17 को हिंदुत्व की बहेगी लहर, श्रीराम के गूंज से थम जाएगा शहर
कब है रामनवमी ?, किस मुहूर्त में भगवान श्रीराम ने लिया था जन्म राम जी के जन्म को कितने साल हो गए?
– कब है पूजा का मुहूर्त, नवमी से आरम्भ होता आया है भारतीय फाइनेंशियल ईयर
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में श्रीरामनवमी के अवसर पर निकाले जाने वाली भव्य शोभायात्रा का आयोजन पूर्वोत्तर भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है। जात-पात, राजनीति, छोटे-बड़े के भेद को भुलाकर समग्र हिंदुओं को एकजुटता के सूत्र में बांधने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदू धर्मावलंबियों में बढ़ चढ़ कर उत्साह देखा जा रहा है। हर ओर रामधुन और भगवा ध्वज और भगवाधारी रामभक्तों के सैलाब के अलावा कुछ नजर नहीं आएंगे। कहीं पूजा-पाठ तो कहीं आरती हो रही होगी तो कहीं हवन तो कहीं भंडारा। सुदूर दुर्गम पर्वतीय गांव हो या शहर ओर सिर्फ रामभक्ति की दिख रही होगी। पूरा इलाका राममय नजर आएगा। शोभायात्रा को लेकर सनातनियों का उत्साह अभूतपूर्व है। युवा जहां भगवा रंग में रंगने के लिए अपना ड्रेस बनाने में लगे है। वही सामाजिक और धार्मिक संगठन अनुशासित शोभायात्रा को लेकर लगातार बैठक कर रहे है। बड़े-बुजुर्गों ने भी रामभक्ति का ऐसा जोश और उमंग है मानो न भूतो न भविष्यति वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। राम भक्तों का कहना है की हमलेागों ने त्रेता युग को तो नहीं देखा था, पर भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो या आने वाला रामनवमी शोभायात्रा इसका अहसास कराता है। भव्य शोभायात्रा के सफल संचालन के लिए श्रीराम नवमी महोत्सव समिति के सचिव लक्ष्मण बंसल, प्रचार-प्रसार सचिव तथा प्रवक्ता सुशील रामपुरिया, सुरक्षा प्रमुख किशन अग्रवाल तथा सह सचिव के रूप में राकेश अग्रवाल का है। इस बारे में श्रीराम नवमी महोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी सुशील रामपुरिया ने बताया की जिस प्रकार से चैत्र मास की प्रतिपदा को शुभ मुहूर्त माना जाता है इसी प्रकार से राम नवमी को भी सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किसी भी कार्य की शुरुआत हमेशा शुभ होती है। क्या आप जानते हैं कि इस बात को बहुत वर्ष नहीं हुए है कि रामनवमी को नये खातों का श्रीगणेश होता था। व्यापारी नई बुक्स अर्थात् बही-खातों का आरम्भ करते थे। आज भी बहुत से लोग शगुन के तौर पर रामनवमी को नई खाता-बही को लिखने की शुरूआत करते हैं। जहां तक शोभायात्रा की बात है 17 अप्रैल को गाजे-बाजे के साथ मल्लागुड़ी हनुमान मंदिर से यह विधिवत पूजा पाठ के साथ प्रारंभ होगा। इसके बाद गुरुंग बस्ती मोड़,एयरव्यू मोड़ से गुरुद्वारा होते हुए पानीटंकी मोड़, पानीटंकी से विधान मार्केट, हाशमी चौक, हिलकार्ट रोड हुए फिर से एयरव्यू से वर्दमान रोड, जलपाईमोड़, एसएफ रोड होते हुए सिलीगुड़ी हिंदी हाई स्कूल में प्रसाद वितरण के साथ संपन्न होगी। हालांकि वर्तमान में यह चलन 1 अप्रैल से आरम्भ हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद प्रत्येक व्यापारी को नवमी के दिन एक रोकड़ की शुरूआत जरूर करनी चाहिए। नई बही पर श्रीं और स्वस्तिक का कुंकुम से अंकन करें। बही के पहले पृष्ठ पर तिथि के तौर पर श्री चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी, संवत् 2081 वार बुधवार, अंकित करें। इस प्रकार से रामनवमी के शुभ फलों से व्यापार में लगातार उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
