डेंगू के डंक से बंगालवासी परेशान, राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में सत्ता व विरोधी के बीच जोर आजमाइश

साल्टलेक में डेंगू से फिर 1 मौत, मरने वालों का आकंड़ा 47 के पार

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में डेंगू की स्थिति को “काफी चिंताजनक” बताते हुए राज्य के प्रमुख डॉक्टरों ने बताया कि इस साल वेक्टर जनित बीमारी पिछले वर्षों की तुलना में उतनी गंभीर नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक उन्हें स्थिति में जल्द ही सुधार होने की उम्मीद है क्योंकि बीमारी पहले ही चरम पर पहुंच चुकी है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अपूर्बा घोष ने बताया, ”स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है। लेकिन इसकी गंभीरता पिछले वर्षों की तरह नहीं है। मामले अधिक हैं क्योंकि लोग परीक्षण कर रहे हैं। ज्यादातर मामले घर पर ही ठीक हो रहे हैं।साल्टलेक के दत्ताबाद में फिर एक 52 वर्षीय महिला की डेंगू से मौत हो गयी। मृतक का नाम प्रतिमा मंडल है। मृत्यु प्रमाण पत्र में डेंगू अंकित है। डेंगू से मरने वालों की संख्या बढ़कर 47 हो गया है। डेंगू से चार हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं। बंगाल में डेंगू ने कुछ इस कदर कहर बरपाया है कि राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल डेंगू पीड़ित मरीजों से भरे पड़े हैं। अस्पताल सूत्रों की अगर मानें तो अस्पताल में इलाजरत अधिकतर मरीजों की प्लेटलेट्स में काफी गिरावट होने के कारण उनकी स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है, ऐसे में उन मरीजों की प्लेटलेट्स दोबारा बढ़ाने और उन्हें पहले की तरह स्वस्थ करने के लिए चिकित्सक अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जादवपुर, टॉलीगंज व बाघाजतिन इलाके से सबसे अधिक डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। सबसे खराब स्थिति जादवपुर की है। डेंगू की स्थिति हर गुजरते दिन के साथ चिंताजनक होती जा रही है। सरकार के मुताबिक डेंगू से मरने वालों की संख्या तीन है। बावजूद उसके राज्य में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या 38 हजार एक सौ 81 हो चुकी हैं, वहीं बताया जा रहा है कि डेंगू के चपेट में आने से राजधानी कोलकाता में सिर्फ 12 लोगों की मौत हुई है, जबकि वहां के आंकड़ों की अगर हम बात करें तो जादवपुर, टॉलीगंज, बाघा जतिन से सबसे ज्यादा डेंगू के मामले सामने आए हैं और वहां की मरीजों की कुल संख्या चार हजार हो चुकी है। इसी के साथ कोलकाता नगर निगम विक्रमगढ़ झील सहित कई अन्य जगहों पर ड्रोन की मदद से कीटनाशक का छिड़काव कर रही है, इसके अलावा तमाम गलियों चौक चौराहों और नालियों पर भी लगातार कीटनाशक का नियमित रूप से छिड़काव जारी है। डेंगू के शिकार तमाम मरीजों की प्लेटलेट्स काफी कम हो गई थी, जिस कारण उन्होंने अपनी जान गंवा दी। हालांकि सरकारी आंकड़ों मे डेंगू से मरने वालों की संख्या अब तक अपडेट नहीं की गई है। इस कारण मरने वालों की पुरानी संख्या मात्र तीन ही बताई जा रही है।

