केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जीएनएलएफके अध्यक्ष मन घीसिंग के बीच बैठक , एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी
नई दिल्ली: गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के अध्यक्ष मन घीसिंग ने पहाड़ी मुद्दे के स्थायी राजनीतिक समाधान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की। यह समझा जा रहा है की इस बैठक में एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी है। यह बैठक दिल्ली में गृह मंत्री के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ट, भाजपा दार्जिलिंग पर्वतीय शाखा के अध्यक्ष कल्याण दीवान उपस्थित थे। इस बैठक में मन घीसिंग ने एक बार फिर केंद्र सरकार से पहाड़ समस्या के स्थायी समाधान की मांग की। इसके अलावा 11 समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की भी मांग की गई है। कुछ दिन पहले जीएनएलएफ महासचिव महेंद्र छेत्री ने दिल्ली जाकर कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी के साथ बैठक की थी। उस मुलाकात की खबर सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में इसकी कवायद शुरू हो गई तो क्या जीएनएलएफ का झुकाव बीजेपी से कांग्रेस की ओर हो रहा है? ये सवाल उठाया गया। इसके बाद बीजेपी ने एक्शन लिया। दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ट जीएनएलएफ अध्यक्ष के साथ दिल्ली गए और गृह मंत्री के साथ बैठक की। इतना ही नहीं दार्जिलिंग
के सांसद राजू बिष्ट के अंगुली पकड़कर राजनिति में विधायक का सफर पूरा कर रहे दार्जिलिंग हिल्स से बीजेपी विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा के बगावती सुर पर भी लगाम लगाया जाएगा। विधायक शर्मा ने बुधवार को पार्टी नेतृत्व को चेतावनी दी कि अगर बीजेपी किसी बाहरी व्यक्ति को यहां से अपना उम्मीदवार बनाती है तो उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कर्सियांग के भाजपा विधायक बीपी शर्मा अलग गोरखालैंड राज्य के निर्माण के मुखर समर्थक रहे हैं। बता दें कि बीजेपी दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर 2009 से जीतती आ रही है। हालांकि, उन्होंने लगातार ऐसे उम्मीदवारों का चयन करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की जिनका दार्जिलिंग हिल्स से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वे बस आते हैं, पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, जीतते हैं और फिर कहीं दिखते नहीं’। इस मामले पर अपना नजरिया जाहिर करते हुए बिष्णु प्रसाद शर्मा ने कहा, ‘इस बार हम एक अच्छा उम्मीदवार चाहते हैं, दार्जिलिंग हिल्स का बेटा हो’। स्थानीय मूल के व्यक्ति को टिकट देने की मांग। उन्होंने पार्टी से स्थानीय मूल के उम्मीदवार को टिकट देने का आग्रह किया और चेतावनी दी, ‘यदि मांग पूरी नहीं हुई, तो मैं अपनी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ूंगा. मुझे दार्जिलिंग हिल्स की जनता की आकांक्षाओं का सम्मान करना होगा’. शर्मा की टिप्पणी के जवाब में, पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी स्थिति पर नजर रख रही है और उचित समय पर निर्णय लेगी।
उन्होंने कहा, ‘पार्टी बिष्णु प्रसाद शर्मा से बात करेगी। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। नामांकन का मुद्दा पार्टी नेतृत्व तय करेगा और हम सभी को इसका पालन करना होगा’। दार्जिलिंग को ‘पहाड़ियों की रानी’ कहा जाता है। यहां के स्थानीय नेता इसे अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। उनका कहना है कि संविधान की छठी अनुसूची को लागू करते हुए, आदिवासी-बाहुल्य क्षेत्र को स्वायत्तता प्रदान की जाए।
दार्जिलिंग में चलता रहा है आंदोलनों का दौर
भाजपा के साथ-साथ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट सहित पारंपरिक पहाड़ी दलों ने 2022 में अर्ध-स्वायत्त परिषद चुनावों का बहिष्कार किया था। जबकि इस क्षेत्र को पश्चिम बंगाल से अलग करने की मांग एक सदी से भी अधिक पुरानी है, गोरखालैंड राज्य आंदोलन ने 1986 में जीएनएलएफ नेता सुभाष घीसिंग के नेतृत्व में गति पकड़ी। घीसिंग के नेतृत्व में हुए आंदोलन के परिणामस्वरूप 1988 में दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल का गठन हुआ। दार्जिलिंग हिल्स को अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग को लेकर स्थानीय दलों और नेताओं ने 2017 में 104 दिनों की लंबी हड़ताल की थी। विधायक शर्मा के बगावत ही प्रश्न उठा रहे है। उनके करीब के लोगों का कहना है कि भूटानी शरणार्थी आंदोलन में उनकी क्या भूमिका थी? 2007 के गोरखालैंड आंदोलन के समय वह कहा थे? आज वे भूमिपुत्र की बात कर रहे है देवीडांगा के वोटर होकर कैसे वह कर्सियांग से भाजपा के उम्मीदवार बने। पत्रकारिता करते समय सिक्किम नेपाल और भूटान तक कई महत्वपूर्ण चर्चाएं है जो बात निकली तो दूर तक जाएगी। रिपोर्ट अशोक झा