भूटान जाने वाले पर्यटक और पर्यटन कारोबारियों में खुशी की लहर, रेल मार्ग से जुड़ेगा पड़ोसी राष्ट्र भूटान
भूटान जाने वाले पर्यटक और पर्यटन कारोबारियों में खुशी की लहर, रेल मार्ग से जुड़ेगा पड़ोसी राष्ट्र भूटान
– भारत के साथ भूटान राजा की कई महत्वपूर्ण वार्ता संपन्न
नई दिल्ली: भारत और भूटान के बीच बहुत मधुर रिश्ते हैं। भूटान की हसीन वादियां आपका मनमोह लेंगी। भूटान में कई ऐसे खूबसूरत पर्यटक स्थल है। जहां घूमने के लिए बहुत सारी अच्छी चीजें है। भारत दौरे पर आए भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक को भूटान के साथ अनूठे मित्रतापूर्ण संबंधों के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया। उन्होंने भूटान की प्राथमिकताओं के आधार पर उसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भारत की तरफ से पूर्ण समर्थन देने की बात दोहराई। मोदी-वांगचुक वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने असम के कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ने वाले प्रस्तावित सीमा पार रेल लिंक के लिए स्थान तय करने के लिहाज से सर्वेक्षण को लेकर सहमति जताई। उन्होंने भूटान की प्राथमिकताओं के आधार पर उसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भारत की तरफ से पूर्ण समर्थन देने की बात दोहराई। मोदी-वांगचुक वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने असम के कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ने वाले प्रस्तावित सीमा पार रेल लिंक के लिए स्थान तय करने के लिहाज से सर्वेक्षण को लेकर सहमति जताई। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने पश्चिम बंगाल में बानाहाट और भूटान में समत्से के बीच रेल संपर्क स्थापित करने के लिए विचार करने पर भी सहमति जाहिर की। बयान के अनुसार मोदी और वांगचुक ने भारत-भूटान साझेदारी के विस्तार का “सकारात्मक मूल्यांकन” किया, जिसमें सीमा पार व्यापार के बुनियादी ढांचे, व्यापार और पारस्परिक निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा लोगों से लोगों के संपर्क के नए क्षेत्र शामिल हैं। भूटान नरेश ने तीन नवंबर को गुवाहाटी से अपनी आठ दिवसीय भारत यात्रा शुरू की। वांगचुक की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भूटान और चीन अपने दशकों पुराने सीमा विवाद के शीघ्र समाधान के लिए नए सिरे से बातचीत पर जोर दे रहे हैं। संयुक्त बयान में कहा गया है, “मेहमान नरेश से वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री ने भूटान के साथ मित्रता और अद्वितीय सहयोग संबंधों के प्रति भारत की स्थायी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और शाही सरकार की प्राथमिकताओं तथा उनके दृष्टिकोण के अनुसार भूटान में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए निरंतर और पूर्ण समर्थन देने की बात दोहराई।” बयान में कहा गया है कि वांगचुक ने भूटान में जारी सुधारों की प्रक्रिया को लेकर मूल्यवान दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि साझा की और भारत द्वारा भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए प्रदान किए जा रहे अमूल्य समर्थन की सराहना की। बयान के अनुसार, “भूटानी पक्ष ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2018-2023) के तहत महत्वपूर्ण परियोजनाओं के सुचारू और निर्बाध समापन को सुनिश्चित करने के लिए विकास सहायता समय पर जारी करने को लेकर भारत सरकार का आभार व्यक्त किया।”उत्तर-पूर्व में बहुत जल्द अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय सीमा पार रेलवे कनेक्टिविटी होगी। पूर्वोत्तर के इलाकों में रेलवे कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार पहली बार 1.20 लाख करोड़ रुपये जारी किए हैं। देश की सीमा के करीब तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के रेलवे के प्रयास के बारे में उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि हमारा ध्यान फिलहाल भारत-चीन सीमा और म्यांमार पर है।भारत सरकार ने 120 अरब रुपये अलॅाट किये हैं। इससे पहली भूटान-भारत रेलवे लिंक को बढ़ावा मिलेगा। भारत सरकार की 57.5 KM लंबी रेलवे लाइन की 10 अरब रुपये का यह प्रोजेक्ट असम के कोकराझार को भूटान के सरपंग में गेलेफू से जोड़ेगी। प्रोजेक्ट को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह वित्तीय प्रतिबद्धता लंबे समय से प्रतीक्षित मील के पत्थर – भूटान-भारत रेलवे लिंक को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।।परियोजना के मूल में 57.5 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन की पूरी फंडिंग शामिल है जो भारत के असम में कोकराझार को भूटान के सरपंग में गेलेफू से निर्बाध रूप से जोड़ेगी। 