कब हुआ था श्रीराम का जन्म: श्रीराम का जन्म चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को गुरुवार के दिन माना जाता है। इस दिन पुष्य नक्षत्र था और भगवान श्रीराम का जन्म प्रसिद्ध कर्क लग्न में हुआ था। उपरोक्त पौराणिक मत से श्रीराम का जन्मांग चक्र निम्न प्रकार से बनता है। भगवान श्रीराम के जन्मांग चक्र में उच्चस्थ बृहस्पति और स्वराशिस्थ चन्द्रमा पड़े हैं। चन्द्रमा पक्षबली भी है। और चन्द्र-बृहस्पति से शक्तिशाली गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। इस योग के कारण ही श्रीराम को अमर लोकप्रियता, स्नेहीजनों का वात्सल्य और प्रजा का असीम प्रेम मिला।भगवान श्री राम की देह श्याम वर्ण थी: मंगल-शनि की संयुक्त पाप दृष्टि के कारण भगवान श्री राम की देह श्याम वर्ण थी। लेकिन बृहस्पति-चन्द्रमा और लग्नेश की जलीय राशि कर्क ने उनको अनुपम सौंदर्य, तेज और रूप लावण्य से भरपूर काया प्रदान की। आधुनिक संदर्भ में बात करें तो दक्षिण भारतीय ज्योतिषी श्री एन. नरसिंह राव के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 11 फरवरी 4433 ईसा पूर्व हुआ था। इनका जन्म अयोध्या में प्रातः 10 बजकर 50 मिनट पर माना गया है। वैसे ज्यादातर मान्यताओं में श्रीराम का जन्म अभिजीत में माना जाता है।
भगवान श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 4439 ईसा पूर्व हुआ
उपरोक्त जन्मपत्रिका के अनुसार श्रीराम को मांगलिक दिखाया गया है। जो कि उनके कष्टपूर्ण वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। देवी सीता से उनका एक वर्ष का अलगाव भी इसी सप्तमस्थ मंगल के कारण ही हुआ होगा। प्रो. श्रीनिवास राघवन के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 4439 ईसा पूर्व हुआ। दोनों मतों में करीब पांच वर्ष का अंतर दिखाई देता है। काल की पेचिदगियों के परिप्रेक्ष्य में यह क्षम्य है। एक तीसरे मत से श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व को हुआ माना जाता है। श्रीराम का यह जन्म काल श्री हनुमान के जन्म से कुछ सामंजस्य रखता है। आधुनिक मतों के अनुसार श्री हनुमान का जन्म 5139 ईसा पूर्व हुआ था।कब है रामनवमी: अंग्रेजी दिनांक के आधार पर बात करें तो 16 अप्रैल 2024 दोपहर 1 बजकर 25 मिनट से नवमी तिथि का आरम्भ हो चुका होगा। लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय की तिथि को ही मान्यता प्राप्त है। इस प्रकार से देखें तो अंग्रेजी दिनांक 17 अप्रैल को रामनवमी तिथि आती है। इसलिए रामनवमी 17 अप्रैल को ही आयोज्य की जानी चाहिए।
कब है पूजा का मुहूर्त: चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम ने अयोध्या नगरी के महाराजा दशरथ के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीराम का अवतरण अभिजीत मुहूर्त में होना प्रसिद्ध है। इसलिए अभिजीत में ही भगवान की पूजा करने का विधान है। लेकिन इस रामनवमी को बुधवार होने के कारण अभिजीत मुहूर्त शास्त्र सम्मत नहीं है। वैसे रामनवमी स्वयं में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है फिर भी प्रातः 07 बजकर 45 मिनट से 09 बजकर 15 मिनट तक का समय मुहूर्त का अमृत काल है। इस समय पर भगवान श्रीराम की पूजा की जानी चाहिए। इसके अलावा प्रातः 11 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट भी पूजा के लिए शुभ समय अवधि है। रिपोर्ट अशोक झा