होली का रंग ना कर दे बदरंग, कुछ इस तरह मनाएं होली और त्वचा को रखे सुरक्षित

सिलीगुड़ी: रंगों के बिना होली अधूरी है. लेकिन रंग खेलने के बाद त्वचा और बालों की स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है। प्राकृतिक रंगों को हटाना तो फिर भी आसान है, लेकिन रासायनिक रंगों को हटाना न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि इससे त्वचा में एलर्जी, जलन और त्वचा पर रैशेज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। होली हिंदुओं के सबसे रंगीन और उत्साहपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसे ‘रंगों के त्योहार’ के रूप में भी जाना जाता है, जिसे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। इसी क्रम में इस साल पूरे देश में सोमवार यानी 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। रंगों का त्योहार लोग अक्सर साथ मिलकर मनाते हैं। एक-दूसरे को रंग लगाना हो या मिठाइयां बांटना, होली पूरी तरह से मौज-मस्ती और खुशियों का त्योहार है। होली मनाने के दौरान रंग लगाने की परंपरा काफी पुरानी है। पुराने समय में जहां प्राकृतिक रंगों के साथ यह त्योहार मनाया जाता था, तो वहीं वर्तमान में मिलने वाले रंगों में केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं। इन रंगों को रगड़-रगड़ कर चेहरे पर लगाए बिना कहां कोई मानता है. कुछ कलर्स तो इतने हार्श, केमिकल युक्त होते हैं कि नाजुक त्वचा को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं. कई बार तो त्वचा छिल जाती है. ऐसे में होली खलने के बाद यदि रंगों को सही तरीके से न हटाया जाए तो त्वचा पर रैशेज, जलन, खुजली, ड्राइनेस जैसी समस्या हो जाती है. जिनकी त्वचा अधिक संवेदनशील होती है, वे हर्बल गुलाल का ही इस्तेमाल करें।यदि आप चाहते हैं कि होली के रंग आपकी त्वचा की रंगत न उड़ा दें, तो इसका खास ध्यान रखना होगा. कुछ बातों का ध्यान रख कर आप रंगों की मस्ती में पूरी तरह से डूब सकते हैं। होली के रंगों को छुड़ाने के आसान उपाय: त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भोपालका ने बात करते हुए कहा कि हालांकि इस दौरान जिन रंगों से हम खेलते हैं वो रसायनों, पारा, सिलिका, अभ्रक और सीसे से भरे होते हैं जो हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये त्वचा की समस्याओं से लेकर स्वास्थ्य पर कई हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। आंखों की समस्या से लेकर सांस संबंधी तक की परेशानी ये खड़ी कर सकते हैं। होली के रंगों में लेड ऑक्साइड, क्रोमियम आयोडाइड, कॉपर सल्फेट, मरकरी सल्फाइट और एल्युमीनियम ब्रोमाइड जैसे हानिकारक रसायनों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ऐसे में ये कई परेशानियों का कारण बन सकते हैं। आइए जानते हैं होली के रंगों से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकता है।
त्वचा में जलन और एलर्जी: रासायनिक रंगों से त्वचा में जलन, लालिमा, खुजली और जलन हो सकती है. संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को ये समस्याएं अधिक होती हैं। ऐसे में सही रंगों का चुनाव करें। आंखों की समस्याएं: रासायनिक रंग अगर आंखों में चले जाएं तो आंखों में जलन, लालिमा, पानी आना और यहां तक ​​कि अस्थायी अंधापन भी हो सकता है.
