22 जनवरी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 15 अगस्त 1947 था : चंपत राय

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम लला का मंदिर निर्माण का कार्य तेजी गति से चल आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, “22 जनवरी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 15 अगस्त 1947 था, जितना कारगिल को वापस प्राप्त करना था। इस कार्यक्रम को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। चंपत राय ने कहा, “22 जनवरी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 15 अगस्त 1947 था, जितना कारगिल को वापस प्राप्त करना था, जितना 1971 में एक लाख सैनिकों की नजरबंदी महत्वपूर्ण थी, यह उतना ही महत्वपूर्ण है। राम मंदिर निर्माण को लेकर क्या बोले चंपत राय?इस कार्यक्रम को लेकर चंपत राय ने आगे कहा, “संतुष्टि की अनुभूति होती है, प्रारंभ में आस-पास की छोटी-छोटी रियासतें, पुजारी, संत-महात्मा और 1983 के बाद पूरे भारत से अयोध्या के लोग इससे जुड़ने लगे और जो विषय केवल अयोध्या तक ही सीमित था, वह पूरे देश के सम्मान का विषय बन गया।
पीएम मोदी करेंगे एयरपोर्ट का भी उद्घाटन : अयोध्या में आगामी 30 दिसंबर को श्री राम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन भी होने वाला है. पीएम मोदी इस एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे। जिसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को ही अयोध्या पहुंचे थे और राम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर और भगवान रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रही तैयारियों का जायजा लिया था. साथ ही उन्होंने एयरपोर्ट का भी निरीक्षण किया था. यहां श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री को निर्माण से जुड़ी जानकारी दी थी.राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश भर से 5 मुहूर्त प्रस्तावित किए गए थे। राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अंत में गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा और काशी के विद्वानों पर अंतिम निर्णय छोड़ दिया। इसमें सबसे अधिक शुभ मुहूर्त 22 जनवरी का ही निर्धारित किया गया था। देशभर के विद्वानों की ओर से 17, 21, 24, 25 जनवरी का प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया था। उनमें से काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने एक मुहूर्त चुना है। 22 जनवरी की यह तिथि पांच बाण अग्नि बाण, मृत्यु बाण, चोर बाण, नृप बाण और रोग बाण से पूरी तरह से मुक्त है। इसके कारण यह देश के लिए संजीवनी योग का निर्माण कर रही है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और राममंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त निकालने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि मेष लग्न में वृश्चिक नवांश में अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामजन्मभूमि में रामलला की मूर्ति स्थापना के लिए अतिसूक्ष्म मुहूर्त है। ये दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट आठ सेंकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक 84 सेकेंड का है। अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा से रामजी के राज्य में होगी वृद्धि
गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा के परीक्षाधिकारी मंत्री पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा करने से रामजी की राज्यवृद्धि होगी अर्थात नीति के अनुसार शासन कार्य चलेगा। प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त पर देश भर से आई आपत्तियों को गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने खारिज कर दिया है। राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने मुहूर्त पर आई आपत्तियों के निराकरण के लिए काशी गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा को पत्र लिखा था। सभा ने आपत्तियों को खारिज करते हुए 22 जनवरी के मुहूर्त को सर्वाधिक शुभ बताया है।पं. अभय झा ने बताया कि रामजी का जन्मनक्षत्र पुनर्वसु है। इससे गणना करने पर तृतीय पर्यय में रोहिणी नक्षत्र रामजी को वधतारा पड़ती है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में कोई दोष नहीं है। रामजी के लिए मृगशीर्ष मैत्र तारा है जो कि प्रधानमंत्री के लिए शुभ है। सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा होने से प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा में उत्तरोत्तर वृद्धि का योग बन रहा है। सोमवार, मृगशीर्ष नक्षत्र और पंचबाण से मुक्त होने पर प्राण प्रतिष्ठा की का मुहूर्त संजीवनी योग निर्मित कर रहा है।काशी से ही अयोध्या जाएगी हवन सामग्री, नवरत्न, पंचरत्न और समीधा
रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के कर्मकांड की पूरी जिम्मेदारी काशी के वैदिक ब्राह्मणों पर है। काशी से ही हवन, पूजन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सामग्री अयोध्या जाएगी। 26 दिसंबर को काशी के ब्राह्मणों का पहला जत्था रवाना होगा। इसके साथ ही यज्ञ कुंड व पूजन मंडप का कार्य भी आरंभ हो जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में चारों वेदों के साथ ही कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के 51 वैदिक ब्राह्मण काशी से रवाना होंगे।।पं. अरुण दीक्षित ने बताया कि प्राणप्रतिष्ठा मुहूर्त को भव्य बनाने के लिए और कोई भी पूजा छूट न जाए, इसलिए ग्रंथों के अध्ययन के साथ ही देश भर के विद्वानों से संपर्क किया जा रहा है। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में आठ तरह के मंडप का निर्माण किया जाएगा। काशी से अयोध्या जाने वाले वैदिक चारों वेदों का पारायण करेंगे। इसके साथ ही काशी से 108 कलश पंचगव्य, 10 तरह की समीधा, सहस्त्रछिद्राभिषेक के लिए घड़ा, तीर्थों का जल, नवरत्न, पंचरत्न, पारा और सप्तधान्य अयोध्या पूजन के लिए जाएगा।।कर्मकांडी पं.मोहन झा के आचार्यत्व में देश भर के 121 वैदिक ब्राह्मण प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त को संपन्न कराएंगे। उन्हें कांची के शंकराचार्य शंकर जयेंद्र सरस्वती ने इसके लिए चुना है। प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत 16 जनवरी को सरयू की जलयात्रा के साथ होगी। पहले दिन भगवान की मूर्ति को नगर भ्रमण कराया जाएगा। 17 जनवरी को गणेश पूजन के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरूआत हो जाएगी। रिपोर्ट अशोक झा

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