मृतिका का परिवार और उसकी साथी डॉक्टर खोलने लगी जुबान

अशोक झा, कोलकोता: कोलकाता के अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और बेरहमी से हत्या की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। घटना को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस बीच मृत महिला डॉक्टर की सहकर्मियों ने आरजी कर अस्पताल में खराब व्यवस्थाओं के बारे में बोलना शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस दुखद घटना के पीछे अस्पताल के अंदर के ही कुछ लोग शामिल हैं। मृतका की मां ने अपने पत्र में लिखा, हमारी बेटी बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी। क्या इसलिए कि वह एक लड़की थी, उसके डॉक्टर बनने के सपने को बेरहमी से कुचल दिया गया? इस निर्मम, अमानवीय और राक्षसी कृत्य को अंजाम दिया गया और उसके सपनों का गला घोंट दिया गया। जो लोग इस घटना में शामिल थे, उन्होंने सबूत मिटाने और मामले को दबाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने आगे बताया कि घटना की रात 11:15 बजे उनकी बेटी से आखिरी बार बात हुई थी, जब वह हंसते हुए सामान्य तरीके से बात कर रही थी। लेकिन अगले ही दिन सुबह उन्हें सूचना मिली कि उनकी बेटी अब नहीं रही। उन्होंने कहा, हमें अस्पताल प्रशासन की ओर से सुबह 10:53 बजे पहला फोन आया और कहा गया कि आपकी बेटी बीमार है, आप जल्दी आ जाएं। हम तुरंत अस्पताल के लिए निकले। रास्ते में फिर फोन आया-‘आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। आप जल्दी आ जाएं। यह सुनते ही हमारे ऊपर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। जब वे अस्पताल पहुंचे तो एक सुरक्षा गार्ड उन्हें चेस्ट मेडिसिन विभाग ले गया। वहां पहुंचने पर वे अपनी बेटी को देखने के लिए आग्रह करते रहे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। उन्होंने कहा, हमने अधिकारियों से हाथ जोड़कर विनती की कि हमें एक बार अपनी बेटी को देखने दें, लेकिन हमें मना कर दिया गया। अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई भी हमारे साथ घटना पर चर्चा करने नहीं आया। लगभग तीन घंटे की प्रतीक्षा के बाद हमें अंदर जाने की अनुमति दी गई। मृतक की मां का कहना है कि जब उन्होंने अपनी बेटी का शव देखा तो उन्हें लगा कि पूरे मामले को उनके सामने एक कहानी की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने कहा, घटना के बाद वहां जो कुछ हुआ, उसे देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा था कि किसी गंभीर घटना के साक्ष्य को बचाया गया था। जिस जगह अपराध हुआ था, वहां भी कोई विशेष सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए गए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी का शव वो कुछ देर रखना चाहते थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन के दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सके।
उन्होंने कहा कि, जब तक मेरी बेटी का शव चिता में प्रवेश नहीं किया गया, तब तक पुलिस की सक्रियता बनी रही, उसके बाद वे वहां से चले गए। उन्होंने उच्चाधिकारियों से निवेदन किया है कि इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि उनकी बेटी की आत्मा को शांति मिल सके और माता-पिता के दिल को कुछ सुकून मिल सके। इनमें से कोई भी उपाय सार्वजनिक अस्पताल में लागू नहीं किया गया था, जहां 9 अगस्त को एक युवा महिला डॉक्टर के साथ कथित तौर पर एक पुलिस स्वयंसेवक द्वारा बलात्कार और हत्या कर दी गई थी, वहां के चार ट्रेनी डॉक्टरों ने रॉयटर्स को बताया।