गांधीमैदान में सजीव हो गया राजस्थान की संस्कृति, सांसद ने भी पहुंच बढ़ाया मां बहनों का मान

सिलीगुड़ी गांधी मैदान में 16 दिवसीय गणगौर उत्सव पूर्वक मनाया गया। 16 दिन तक महिलाएं 16 सिंगार कर ईसर गणगौर की पूजा करती हुई नजर आई। आज गणगौर पूजा से पहले महिलाएं कुए हैंडपंप से जल लेकर घर मंदिर पहुंची और 16वें दिन की पूजा में लीन हो गई। गांधी मैदान में चल रहे इस उत्सव में चार चांद लगाने सांसद राजू बिष्ट, नगर निगम में विपक्ष के नेता अमित जैन, वार्ड 8 की भाजपा पार्षद शालिनी डालमिया, वार्ड 4 व पांच के पार्षद विवेक सिंह, अनीता महतो, भाजपा नेता कन्हैया पाठक आदि मौजूद रहे। सांसद ने कहा कि सिलीगुड़ी मिनी इंडिया है। यह कुछ ही दूरी पर परंपरा, इतिहास और संस्कृति के जीवंत उत्सव ‘गणगौर’ के भव्य आयोजन हुआ। इसमें मेरी माताओं, बहनों के बीच आज गांधी मैदान, सिलीगुड़ी में सम्मिलित होने का मौका मिला। भगवान गौर और गौरा मैया का आशीर्वाद मेरे क्षेत्रवासियों को मिले, इस क्षेत्र की विविधता में एकता, सामाजिक सद्भाव और सौहार्द बना रहे यही भोलेनाथ से प्रार्थना करता हूं। गीतों के साथ हाथों पर मेहंदी सजाई। इस दौरान शहर में शाम को सोलह श्रृंगार के साथ गवर माता की सवारी व शोभायात्रा निकाली गई। इससे पहले भीतरी शहर में तीजणियों की टोली गाजे बाजे के साथ जलाशयों पर जल भर कर पूजा स्थल पर लाई और गवर ईसर को अर्पित किया। इस दौरान तीजणियों ने सज धज कर सोलह श्रृंगार किए और साफा भी बांधा। गुलाब सागर, राणीसर पदमसर आदि जलाशय पर तीजणियों की टोली की रेलमपेल नजर आई। अपने सुहाग की रक्षा की कामना के लिए हर साल मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार इस बार भी मारवाड़ में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए पूजा-अर्चना की। सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार में वैभव की कामना को लेकर गणगौरी तीज पर शंकर-पार्वती के प्रतीक ईसर-गवर का विशेष पूजन किया गया। गवर पूजन स्थलों पर तीजणियों ने गोर-गोर गोमती, ईसर पूजे पार्वती गाकर गवर ईसर का पूजन किया और पारम्परिक गीत प्रस्तुत किए। इससे पूर्व तीजणियां समूह के रूप में मंगल गीत गाते हुए गाजे-बाजों के साथ पवित्र जलाशय पहुंची। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी तीजणियों में खासा उत्साह नजर आया। सोलह श्रृंगार के साथ गवर माता की सवारी व शोभायात्रा शाम को निकाली गई। इस अवसर पर निकाली जाने वाली शोभायात्रा के लिए पार्वती रूपी गवर माता को विशेष रूप से करीब पांच चार किलो स्वर्णाभूषणों से सजाया गया। शोभायात्रा राखी हाउस से रवाना हुई। शोभायात्रा में इस बार माताजी का श्रृंगार मोतियों से किया गया। शोभायात्रा में धार्मिक ऐतिहासिक झाकियों का समावेश रहा। झांकियों ने मोहा मन: माता गणगौर की पूजा चैत्र कृष्ण प्रथम यानी धुलंडी से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया यानी तीसरे नवरात्र को पूरी होती है। यह 16 दिन तक चलने वाली गणगौर पूजा यूं तो राजस्थान का मुख्य पर्व है, लेकिन सिलीगुड़ी में भी यह त्योहार मनाया जाता है। गणगौर को गौरी तृतीया भी कहते हैं। अखंड सौभाग्य के लिए मनाया जाने वाला गणगौर पर्व मनाने के लिए कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं घर-घर में गणगौर यानी शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसमें ईसर और गौर यानी शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर सोलह शृंगार कर सजाया जाता है। यह पूजा 16 दिन तक लगातार चलती है। रिपोर्ट अशोक झा

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