जेडपीएम के नेता लालदुहोमा मिजोरम के छठवें सीएम बने
कोलकाता: पड़ोसी राज्य मिजोरम में राम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता लालदुहोमा ने शुक्रवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने लालदुहोमा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जेडपीएम के 11 अन्य नेता भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। लालदुहोमा के अलावा राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति लालदुहोमा ने कुछ और पार्टी नेताओं को भी मंत्री पद के लिए पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। रोचक बात है कि वह सूबे के पहले गैर-कांग्रेसी और गैर-एमएनएफ सीएम हैं। मंगलवार को जेडपीएम विधायक दल ने लालदुहोमा को अपना नेता और के. सपडांगा को उपनेता चुना था। जेडपीएम मीडिया प्रकोष्ठ के महासचिव एड्डी जोसांगलियाना ने बताया था कि पार्टी के सलाहकार निकाय वैल उपकाउंसिल ने मंत्रिपरिषद के गठन का फैसला करने के लिए बुधवार को लालदुहोमा से मुलाकात की। आइए, जानते हैं लालदुहोमा के बारे में: पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे लालदुहोमा ने सेरछिप सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के जे. माल्सावमजुआला वानचावंग को 2,982 वोट से हराया है। वैसे, दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद से लेकर मिजोरम के मुख्यमंत्री बनने की तरफ बढ़े लालदुहोमा का सियासी सफर बाधाओं से जूझते हुए बीता है। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर सेवा दे चुके हैं। लालदुहोमा ने पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर मिजोरम विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के उम्मीदवार लालमिंगथंगा से 846 मतों के अंतर से हार गए। उसी साल उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और निर्विरोध चुने गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगने के बाद, जेडपीएम नेता ने 1986 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी छोड़ दी थी। लालदुहोमा कांग्रेस छोड़ने के बाद 1988 में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने। मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालरिनलियाना सेलो की ओर से भी 2020 में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। एमएनएफ के 12 विधायकों ने शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि वह 2018 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुने जाने के बाद पार्टी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर जेडपीएम में शामिल हो गए थे। लालदुहोमा मिजोरम में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले विधायक थे। हालांकि, वह 2021 में सेरछिप सीट पर उपचुनाव जीतने में कामयाब रहे। कांग्रेस के अलावा वह एक समय एमएनएफ का भी हिस्सा थे। उन्होंने अपनी पार्टी, जोरम नेशनलिस्ट पार्टी बनाई थी और जेडपीएम के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में लालदुहोमा ने दो सीट- सेरछिप और आइजोल पश्चिम-प्रथम से जुना जीता। लालदुहोमा ने बाद में आइजोल पश्चिम-प्रथम सीट छोड़ दी और सेरछिप से विधायक बने रहे। दरअसल, मिजोरम में 40 सदस्यों वाली विधानसभा है। सात नवंबर को हुए राज्य विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे, जिनके नतीजे चार दिसंबर, 2023 को आए थे। रिजल्ट्स में 40 में जेडपीएम ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। जेडपीएम को 2019 में एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किया गया था। जेडपीएम ने निवर्तमान मुख्यमंत्री जोरमथांगा के नेतृत्व वाले मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को सत्ता से हटा दिया। राज्य में 2018 के चुनावों में 26 सीट जीतने वाली एमएनएफ को केवल 10 सीट पर जीत हासिल हुई। @रिपोर्ट अशोक झा