कैंसर: होली के रंगों में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायन, जैसे सीसा और क्रोमियम, कैंसरकारी होते हैं और लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में सतर्क रहें। आंखों में जलन: रासायनिक रंगों के सीधे संपर्क से आंखों में जलन, लालिमा और यहां तक ​​कि अस्थायी अंधापन भी हो सकता है। गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से हार्मोनल परिवर्तनों के कारण आंखों में जलन की चपेट में रहती हैं जो उनकी आंखों को अधिक संवेदनशील बना सकती हैं ।श्वसन संबंधी समस्याएं: होली समारोह के दौरान रासायनिक रंगों के बारीक कण हवा में फैल सकते हैं, जिससे खांसी, छींकने, सांस लेने में कठिनाई जैसी श्वसन समस्याएं हो सकती हैं और अस्थमा जैसी स्थिति बढ़ सकती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को श्वसन संबंधी संवेदनशीलता में वृद्धि का अनुभव हो सकता है. ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान इन बातों का विषेश ध्यान रखें। पर्यावरण प्रदूषण: रासायनिक रंग न केवल मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। वे जल निकायों, मिट्टी और वनस्पति को दूषित कर सकते हैं। इसका असर हमारे शरीर पर भी दिख सकता है। रंग खेलने जाने से पहले शरीर पर अच्छी तरह से ऑलिव ऑयल या नारियल का तेल लगा लें। अगर किसी व्यक्ति को तेल लगाना अच्छा नहीं लगता है, तो इसकी जगह कोई लोशन भी लगाया जा सकता है. इसके बाद जितना भी रंग लगाना चाहें, आप लगा सकते है. त्वचा पर कोई पक्का रंग नहीं चढ़ पाएगा। इतना ही नहीं, केमिकल रंगों से कभी भी होली नहीं खेलनी चाहिए। इसके लिए रंग खेलने से पहले ही आप अपने दोस्तों को भी यह बता सकते हैं कि केमिकल वाले रंग त्वचा को हानि पहुंचाते हैं।
डा. भोपलका ने बताया कि होली का कोई रंग अगर रगड़ के लगाया गया हो तो ऐसे रंग को साबुन से साफ करने की बजाय फेसवॉश से धोएं, पर धोते समय यह ध्यान रखें कि त्वचा पर लगे रंग को हरगिज रगड़ के न हटाएं. इससे त्वचा को नुकसान हो सकता है। सनस्क्रीन लगाएं: अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव है, तो होली के दौरान लंबे समय तक धूप में रहने से आपकी त्वचा को नुकसान हो सकता है। ऐसे में किसी भी पिग्मेंटेशन और टैनिंग से बचने के लिए एक अच्छा एसपीएफ सनस्क्रीन लगाएं। इसके लिए UVA और UVB ब्लॉकिंग फॉर्मूले वाला वॉटर रेजिस्टेंस वाला सनस्क्रीन बढ़िया होगा। माइल्ड फेस पैक लगाएं: होली के तीखे रंग आपकी त्वचा पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसकी वजह से चकत्ते, रेडनेस, जलन और मुंहासे की समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर रंग लगाने के बाद अगर आपको इनमें से कोई समस्या होती है, तो आप कोई माइल्ड फेस पैक लगा सकते हैं। इससे न सिर्फ आपकी त्वचा को आराम मिलेगा बल्कि कोई और नुकसान भी नहीं होगा। शहद, दही और हल्दी का घरेलू फेस पैक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अगर चेहरे की त्वचा पर खुजली महसूस हो रही है तो आप ग्लिसरीन और रोज वाटर को मिलाकर अपने फेस पर लगाएं। थोड़ी देर बाद अपने फेस को गुनगुने पानी से धो लें, आराम मिलेगा। इंजन ऑयल, डीजल, एसिड, ग्लास पाउडर और क्षार जैसे उद्योग रसायनों का आजकल रंग बनाने में अत्यधिक उपयोग किया जाता है, जो न केवल त्वचा को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि