कांग्रेस ने नेताजी की बात मानी होती तो देश नहीं बंटता
*सत्य सत्ता का नही काल का पुत्र होता है –प्रो० जे पी लाल*
कांग्रेस ने नेताजी की बात मानी होती तो देश नहीं बंटता
• नेताजी की वजह से देश को आजादी मिली
• अखण्ड भारत की सम्पूर्ण आजादी चाहते थे सुभाष
• अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर सुभाष का प्रभाव था
• देश को आजादी बलिदानों से मिली है
*वाराणसी, 21 जनवरी।* नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिवस पर आयोजित 5 दिवसीय सुभाष महोत्सव के दूसरे दिन विशाल भारत संस्थान एवं मालवीय सेन्टर फॉर पीस रिसर्च, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में “कांग्रेस, सुभाष चन्द्र बोस और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति : ऐतिहासिक और राजनीतिक आयाम (स्वतंत्रता से पहले और बाद में)” विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन लमही के सुभाष भवन में किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के चान्सलर प्रो० जे०पी० लाल ने सुभाष मन्दिर में माल्यार्पण एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में कतर, सऊदी अरब, दुबई और संयुक्त राज्य अमेरीका के बुद्धिजीवी के साथ मणिपुर, असम से संस्कृति कर्मियों ने भी संगोष्ठी में भाग लिया।
बाल आजाद हिन्द बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में बटालियन ने अतिथियों को सलामी दी। वरिष्ठ पत्रकार डॉ० कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक शाश्वती गीता का लोकार्पण किया गया। विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी ने विषय प्रस्तावना रखा।
मुख्य अतिथि प्रो० जे०पी० लाल ने कहा देश को आजादी बलिदानों से मिली है। जो इतिहास लिखा गया है वह भ्रामक इतिहास लिखा गया है। इतिहास को तोड़ मरोड़ कर लिखा गया है। इतिहासकारों ने नेताजी सुभाष के इतिहास के साथ सत्ता के इशारे पर छल किया। यदि भारत में कुछ नहीं था तो अंग्रेज व्यापार करने यहां क्यों आये। हमारे देश का मूल आधार कृषि और गौ सेवा था। अंग्रेजों ने भारतीयों को नीचा दिखाने का प्रयास किया। अंग्रेज यदि भागे हैं तो सुभाष बाबू के कठिन प्रयास से। ब्रिटिश प्रधामनमंत्री लार्ड एटली ने कहा था कि नेहरू गांधी का स्वतंत्रता में योगदान बहुत कम था, लेकिन सुभाष की वजह से हमें देश छोड़ना पड़ा। बहुत जल्द सुभाष का सच बाहर आएगा।
संगोष्ठी के मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने ऑनलाईन सम्बोधन करते हुए कहा कि आज जहां दुनियां में रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराईल-हमास के बीच युद्ध चल रहा है, वहीं भारत में भगवान श्रीराम को स्थापित किया जा रहा है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन में सनातन संस्कृति एवं भगवान श्रीराम के त्याग एवं आदर्शों का महान प्रभाव था। दुनियां में शांति स्थापना के लिये हमें भगवान श्रीराम एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आदर्शों पर चलना होगा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का महान सपना अखण्ड भारत का निर्माण था। एक ऐसे भारत का निर्माण जहां सभी धर्म और जाति के लोग मिलकर रहते हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रति हमारी सच्ची देशभक्ति तभी होगी जब हम उनके सपनों का भारत बना सकेंगे।
विशिष्ट अतिथि इतिहास विभाग, बी०एच०यू० के प्रो० प्रवेश भारद्वाज ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं देशभक्त होने के साथ-साथ सनातन संस्कृति, आध्यात्मिकता, हिन्दू एवं हिन्दुत्व के प्रतीक थे। नेताजी ने एक बार कहा था- धर्मग्रन्थ गीता से मुझे शक्ति एवं शांति दोनों मिलती हैं।
विशिष्ट अतिथि सामाजिक विज्ञान संकाय, बी०एच०यू० के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो० ए०के० जोशी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने देश की आजादी के लिये अपने सम्पूर्ण सुखों का त्याग किया। आजादी की लड़ाई के लिये उन्होंने एक विशेष रणनीति बनाई, विदेशों में जाकर लोगों से सम्पर्क किया, महिला रेजिमेन्ट बनाया, कलकत्ता की सड़कों के नाम को भारतीय महापुरूषों का नाम दिया, आजाद हिन्द फौज का गठन कर देश को आजादी दिलाई। लेकिन उनकी महानता को इतिहास सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया।
विशिष्ट वक्ता सामाजिक विज्ञान संकाय, बी०एच०यू० की संकायाध्यक्ष प्रो० बिन्दा परांजपे ने कहा कि जो व्यक्ति जन्मजात गुणों से पैदा होता है, उसकी महानता से इतिहास बनता है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उन्हीं महापुरूषों में से एक हैं। नेताजी ने शिवाजी एवं बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रभावित थे।
विशिष्ट अतिथि डॉ० ए०के० श्रीवास्तव चकाचौंध ज्ञानपुरी ने कहा कि इस देश को आजादी नेताजी की वीरता एवं त्याग से मिली है। आज हमारे देश के युवाओं को नेताजी के रास्ते पर चलने की जरूरत है।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि अखण्ड भारत के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के इतिहास का पुनर्लेखन किया जाए तो विश्व का इतिहास बदल जायेगा। विश्व के इतिहास को प्रभावित करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अखण्ड भारत की आजादी चाहते थे। उनका अधूरा सपना विशाल भारत संस्थान पूरा करेगा।
संचालन डॉ० निरंजन श्रीवास्तव ने किया एवं धन्यवाद डॉ० कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव ने दिया।
इस संगोष्ठी में असम के स्टेट चेयरमैन नूरूल हक, मनोज भुयाम, गौतम ज्योति शर्मा, लक्ष्य ज्योति नाथ, मानस प्रतिम चौधरी, डिम्पी सैकिया, डेजी लहकर, रीतिका, माला देवी, अरूणी देवी, ओनीलो देवी, एम० अन्ना देवी, एन० विवेक सिंह, एन०जी० विश्वज्योति, टी० पूरनजीत सिंह, राजकमल सिंह, उ०प्र० के स्टेट वाईस चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे, ज्ञान प्रकाश जी, डॉ० नजमा परवीन, डॉ० मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, नसीम रजा सिकरवार, अनुजा, लक्ष्मी, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता, डॉ० धनंजय यादव, डॉ० अशोक यादव, बृजेश श्रीवास्तव, शंकर पाण्डेय, अमित श्रीवास्तव, अभय राम दास आदि लोग मौजूद रहे।