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है, यह प्रयास क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक संभावनाओं को नया आकार देने का वादा करता है। वर्तमान में भूटान और असम के बीच रेलवे लिंक के लिए बातचीत कर रहे हैं। ठीक एक महीने पहले, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस परिवर्तनकारी रेलवे कनेक्शन के संबंध में भारत और भूटान के बीच चल रही बातचीत के बारे में जानकारी प्रदान की थी। वर्तमान में भूटान और असम के बीच रेलवे लिंक के लिए बातचीत कर रहे हैं। भूटान पर्यटन के लिए और अधिक रास्ते खोलने का इच्छुक है और इस प्रयास से असम को काफी लाभ होने का वादा किया गया है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि असम सीमा पर स्थित गेलेफू और कोकराझार के बीच प्रस्तावित रेलवे लिंक गेम-चेंजर हो सकता है, जो व्यापार और पर्यटन दोनों को बढ़ावा देगा।।2018 में भूटान के पीएम की पहली भारत यात्रा के दौरान इस प्रजोक्ट को गति मिली थी। गेलेफू-कोकराझार रेल लिंक कंस्ट्रक्शन के शुरू होने से दोनों देशों के दक्षिणी और पूर्वी इलाकों में और अधिक रेलवे प्रोजेक्टों का मार्ग बनने की उम्मीद है, जिसमें फुएंतशोलिंग, नंगगलम, और समद्रुप जोंगखार जैसे इलाके भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो यह रेलवे परियोजना माल के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के मामले में एक सफलता के रूप में काम कर सकती है, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सक्षम करेगी और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी।गेलफू-कोकराझार रेल लिंक का निर्माण चल रहा है: जैसा कि पहले बताया गया था, इस दूरदर्शी रेलवे नेटवर्क की नींव 2018 में भूटानी प्रधान मंत्री की पहली भारत यात्रा के दौरान रखी गई थी. जैसे-जैसे गेलफू-कोकराझार रेल लिंक का निर्माण चल रहा है, यह अतिरिक्त के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करने की उम्मीद है दोनों देशों के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में रेलवे पहल, जिसमें फुएंतशोलिंग, सामत्से, नंगंगलम और सैमड्रुप जोंगखार जैसे क्षेत्र शामिल होंगे जो कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाएंगे।यह ध्यान रखना जरूरी है कि भूटान और भारत ने 2005 में औपचारिक रूप से इस साझा दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्धता जताई थी जब उन्होंने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इस प्रतिबद्धता ने उनकी साझा सीमा के साथ कस्बों को जोड़ने वाला एक व्यापक रेलवे नेटवर्क बनाने की उनकी संयुक्त आकांक्षा को मजबूत किया। नए युग की शुरुआत होगी: विकास को देखते हुए, भूटान-भारत रेलवे लिंक जल्द ही एक वास्तविकता बनने की संभावना है, जिससे कनेक्टिविटी और सहयोग के एक नए युग की शुरुआत होगी. चूंकि भूटान भारत के साथ 605 किमी लंबी सीमा साझा करता है, इसलिए यह देश का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है. यह परिवर्तनकारी रेलवे परियोजना दोनों देशों के आर्थिक एकीकरण को गहरा करने के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है.
भूटान के पर्यटक स्थल: वांगड्यू फोडरंग भूटान के सबसे बड़े जिलों में से एक है जो मठों और मंदिर से लेकर वन्यजीव और देहाती गांवों से भरा हुआ है. वांगड्यू फोडरंग उत्तर में वांगचुक सेंटेनियल पार्क और दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में जिग्मे दोरजी नेशनल पार्क के साथ कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों का घर है.
फुंटशोलिंग: फुंटशोलिंग भूटान का दूसरा सबसे बड़ा शहर जो भारत के राज्य पश्चिम बंगाल से अपनी सीमा को साझा करता है। यह कोलकाता और सिलीगुड़ी के यात्रियों के लिए एक प्रवेश बिंदु के रूप में सेवा करता है और भूटान का एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र है. फुंटशोलिंग, भूटान के अधिकांश शहरों की तुलना में अधिक विकसित है और इसके बाद भी यह कई प्राकृतिक आकर्षणों से भरा हुआ है। पुनाखा: पुनाखा भूटान के 20 जिलों में से एक है जो समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और हिमालय का एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। पुनाखा 1955 तक भूटान की पूर्व राजधानी थी जिसे बाद में थिम्फु को बना दिया था. बता दें कि यह जगह माउंटेन बाइकिंग और ट्रेकिंग के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है। बुमथांग: बुमथांग चार खूबसूरत पहाड़ी घाटियों का घर है। यहां पर कई प्राचीन मठ और मंदिर स्थित हैं। बुमथांग भूटान में यात्रा करने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है जो अपने धर्म, आध्यात्मिकता और इतिहास के लिए जाना जाता है। कुर्जी और तमशिंग लखंग यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है और इसके अलावा पर्यटक पहाड़ी पर ट्रेकिंग जैसे काम भी कर सकते हैं। रिपोर्ट अशोक झा