कलश स्थापना के साथ पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा

सिलीगुड़ी: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आदिशक्ति का प्राकट्य हुआ था, जिन्होंने ब्रह्माजी से सृष्टि निर्माण करने के लिए कहा और उसी दिन से ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था। माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के नव स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल 4 नवरात्रि आती हैं, जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि होती है। आज इस खबर में जानेंगे कि इस माह में नवरात्रि कब से शुरू हो रही है, साथ ही घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है। कब से हैं चैत्र नवरात्रि: शास्त्र के अनुसार, चैत्र नवरात्रि हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है और समाप्ति चैत्र शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को होती है। बता दें कि साल 2024 में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल से हो रही है। पंचांग के अनुसार, 8 अप्रैल की रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और समाप्ति अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात्रि 8 बजकर 30 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को शुरू होगी। कलश स्थापना मुहूर्त: पंचांग के अनुसार, कलश स्थापना मुहूर्त 9 अप्रैल दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह के 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। उसके बाद अभिजीत मुहूर्त शुरुआत हो जाएगी। अभिजीत मुहूर्त की शुरुआत दोपहर के 12 बजकर 03 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस समय में भी कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल की चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली हैं। माना जा रहा है मंगलवार को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने के कारण मां दुर्गा का वाहन घोड़ा होगा। ऐसे में मां दुर्गा के नौ दिन नव रूपों की पूजा और व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है। इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें और उनका पसंदीदा भोग भी लगाएं। मान्यता है ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। आज चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, रेवती नक्षत्र, वैधृति योग, किंस्तुघ्न करण, उत्तर दिशाशूल और मंगलवार का दिन है। आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का प्रारंभ हुआ है। यह विक्रम संवत् 2081 है, इसके राजा मंगल और मंत्री शनि हैं। आज से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हुआ है. आज कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा होती है। पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। एक मुहूर्त सूर्योदय के समय से ही यानी 06:02 एएम से प्रारंभ है, जबकि दूसरा मुहूर्त दिन में अभिजीत मुहूर्त में हैं। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हैं और मां दुर्गा का आह्वान करते हैं। उसके बाद से शैलपुत्री की पूजा करें. जो लोग सोमवार का व्रत थे, वे सूर्योदय के बाद तुलसी के पत्ते खाकर पारण कर लें। उसके बाद नवरात्रि का व्रत प्रारंभ कर लें. इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आई हैं, इससे सत्ता परिवर्तन के संकेत हैं. इस बार की चैत्र नवरात्रि 9 दिन ​की है। राम नवमी के दिन ही पारण और हवन होगा।इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदुओं का नववर्ष भी शुरू होता है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मांड में सृष्टि का उदय हुआ था। इसलिए चैत्र नवरात्रि का हमारे धार्मिक और पौराणिक आस्थाओं में बहुत महत्व है। अगर प्रकृति की दृष्टि से देखा जाए तो चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में होती है। इन दिनों पेड़-पौधों में नवयौवन से युक्त कोमल पत्तियां और सृजन की संभावनाओं से भरे फूल खिले होते हैं। कुदरत इन दिनों हर तरफ अपनी सुंदरता की छटा बिखेर रही होती है। इस मौसम में चैत्र नवरात्रि की नौ रातें आध्यात्मिक दृष्टि से भरपूर होती हैं। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा से जुड़ी सभी शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं, इसलिए चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है।
ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय है। एक तरह से देखें तो चैत्र नवरात्रि की नौ रातें अंतःशुद्धि का महापर्व है। इन दिनों संयम, नियम से रहने पर हम अपने चारों तरफ शुद्ध विचारों और आध्यात्मिक शक्तियों का बहाव महसूस करते हैं। इन नवरात्रों में हर दिन मां दुर्गा अलग-अलग रूपों के साथ हमारे सामने प्रकट होती हैं और हमें उन रूपों के अनुरूप उनकी पूजा करनी होती है। नवरात्रि का पर्व देशभर में पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इनका पहला दिन धर्म अध्यात्म के साथ-साथ कालगणना की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू नववर्ष का पहला दिन भी होता है।
कुछ लोग इस पर बहस करते मिल जाएंगे कि शारदीय नवरात्रि ज्यादा श्रेष्ठ होते हैं या चैत्र नवरात्रि। क्योंकि दोनों ही नवरात्रियों में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है और दोनों ही नवरात्रियों में शक्ति का जागरण होता है। चैत्र नवरात्रि के पार्श्व में एक कहानी यह मौजूद है कि महिषासुर से युद्ध कौशल में पार न पाने के कारण देवताओं ने मां दुर्गा का आह्वान किया और उनसे प्रार्थना की कि वे उस आतताई को खत्म करके उन्हें राहत दिलाएं। देवताओं की प्रार्थना सुनने के बाद मां दुर्गा प्रकट हुई और उन्होंने नौ दिनों तक महिषासुर से भयंकर युद्ध किया, दसवें दिन मां दुर्गा ने इस दुष्ट राक्षस का वध कर दिया। इसलिए चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाते हैं। चैत्र नवरात्रि वास्तव में अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। लोग नौ दिनों तक मां दुर्गा के सम्मान में व्रत रखते हैं। नवें दिन रामनवमी के साथ चैत्र नवरात्रि खत्म होते हैं।
गौरतलब है कि चैत्र नवरात्रों के अंत में आने वाली रामनवमी भगवान राम का जन्मदिन है। नवरात्रों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के उपासक, उनके विभिन्न रूपों और अवतारांे की पूजा करते हैं। हर दिन के लिए उनकी एक अलग-अलग छवि निर्मित की जाती है और इस दौरान लोग मां के सम्मान में तरह तरह के अनुष्ठान करते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। नवरात्रि मनाये जाने के इस धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, मानव शरीर विज्ञान के जानकार कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान मौसम के संक्रमणकाल में होने के चलते इन दिनों लोगों को आसानी से संक्रमण हो जाता है। नवरात्रि के दौरान इसलिए उपवास रखकर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना होता है। नवरात्रि के दौरान उपवास रखने और सात्विक भोजन करने के कारण डिटॉक्स के जरिये शरीर से तमाम तामसिक तत्व बाहर चले जाते हैं, जिससे लोग स्वस्थ और सकारात्मक भावनाओं से भर जाते हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य को अतीव लाभ होते हैं। नौ दिनों के नवरात्रि से लोगों को जितना आध्यात्मिक फायदा होता है, उससे कहीं ज्यादा शारीरिक और भावनात्मक लाभ मिलते हैं, क्योंकि नौ दिनों तक उपवास रहने के कारण एक तरफ जहां शरीर स्वस्थ हो जाता है, वहीं भावनाएं भी प्रफुल्लित और तरोताजा हो जाती हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन भी होता है।

मंगलवार के दिन हनुमान जी की भी पूजा करते हैं. वीर हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं और सिंदूर का चोला अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें. बजरंगबली की कृपा से आपके जीवन के सभी संकट दूर होंगे. मंगलवार का व्रत और हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली का मंगल दोष भी दूर होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना उपवास करते हैं। इस मौके पर कई जगहों पर विभिन्न धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं। नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है पहला होता है चैत्र नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि जिसमें माता की मूर्तियां स्थापित किए जाते हैं साथ ही राम गरबा का भी आयोजन किया जाता है। वहीं भक्तों को इस बात का इंतजार है कि इस बार नवरात्रि कब से शुरू हो रही है। शारदीय नवरात्रि महालया यानी कि पितृ मोक्ष अमावस्‍या के अगले दिन से शुरू होती है। यह अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि भी होती है। इसलिए इस बार 3 अक्‍टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होंगी। इस साल शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आएंगी। बता दें कि दुर्गापूजा उत्‍सव शारदीय नवरात्रि की षष्‍ठी तिथि से शुरू होता है और महानवमी तक चलता है। इसके अगले दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है। रिपोर्ट अशोक झा

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