राशन वितरण घोटाले की कोलकोता में हो रही जांच, उत्तर बंगाल में भी जल रही आंच
राशन वितरण घोटाले की कोलकोता में हो रही जांच, उत्तर बंगाल में भी जल रही आंच
– भाजपा ने रैली निकाल ममता सरकार पर किया वार
सिलीगुड़ी: राशन वितरण घोटाला की जांच कोलकोता में मामतासरकर के मंत्री और सहयोगियों से हो रही है। इसकी आंच उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी में भी तेज हो गई है। जहां राज्यपाल सिलीगुड़ी राज्य अतिथिशाला में आए हुए है। वही भारतीय जनता पार्टी सिलीगुड़ी की ओर से विधायक शंकर घोष के नेतृत्व में रैली निकाली गई। रैली हसमी चौक से निकलकर सेवक रोड, पानीटंकी होता हुआ विधान मार्केट पहुंचा। वहां से प्रदर्शन करते हुए हाशमी चौक पर समाप्त हुआ। विधायक के अलावा जिला अध्यक्ष अरुण मंडल, लक्ष्मी शर्मा, मंजूश्री पाल, वापी पाल, देवनाथ
सुचित्रा देवनाथ, भाजपा जिला महा सचिव राजू साहा , जिला सचिव कन्हैया पाठक, अमित जैन, विवेक सिंह,अनीता महतो, शालनी डालमिया, दिनेश सिंह आदि अपने समर्थकों के साथ मौजूद रहे। चार पकड़ो और जेल भरो स्लॉगन के साथ नारे लगाए गए। विधायक शंकर घोष और जिलाध्यक्ष ने कहा कि पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा गिरफ्तार किए गए ममता सरकार के मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को लेकर अब भाजपा हमलावर हो गई है। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में धान की खरीद में घोटाला खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारे पर हुआ है। इसमें उनकी मिलीभगत थी। यह बहुत ही बड़ा घोटाला है, जिसमें राइस मिल मालिकों के साथ ही कई सारे ब्यूरोक्रेट भी शामिल हैं। मिलीभगत का फायदा उठाते हुए राइस मिल मालिकों ने फर्जी अकाउंट खोले और केंद्र सरकार से पैसे लिए। उत्तर बंगाल में राशन वितरण घोटाला को जड़े काफी मजबूत है। भाजपा नेताओं ने कहा कि अगर इसमें सरकार नहीं जुड़ी है तो क्यों नही 2000 से लगातार शिकायतों के बाबजूद करवाई नहीं की गई। मजे की बात है की चावल मिल मालिकों को किसानों से धान 11 लाख क्विटल खरीद करवाया जाता रहा है। जबकि सच यह है की जिला में इतनी धान की पैदावार ही नहीं है। कागज में धान की उपज ओर कमीशन पर दलालों से धान खरीद चावल सप्लाई की जाती रही है। उत्तर बंगाल के ज्यादातर जिले के किसानों के बैंक एकाउंट वहा के बैंको में नहीं खोल सिलीगुड़ी के बंधन बैंक,आइसीआइअई बैंक, एचडीआईसी बैंक, एक्सिस बैंक में फर्जी तरीके से खोले जाते है। जहां के किसान होंगे उसका खाता तो वहीं खोला जाना चाहिए? कागज में किसानों के धान खरीद दिखाकर उनके नाम पर भुगतान मिल मालिकों द्वारा अधिकारियों के सांठ-गांठ से ले लिए जाते है। इसमें जांच कराएं तो रायगंज,अलीपुरद्वार,जलपाईगुड़ी, कूचबिहार के किसानों नाम पर झूठी और फर्जी अकाउंट खोले जाने की बात सामने आएगा। उन्होंने कहा कि सरकार जांच कराएं। बैंक में लगे सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से की जा सकती है कि किसानों का पेमेंट कौन और कब उठाया है। बैंक जाच के साथ मास्टर रोल की जाच कराई जाय। इससे दूध का दूध और पानी का पानी सामने होगा। तिग्गा ने कहा कि धान खरीदारी में मिल मालिकों के पास क्या उस अनुपात के है भंडारण की क्षमता है या नहीं इसकी भी जांच करायी जाए। डिस्ट्रिक कंट्रोलर मिल मालिकों से प्रति क्विंटल 150 सौ रुपये लेकर कागज में खरीद की गयी धान के बदले बिहार से आने वाले चावल को मिल मालिकों के मिल में तैयार चावल बता गोदाम भर रहे है। कटमनी के जोर पर ऐसे मिल मालिक घटिया चावल आपूर्ति करता है जो राशन दुकान के माध्यम से लोगों तक पहुंचता है। यह है किसान के हितैषी सरकार और उनके अधिकारियों के कारनामा। ने कहा कि यहां व्यापक घोटाला हुआ है। इसके सभी दोषियों को पकड़ा जाना चाहिए। राशन वितरण घोटाला धान खरीद से जुड़ा हुआ है।
