कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय देंगे इस्तीफा, बढ़ाएंगे टीएमसी का टेंशन

कोलकाता: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने ऐलान किया है कि वो इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने राजनीति में उतरने के संकेत दिए हैं। हालाँकि उन्होंने कहा है कि 4 मार्च को मेरे काम करने का आखिरी दिन होगा, तब तक वो पेंडिंग केस निपटाएँगे, इसके बाद आधिकारिक तौर पर वो राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज देंगे। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहाकि वह मंगलवार को इस्तीफा दे देंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहाकि वह अब राजनीति में जाएंगे। राजनीति में जाएंगे
जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहाकि वह वामदलों से लेकर भाजपा या कांग्रेस, किसी भी पार्टी को ज्वॉइन कर सकते हैं। एबीपी आनंदा को बंगाली में दिए एक इंटरव्यू में वह आने वाले लोकसभा चुनाव में भी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि जस्टिस गंगोपाध्याय ने पार्टी विशेष को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन प्रदेश के एक वरिष्ठ भाजपा नेता का कहना है कि वह अगले हफ्ते उनकी पार्टी ज्वॉइन कर सकते हैं। 62 वर्षीय गंगोपाध्याय ने साल 2018 में हाई कोर्ट में बतौर एडिशनल जज शुरुआत की थी। जुलाई 2022 में उन्हें स्थायी जज बना दिया गया था। वह पश्चिम बंगाल में सिविल सेवा अधिकारी थे, लेकिन एक दशक पहले वकील बनने के लिए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।जानकारी के मुताबिक जस्टिस गंगोपाध्याय इसी साल अगस्त में रिटायर होने वाले थे।
उन्होंने साफ कह दिया है कि वो राजनीति में आने के बारे में सोच रहे हैं।जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने रविवार (3 मार्च, 2024) को इस्तीफे के बारे में खुलासा किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता उन्हें बार बार चैलेंज कर रहे थे कि मैं राजनीतिक मैदान में आऊँ। ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों न यही काम कर लिया जाए। अत: मैंने इस्तीफे का फैसला लिया है। मैं राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेजूँगा। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि वो राजनीति में जाएँगे, लेकिन किस पार्टी में जाएँगे, इस बारे में घोषणा बाद में करेंगे। पहले मैं अपने सभी पेंडिंग केस निपटा लूँ, इसके बाद इस्तीफा दूँगा। हाँ, अघर कोई पार्टी में मुझे खुद से जोड़ती है, तो मैं उसके टिकट पर चुनाव भी लड़ूँगा, लेकिन अभी ये नहीं बता सकता कि मैं किसी पार्टी से लड़ूँगा। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के फैसले के ऐलान पर राज्य की राजनीति गरमा गई है। गंगोपाध्याय ने राजनीतिक दलों से ऑफर मिलने पर विचार की बात कही है। जब जस्टिस गंगोपाध्याय से इस्तीफे का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के कई लोगों ने मुझे चुनौती दी है। उन्होंने मुझे यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। मैं इसके लिए सत्तारूढ़ दल (टीएमसी) को बधाई देना चाहता हूँ कि उनकी वजह से मुझे ये फैसला लेना पड़ा। जस्टिस गंगोपाध्याय के राजनीति में उतने के ऐलान पर टीएमसी ने हमला बोला है। टीएमसी ने कहा कि उसके आरोप सही हैं कि गंगोपाध्याय राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे थे। वहीं, कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनके इस्तीफे का स्वागत करते हुए उन्हें योद्धा कहा उन्हें कॉन्ग्रेस पार्टी से जोड़ने का ऑफर भी दिया है। वो पहले बयान दे चुके हैं कि गंगोपाध्याय में पश्चिम बंगाल को चलाने का माद्दा है और उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। बता दें कि जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय 2018 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस बने थे और वो अगस्त 2024 में रिटायर होने वाले थे। अपने रिटायरमेंट से 5 महीने पहले ही उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वो अब हाई कोर्ट को छोड़ रहे हैं और अब वो चुनाव के मैदान में उतरेंगे।
टीएमसी पर तल्ख टिप्पणियां
जस्टिस गंगोपाध्याय ने टीएमसी के ऊपर तल्ख टिप्पणियां कीं। उन्होंने सत्ताधारी पार्टी को शुक्रिया अदा किया, जिसके चलते उन्हें यह फैसला लेने में आसानी रही। जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहाकि सत्तारूढ़ दल के लोगों ने कई फैसलों के लिए मेरे खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणी की। उन्होंने मुझे चुनौती दी कि मैं अपनी कुर्सी छोड़कर उनका सामना करूं। वकीलों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पहने कुछ लोगों ने एजेंटों की तरह काम किया और मुझे निशाना बनाया। मैंने आखिरकार अपना मन बना लिया है। सत्ताधारी दल आज मुझे यहां लेकर आया है। मैं उन्हें बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि वह अपना इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया के सभी सवालों के जवाब देंगे।
जज के रूप में कुछ भी नया करने को नहीं
जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहाकि मुझे महसूस होता है कि एक जज के रूप में मेरे लिए अब कुछ भी नया करने को नहीं रह गया है। उन्होंने कहाकि जिस तरह का काम कोर्ट में मैं करता आया हूं, उसका समय खत्म हो चुका है। अब मुझे एक बड़ी दुनिया में प्रवेश करता है। मुझे लोगों के लिए काम करना है। उन्होंने कहाकि केवल वे लोग जो मुकदमा चलाना चाहते हैं, कोर्ट में आते हैं। बाहर कई दुर्भाग्यशाली लोग हैं। गौरतलब है कि जॉब स्कैम मामले के दौरान टीवी पर टिप्पणियों के लिए जस्टिस गंगोपाध्याय को सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी।
मई 2022 में, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को 2014 और 2021 के बीच पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा गैर-शिक्षण कर्मचारियों (समूह सी और डी) और शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की जांच करने का आदेश दिया। नियुक्तियों ने कथित तौर पर चयन परीक्षा में विफल होने के बाद नौकरी पाने के लिए 5-15 लाख रुपये की रिश्वत दी। समानांतर जांच शुरू करते हुए ईडी ने जुलाई 2022 में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया। ईडी ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि उसने दोनों से जुड़ी 103.10 करोड़ रुपए की नकदी, आभूषण और अचल संपत्ति का पता लगाया है। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के करीब एक दर्जन नेताओं और सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2023 में, जस्टिस ने सीबीआई को बंगाल भर के नागरिक निकायों में एक संदिग्ध भर्ती घोटाले की जांच करने का आदेश दिया। सीबीआई और ईडी दोनों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दोनों घोटाले एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, उनकी पत्नी और उनके माता-पिता सभी स्कूल भर्ती घोटाले में संदिग्ध हैं। इस साल 8 जनवरी को जज ने कोर्ट के बाहर मीडिया से कहा था कि अभिषेक बनर्जी की संपत्तियों के स्रोत की जांच की जानी चाहिए। जस्टिस ने उसी समाचार चैनल से कहा कि क्या अभिषेक बनर्जी अपनी आय और संपत्ति के विवरण के साथ हलफनामा दायर कर सकते हैं? रिपोर्ट अशोक झा

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