उन्होंने कहा कि इसके बजाय हत्याकांड से पहले के दिनों में, जिसके कारण देशव्यापी आक्रोश हुआ और डॉक्टरों की हड़ताल हुई, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में केवल दो पुरुष गार्ड तैनात थे। प्रशिक्षुओं के अनुसार, उन्हें कुछ क्लोज-सर्किट कैमरों द्वारा पूरक किया गया था, जो विशाल परिसर को व्यापक रूप से कवर नहीं करते थे। मगर ट्रेनी डॉक्टर की मौत के बाद अब उसके सहकर्मी खुलकर बोल रहे हैं। आरजी कर अस्पताल में स्नातकोत्तर ट्रेनी डॉ. श्रेया शॉ ने कहा कि उन्होंने सुबह करीब तीन बजे दो अजनबियों को झकझोरते हुए देखा, जब वह एक निर्दिष्ट शौचालय में सो रही थीं, जिसमें ताले नहीं थे।उन्होंने कहा, ”शुरुआत में अंधेरे में अनजान लोगों को देखकर जागना काफी डरावना था,” उन्होंने कहा कि वह हैरान थीं कि मरीज बिना रोक-टोक के उस मंजिल में प्रवेश कर सकते थे जहां वह आराम कर रही थीं।।लेक्चर हॉल के एक दरवाजे पर जहां डॉक्टर 36 घंटे की शिफ्ट के दौरान आराम कर रही थी, जब उस पर हमला हुआ, तो कोई ताला नहीं था, दो अन्य प्रशिक्षु डॉक्टरों ने कहा, जो वहां भी सोए थे। उन्होंने कहा कि निर्धारित ब्रेक रूम में एयर कंडीशनिंग खराब हो गई थी। राज्य स्वास्थ्य विभाग के 17 जून, 2019 के ज्ञापन के अनुसार, 2019 में एक मरीज के रिश्तेदारों द्वारा एक अलग अस्पताल में दो डॉक्टरों पर हमला किए जाने के बाद, पश्चिम बंगाल ने प्रभावी सुरक्षा उपकरण और सिस्टम स्थापित करने, अस्पताल परिसर में प्रवेश और निकास को विनियमित करने और हमला करने वाले कर्मचारियों के लिए मुआवजा नीति बनाने का वादा किया था। दो पन्नों का दस्तावेज़, जिसे पहली बार रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उस दिन प्रशिक्षु डॉक्टरों से मुलाकात के बाद तैयार किया गया था, जो बातचीत के रिकॉर्ड नोट के रूप में अपने सहयोगियों पर हमले का विरोध कर रहे थे। ज्ञापन में यह नहीं बताया गया कि यह किसे संबोधित था।।दस्तावेज़ के अनुसार, बनर्जी ने अधिकारियों को एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर प्रभावी और त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसमें तैयारी की अवधि का विवरण नहीं दिया गया। आरजी कर में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉ. रिया बेरा ने अपने सहकर्मी की मौत के बारे में कहा, “अगर वे उपाय किए गए होते, तो यह घटना कभी नहीं होती।” 2019 के आश्वासनों के बारे में पूछे जाने पर पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दो साल तक सुधारों को बाधित किया था, लेकिन 2021 के बाद से बहुत कुछ किया गया है, जिसमें सीसीटीवी कवरेज को मजबूत करना और अस्पतालों में निजी सुरक्षा को शामिल करना शामिल है। उन्होंने कहा, “हम बचे हुए काम को करने और आरजी कर घटना के बाद उभरी कमियों को भरने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” बनर्जी ने 28 अगस्त को यह भी घोषणा की कि स्वास्थ्य सुविधाओं, विश्राम स्थलों और महिला सुरक्षा कर्मचारियों में बेहतर रोशनी जैसे सुधारों पर काम शुरू करने के लिए 12 मिलियन डॉलर (100.6 करोड़ रुपये) खर्च किए जाएंगे।।मुख्यमंत्री कार्यालय, साथ ही आरजी कर अस्पताल ने टिप्पणी मांगने वाले कॉल का जवाब नहीं दिया। अधिकारी 9 अगस्त की घटना की जांच जारी रखे हुए हैं, जिसके लिए अभी तक कोई आरोप दायर नहीं किया गया है।

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