पिछले साल 67,271 को हुआ डेंगू, 30 की हुई थी मौत
बताते चलें कि बंगाल में पिछले साल डेंगू के मामले 67,271 थे और करीब 30 लोगों की मौत हुई थी। ऐसे में जिस तरह डेंगू मरीजों की संख्या पश्चिम बंगाल मे दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, उसको देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर समय पर हालात में सुधार नहीं हुआ तो बंगाल का वर्तमान डेंगू का आंकड़ा पिछले साल के आंकड़े को पार न कर जाए। इसे देखते हुए कोलकाता सहित राज्य के तमाम नगर निगम के कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। साथ ही नगर निगम के अंतर्गत आने वाले तमाम स्वास्थ्य केंद्रों को सातों दिन खुले रखने का निर्देश भी जारी कर दिया गया है। इसके अलावा निगम कर्मचारियों को उनके अंतर्गत आने वाले वार्डों की लगातार जांच करने की नसीहत भी दे दी गई है, वहीं मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने राज्य में डेंगू के तेजी से बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए जरूरतमंदों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के बीच मेडिकटेड मच्छरदानी वितरण करने की घोषणा की थी, जिसके तहत पूरे राज्य में अब तक पांच लाख मेडिकटेड मच्छरदानी बांटी जा चुकी हैं और अब भी लगातार यह प्रक्रिया जारी है।
इस तरह हो रही राजनीति
आसनसोल नगर निगम के मेयर साह तृणमूल विधायक विधान उपाध्याय ने निगम के विभिन्न वार्डों में करीब 1900 मेडिकटेड मच्छरदानी वितरित करवाई। इसके जवाब में भाजपा ने भी आसनसोल नगर निगम के विभिन्न वार्डों में मच्छरदानी वितरण का कार्यक्रम शुरू कर दिया है।
पश्चिम बर्दवान भाजपा जिलाध्यक्ष बप्पा चटर्जी ने राज्य सरकार पर डेंगू को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार डेंगू को लेकर लापरवाही बरत रही है। जगह-जगह कूड़े का अम्बार है, जिलों की अस्पतालों की सफाई व्यवस्था बद से बदतर बनी हुई है। डेंगू को लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूरी तरह चरमराई हुई है, राज्य में गऊ और कोयले की अवैध तस्करी में लूट मचा है, राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल सरकार लास पर राजनीति कर रही है। ऐसे में मच्छरदानी बांटकर और डेंगू से मरे मरीजों के सही आंकड़े नहीं बताकर जनता को भटकाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा की अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण उनकी अपनी मां की मृत्यु डेंगू से हुई है, वहीं कोलकाता के मेयर सह तृणमूल नेता फिरहाद हकीम ने यह दावा किया कि राज्य में अन्य जिलों की तुलना में डेंगू का प्रकोप काफी कम है। बहुत जल्द डेंगू के बढ़ते मामलों पर कंट्रोल कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा डेंगू के रोकथाम के लिए राज्य स्तर पर कार्य चल रहे हैं। उन्होंने कहा कोलकाता का वातावरण काफी उमस भरा है मलेरिया डेंगू जैसी बीमारी 100 साल पहले भी थी आज भी हैं और कल भी रहेगी।