एक्जिमा, त्वचा का लाल पड़ना, छाले, अत्यधिक पपड़ीदार होने जैसी गंभीर चोटों का कारण भी बनते हैं। त्वचा और बालों पर इनके संभावित प्रभावों को कम करने के लिए सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है। शरीर के साथ-साथ नाखूनों का भी ध्यान रखना जरूरी है। नाखूनों को रंगों के प्रभाव से बचाने के लिए नाखूनों पर नेल पॉलिश लगा लेनी चाहिए। बढ़े हुए नाखूनों को काट लें. होली पर त्वचा को रंगों से बचाने के लिए पूरे बदन को ढकने वाले वस्त्र पहनने का प्रयास करें. इससे शरीर के कम भाग रंगों के प्रभाव में आएंगे।रंग छुड़ाने में ये घरेलू उपाय भी आजमाएं: . आप होली के दिन सुबह रंग खेलने से पहले तो पूरे शरीर और बालों में सरसों तेल लगा लें. इससे आपको चिपचिपा महसूस जरूर होगा, लेकिन तेल लगने के बाद रंग अधिक नहीं चढ़ते हैं। साफ करते समय ये आसानी से छूट जाते हैं। साथ ही स्किन को भी कोई नुकसान नहीं होता है. तेल लगाने से ये स्किन पर जिद्दी दाग की तरह नहीं चिपकते हैं। आप बेसन, दूध और नींबू का पेस्ट बनाकर भी स्किन पर अप्लाई कर सकते हैं। नींबू का रस आएगा आपके काम। दरअसल, नींबू एक प्राकृतिक ब्लीचिंग एजेंट है, जो होली कलर्स को आसानी से छुड़ाने में बेहद कारगर साबित हो सकता है। नींबू का एक छोटा टुकड़ा ले लें. इसे हल्के हाथों से चेहरे पर रगड़ें। अब इसे ऐसे ही त्वचा पर 10 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर हर्बल या माइल्ब साबुन से नहाकर मॉइस्चराइजर लगाएं। आप घरेलू उबटन भी आजमा सकते हैं. इससे त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा. बेसन में दही, हल्दी डालकर स्किन पर लगाएं। हल्के हाथों से रगड़ सकते हैं. सूख जाने पर पानी से साफ कर लें। त्वचा मुलायम और साफ नजर आएगी। ध्यान रखें ये बातें नेचुरल रंगों का ही उपयोग करें। होली खेलने से पहले अपने बालों में अच्छी तरह से तेल लगाएं। शरीर को ठीक से ढक कर ही होली खेलें। पूरे शरीर की त्वचा पर अच्छी क्वालिटी की क्रीम या तेल लगाएं। त्वचा पर कहीं जलन महसूस हो, तो रंग तुरंत धो डालें।होली खेलने से पूर्व त्वचा को माइश्चराइज या नमी बनाने वाली क्रीम या नारियल तेल आदि लगा लें। धूप तेज होने लगी है। सनस्क्रीन लगाकर जाएं। पूरी बाजू के कपड़े पहनें, आप चाहें तो रंगों के हानिकारक प्रभाव से सुरक्षित रहने के लिए वाटरप्रूफ कपड़े भी पहन सकते हैं। नाखूनों की सुरक्षा के लिए कुछ महिलाएं नेल पेंट लगाती हैं, यह तरीका अच्छा है। त्वचा की एलर्जी या सूजन आ गया है तो ऐसी स्थिति में चिकित्सक से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। कृत्रिम रंगों में ब्रोमाइड के अलावा क्रोमियम, कापर सल्फेट, आयरन सल्फाइड, जिंक, निकिल, ब्लैक लेड, आक्साइड, क्रोमियमआयोडाइड, सिल्वर एल्युमिनियम ब्रोमाइड, मर्करीसल्फेट, टाइटेनियम, कोबाल्ट, कोबाल्ट अमोनिया, कापर सहित कई हानिकारक तत्व और धातु मिले होते हैं। इनसे त्वचा कैंसर तक होने का खतरा रहता है।
वायरल संक्रमण से बचने के लिए सूखे और हर्बल रंगों का प्रयोग बेहतर रहता है। गीले रंगों से खेलना है तो अधिक देर तक पानी में रहने से भी परहेज करें।।वायरल संक्रमण से बचने के लिए या संक्रमित हो जाएं तो उसके बेहतर प्रबंधन के लिए विटामिन सी, विटामिन 12 की गोली ले सकते हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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