूजा की जाती है। विदेश में उनकी उपस्थिति दुनिया भर में इस प्रिय देवता के प्रति स्थायी महत्व और श्रद्धा का प्रमाण है।रिपोर्ट अशोक झा