धान खरीद राशन घोटाले को लेकर आंदोलन कर चुके भारतीय मजदूर संघ के जिला सचिव विश्वजीत गुहा ने बताया कि बंगाल में किसान से सीधे धान खरीद के नाम पर व्यापक घोटाला हो रहा है। यहा तो कागज पर ही धान उगाया जाता है और दलालों को किसान बना कर बाहर से धान लाकर मंडी में बेचा जाता है। इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर मिलीभगत होती है। गुहा ने बताया कि उत्तर बंगाल के ज्यादातर जिले के किसानों के बैंक एकाउंट यहां के बैंको में नहीं खोल सिलीगुड़ी के कई निजी बैंक में फर्जी तरीके से खोले जाते हैं। जबकि नियम है कि जहा का जो किसान है,उनका खाता वहीं खुलना चाहिए। कागज में किसानों से धान खरीद दिखाकर भुगतान मिल मालिकों और अधिकारियों को कर दिया जाता है।आरोप है कि धान खरीद के नाम पर घोटाले की साजिश रची जा रही थी । इन सभी मुद्दे को लेकर दाíजलिंग जिले के किसानों का प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलकर इसकी शिकायत की थी। इस बात की शिकायत की गई कि मिल मालिक, प्राइवेट बैंक और खाद्य आपूíत विभाग के लोग मिलकर किसानों से धान खरीद के नाम पर लूट मचाए हुए है। दाíजलिंग जिला में कई मिल मालिकों की मिलीभगत से 6 लाख क्विंटल से ज्यादा की धान खरीद हुई थी। उस खरीद के मास्टर रोल की जाच करायी जाए तो ज्यादातर फर्जी निकलेंगे। धान खरीद के मास्टर रोल की जांच करायी जाए तो ज्यादातर फर्जी निकलेंगे। खाद्य आपूर्ति विभाग मिल मालिकों और सोसाइटी से मिलकर कागज पर ही धान खरीद अपनी जेब भरने में लगे है। पार्टी को यह भी पता चला था कि खाद्य आपूर्ति विभाग के डिस्ट्रिक कंट्रोलर अवैध रुपये की वसूली के लिए उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा में एक व्यक्ति को दलाल रखा है। नगर निगम के विरोधी दल नेता अमित जैन और पार्षद विवेक सिंह ने कहा कि वर्ष 2021 में उगाही से परेशान मिल मालिकों ने मुख्यमंत्री से शिकायत किसान या विरोधी दल ही नहीं उगाही से परेशान होकर यह आरोप सीधे दाíजलिंग डिस्ट्रिक्ट राइस मिल ओनर्स एसोसिएशन की ओर से संगठन के वाइस प्रेसिडेंट, सेक्रेटरी, ट्रेजरर तथा 11 मिल मालिकों ने लगाया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य के मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय, खाद्य आपूर्ति मंत्री रथीन घोष, खाद आपूíत विभाग के सचिव परवेज अहमद तथा विभागीय निदेशक अजय कुमार बंदोपाध्याय से इसकी लिखित शिकायत की गई थी। 13 मई 2021 को की गई शिकायत के के बाद खाद्य एवं आपूíत विभाग में हड़कंप मच गया था पर कोई बड़ी कारवाई नहीं हुई थी। लिखित शिकायत में मिल मालिकों ने कहा गया था कि डिस्ट्रिक्ट कंट्रोलर एसएस दास जुलाई 2020 में इस पद पर आसीन हैं। उसके बाद से ही धान खरीद के नाम पर मिल मालिकों से प्रति क्विंटल 100- 150 रुपए की माग करने लगे। जिन मिल मालिकों ने उनकी बात मान ली उसी के माध्यम से मनमाने तरीके से धान की खरीदारी की। जिन मिल मालिकों ने इस बात का विरोध किया उनसे धान की खरीदारी नहीं के बराबर करवाई। नतीजा यह रहा कि जहा 2020-21 के लिए 8.5 लाख क्विंटल धान की खरीददारी होनी चाहिए,उसके बदले मात्र छह लाख क्विंटल धान ही खरीद की जा सकी। इसका कारण कोविड-19 को माने या धान खरीद घोटाले को लेकर उठे विवाद। अब फिर से बचे हुए 2.5 लाख क्विंटल धान की खरीददारी के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल की माग की जा रही है। मिल मालिकों ने सीधा आरोप लगाया है कि डिस्ट्रिक्ट कंट्रोलर का दलाल उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा का निवासी सोमनाथ सिन्हा है। उसी के माध्यम से लेन देन की जाती है। जो मिल मालिक पैसा देने