पितृपक्ष में दुर्गा पूजा का उद्घाटन हिंदु संस्कृति का अपमान : विधायक शंकर घोष
पितृपक्ष में दुर्गा पूजा का उद्घाटन हिंदु संस्कृति का अपमान : विधायक शंकर घोष
सिलीगुड़ी: महालया से पहले मुख्यमंत्री ने दुर्गा पूजा मंडप का उद्घाटन किया है और इसे लेकर राज्य भर में तीखी आलोचना की जा रही है। इस बार मुख्यमंत्री द्वारा इ400 से अधिक पूजा पंडाल वर्चुअल उद्घाटन किया। इसे भारतीय संस्कृति और हिंदू का अपमान बनाकर भाजपा और उससे जुड़े संगठनों के द्वारा विरोध शुरू हो गया है। शनिवार को सिलीगुड़ी विधायक शंकर घोष अपने समर्थकों के साथ महालया की सुबह सिलीगुड़ी के एयर व्यू चौराहे पर काले कपड़े पहनकर मुख्यमंत्री द्वारा इस उद्घाटन का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब से मुख्यमंत्री सत्ता में आई है तब से वह वोट बैंक और तुष्टीकरण के लिए मौका मिलते ही हिंदू और उसकी सस्कृति का उपहास करती है। हिंदू संस्कृति से जुड़े पर्व त्यौहार पर शोभायात्रा तक की अनुमति नहीं देती। क्या कभी पितृपक्ष में मां दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन हो सकता है? यह बात किसी को अच्छी नहीं लग रही है। उन्होंने कहा कि जब विवेकानंद का जन्म हुआ था तब वह नरेन्द्र थे। काली मां की पूजा में लीन हुए तो वह संन्यासी बने और शिकागो धर्म संसद के बाद विवेकानंद हुए. विवेकानंद को महान उनके चरित्र ने बनाया। सभी को भारत की रहस्यमयी संस्कृति को समझना चाहिए। ब्रिटेन में जहां यह कहा जाता था कि वहां कभी सूर्य अस्त नहीं होता है उसे भी भारत ने उखाड़ फेंक दिया। भारतीय संस्कृति और पद्धति में मुहूर्त और तिथि के आधार पर निर्धारित होता है। मुख्यमंत्री घर बैठे राज्य के ज्यादातर जिले के पूजा पंडाल का उद्घाटन की। जबकि मुख्यमंत्री पूरे पूजा के दौरान घर से बाहर नहीं निकलेगी। विधायक घोष ने कहा कि कोरोना की प्रारंभिक दवा भारत ने ही दी, जिसे काढ़ा कहा गया और दवा भी भारत में ही बनाई जिसे वैक्सीन कहा गया। इसलिए विश्व कहता है कि भारत वह है जो सभ्यता बनाती है। उन्होंने कहा कि यह सनातन हिन्दू संस्कृति ही है कि आज ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपनी भारतीय संस्कृति के आधार पर ही बिना खून खराबे के वहां के प्रधानमंत्री बने हैं। जो लोगों के अपने बुजुर्गो को अनपढ़ कहने का नैरेटिव सैट कर रखा है वह सभी भ्रमि है। भारतीय संस्कृति और उसकी महान परंपरा के कर्म ही भारत एक है, एक श्रेष्ठ भारत और एक महान भारत है। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री समेत सभी लोगों से आग्रह करते है की वे अगर हिंदू और उससे जुड़ी संस्कृति का सम्मान नहीं कर सकते तो उसका अपमान भी ना करे। सहनशीलता की इतनी भी परीक्षा ना ले जिससे हम अपने संस्कार भूल जाए। @रिपोर्ट अशोक झा