जेयू : डेंगू होने पर छात्रों का मुफ्त में होगा इलाज
जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में छात्रों को डेंगू होने पर मुफ्त इलाज की व्यवस्था की जायेगी। हॉस्टल में रहनेवाले कुछ छात्र डेंगू से पीड़ित हैं। डेंगू के डर से कई छात्र पहले ही हॉस्टल छोड़ चुके हैं। बताया गया है कि कई छात्र डेंगू से पीड़ित होकर घर लौटे हैं। यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसके साथ करीब सात छात्र अब अस्पताल में भर्ती हैं. यूनिवर्सिटी के आठ-नौ छात्र एकसाथ डेंगू की चपेट में आ गये हैं। डर से अधिकारी यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों को भी खाली कराने की सोच रहे हैं। प्रभावित लोगों और मृत्यु के आंकड़ों पर डेटा प्रदान करने में राज्य सरकार की लगातार अनिच्छा को लेकर बड़े पैमाने पर विवाद शुरू हो गया है। इस वर्ष केंद्रीय वेबसाइट पर पश्चिम बंगाल का कोई डेटा नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) की वेबसाइट पर डेंगू के आंकड़ों में राज्‍य से संबंधित कॉलम में एनआर (रिपोर्ट नहीं किया गया) लिखा है।आश्‍चर्य जनक रूप से पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग इस साल आधिकारिक तौर पर डेंगू प्रभावित आंकड़ों का साप्ताहिक डेटा जारी नहीं कर रहा है। पिछले साल तक राज्‍य सरकार डेंगू के आंकड़े जारी कर रही थी और एनसीवीबीडीसी के पास भी संबंधित डेटा थे। अनौपचारिक सूत्रों ने दावा किया है कि 24 सितंबर तक बीमारी से प्रभावित लोगों की कुल संख्या 40 हजार से अधिक हो गई है। मौजूदा स्थिति को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पांच बार के लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने चिंताजनक स्थिति को मानव निर्मित बताया। उन्‍होंने कहा, “यह मानव निर्मित डेंगू है। सरकार को इस मामले की पहले से जानकारी थी। वह अपने लोगों के प्रति गंभीर नहीं है। यहां तक कि डॉक्टरों को भी निर्देश दिया गया है कि वे मौत का कारण डेंगू न बताये। इससे सरकार की छवि खराब होगी। इसी तरह का आरोप पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने लगाया है। उन्होंने कहा कि जहां सभी राज्य सरकारें केंद्र सरकार को संबंधित डेटा सौंप रही हैं, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार एकमात्र अपवाद है। अधिकारी ने कहा, “राज्य सरकार डेंगू से संबंधित मौतों के संबंध में कोई डेटा जारी नहीं कर रही है। मेरे पास आंकड़े हैं कि इस सीज़न में मौतों की संख्‍या पहले ही 100 से अधिक है। लेकिन राज्य सरकार डॉक्टरों पर डेंगू से हुई मौतों को अज्ञात बीमारी से हुई मौत लिखने के लिए मजबूर कर इसे छुपाने की कोशिश कर रही है। यहां तक कि राज्य में डॉक्टरों की बिरादरी ने भी दावा किया है कि तथ्यों को दबाने की प्रवृत्ति खतरे को और बढ़ा रही है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. मानस गुमटा ने कहा कि तथ्यों को इस तरह छुपाने से डेंगू के खतरे को कभी भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “बल्कि इससे भ्रम बढ़ता है। कोलकाता में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू में अब तक मात्र तीन लोगों की ही मौत हुई है। ऐसे में महानगर में डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विक्रमगढ़ स्थित फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और विक्रमगढ़ झील के आस-पास ड्रोन उड़ा कर कीटनाशक का छिड़काव किया गया। विक्रमगढ़ झील के दोनों किनारे कूड़े-कचरे का अंबार है। विक्रमगढ़ झील के दोनों किनारों पर ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया गया।
जादवपुर वर्तमान में बन गया डेंगू का हॉटस्पॉट
गौरतलब है कि जादवपुर वर्तमान में डेंगू का हॉटस्पॉट बन चुका है। पिछले सात दिनों में तीन लोगों की मौत हो चुकी है. कोलकाता नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, यहां तीन जगहों को डेंगू प्रभावित इलाका माना गया है. इनमें पहले स्थान पर जादवपुर विश्वविद्यालय, दूसरे पर कृष्णा ग्लास फैक्टरी और तीसरे पर विक्रमगढ़ झील है। कीटनाशक के छिड़काव के दौरान निगम के मुख्य कीट वैज्ञानिक डॉ देवाशीष विश्वास ने कहा कि विक्रमगढ़ में डेंगू के मामलों की संख्या अब तक चिंता का कारण नहीं बनी है। झील के चारों ओर विभिन्न परित्यक्त सामग्री या थर्मोकोल के बक्से में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा पनप सकते हैं, इसीलिए यहां कीटनाशक का छिड़काव किया गया. गौरतलब है कि झील मूल रूप से कोलकाता नगर निगम के वार्ड नंबर 93 और 95 में स्थित है। दोनों वार्डों में डेंगू की स्थिति गंभीर है. खासकर वार्ड नंबर 93 डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित है. वहीं, निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी वार्ड स्थित झील की भयावह स्थिति से चिंतित हैं।राज्य में डेंगू का प्रकोप लगातार कम हो रहा है और अगले दो सप्ताह में इस पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया जायेगा. ऐसी ही जानकारी राज्य के मुख्य सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दी. डेंगू को लेकर पूछे गये प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि दो सप्ताह पहले राज्य में डेंगू संक्रमण काफी बढ़ गया था, लेकिन अब यह धीरे-धीरे कम हो रहा है। मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में राज्य में लगभग दो हजार लोग डेंगू से पीड़ित हैं. आगामी दिनों में यह संख्या और भी घटेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने लोगों को सतर्क रहने व बुखार होने पर ही खून की जांच कराने का सुझाव दिया. मुख्य सचिव ने कहा कि डेंगू का सबसे अधिक संक्रमण उपनगरीय इलाकों में फैला है। ऐसे 130 क्षेत्रों की पहचान की गयी है और उन क्षेत्रों में विशेष निगरानी की व्यवस्था की गयी है। कूड़े-कचरे और जमा पानी को साफ करने के साथ-साथ लोगों में जागरूकता भी बढ़ायी जा रही है. डेंगू के नियंत्रित होने तक कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरतमंद और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के बीच एक लाख मेडिकेटेड मच्छरदानी समेत कुल पांच लाख मच्छरदानी का वितरण शुरू हो गया है। मुख्य सचिव के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव ने विभिन्न जिलों को अलर्ट किया है. उधर, स्वास्थ्य सचिव ने कोलकाता के एसएसकेएम (पीजी), कोलकाता मेडिकल कॉलेज, एनआरएस मेडिकल कॉलेज, आरजी कर, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व अस्पताल अधीक्षकों के साथ वर्चुअल बैठक की। इस बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने उक्त सभी मेडिकल कॉलेजों में साफ-सफाई का ध्यान रखने का निर्देश दिया है। अस्पताल परिसर में कहीं बारिश का पानी नहीं जमा हो, इस पर ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है. साथ ही बुखार से पीड़ित मरीजों के अस्पताल आने पर आवश्यक रूप से चिकित्सा किये जाने की सलाह दी गयी है। सभी मेडिकल कॉलेजों में नियमित फीवर क्लीनिक खोलने का निर्देश दिया गया है। @ रिपोर्ट अशोक झा

Back to top button