से मना करते उनके यहा फूड विजिलेंस से जाच करा कर मिल बंद करने की धमकी दी जाती थी। इतना ही नहीं अवैध रूप से धन जुटाते रहे और आय का हिस्सा इच्छित व्यक्तियों को सौंप दे। इसलिए सरकार ने मल्लिक को पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम (डब्ल्यूबीईसीएससी) कंपनी का अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्हें पश्चिम बंगाल में धान और अन्य खाद्यान्नों की खरीद और वितरण का काम सौंपा गया है।” उन्होंने कहा कि वह यहीं नहीं रुकी, यह सुनिश्चित करने के लिए कि धन की निकासी सुचारू रूप से और कुशलता से हो, श्री बनर्जी ने क्यूमल्लिक की सुविधा के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ए. सुब्बैया को पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम (डब्ल्यूबीईसीएससी) के एमडी के रूप में नियुक्त किया।वहीं अब टीएमसी इस मामले में बीजेपी पर आरोप लगा रही है। पार्टी का आरोप है कि 24 परगना में टीएमसी को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने ही साजिश के तहत केंद्रीय जांच एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल किया है। ये विपक्ष पर हमला है। टीएमसी का आरोप है कि ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया जा रहा है। लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान इनसे बदला लिया जाएगा।
मंत्री के बचाव में उतरी ममता बनर्जी
इस बीच अपने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अपने सहयोगी ज्योतिप्रिय मलिक के बचाव में उतर आई हैं। उन्होंने ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए भाजपा पर ही सवाल उठा दिए। बीजेपी पर गंदा राजनीतिक खेल खेलने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने सवाल किया कि क्या ईडी ने किसी बीजेपी नेता के खिलाफ एक्शन लिया है। अंग्रेजों की तरह उन सभी पर अत्याचार किया जा रहा है, जो भी उसके खिलाफ है। ममता ने दावा किया कि उनके मंत्री ज्योतिप्रिय बीमार हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उन्हें कुछ हुआ तो वो ईडी और सीबीआई के खिलाफ केस दर्ज करवाएंगी।
सुकांत मजूमदार का टीएमसी पर आरोप: बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया है कि टीएमसी सरकार घोटाले के सबूत मिटाने की पूरी कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि ममता सरकार इसमें सफल नहीं होगी। सबूत मिटाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन डिजिटल हस्ताक्षर और सबूत मौजूद हैं, इसलिए ये कोशिशें बहुत उपयोगी साबित नहीं हो सकतीं।जल्द ही मास्टरमाइंड को पकड़ लिया जाएगा।
रहमान न पकड़ा जाता तो बच जाते ज्योतिप्रिय
बिजनेसमैन बकिबुर रहमान को पहले ईडी ने गिरफ्तार किया। उसके पास से 100 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्तियों का पता चला। जब जांच एजेंसी ने अपनी जांच के दायरे को आगे बढ़ाया तो ममता सरकार के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का पता चला। इसके बाद जांच एजेंसी ने उनपर एक्शन लिया। एजेंसी ने 27 अक्टूबर को मलिक को गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि ज्योतिप्रिय मलिक ने रहमान की कंपनियों में 50 करोड़ रुपए से अधिक का इन्वेस्टमेंट किया था। कोरोना में लॉकडाउन में सार्वजनिक वितरण के दौरान राशन वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया था। उल्लेखनीय है कि अगर बकिबुर रहमान ईडी के रडार पर न आता तो शायद मलिक के घोटालों का पता ही न चलता।मजूमदार ने कहा कि ईडी ने राशन वितरण घोटाले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया है। केंद्रीय एजेंसी इसके अन्य मास्टरमाइंडों को भी पकड़ने के काफी करीब है। रिपोर्ट अशोक झा