लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पायेगा डाकू ददुआ का भाई बालकुमार

एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुलहनामे को किया खारिज

 

बांदा। जिला कारागार मे बंद दस्यु सरगना ददुआ के भाई पूर्व सांसद बालकुमार पटेल को यहां की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुलहनामे के बाद भी कोई राहत नहीं दी। बालकुमार लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं ,लेकिन जमानत न मिलने के कारण उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पाये। बालकुमार ने हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दस्तक दी, फिर भी कोई राहत नहीं मिली। मजबूर होकर विरोधी पार्टी से 70 लाख रुपए देकर समझौता कर लिया। लेकिन शुक्रवार को एमपी एमएलए कोर्ट ने सुलहनामे को खारिज कर दिया। जिससे बालकुमार के चुनाव लड़ने के इरादों पर पूरी तरह से पानी फिर गया है।
शहर कोतवाली क्षेत्र के स्वराज कॉलोनी मोहल्ला निवासी ठेकेदार रमाकांत त्रिपाठी ने अक्टूबर 2020 को पूर्व सांसद बालकुमार पटेल और कमासिन थाना क्षेत्र के अण्डौर गांव निवासी बर्खास्त लेखपाल भानु प्रताप चतुर्वेदी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि 2017 में मौरंग खनन का पट्टा दिलाने का झांसा देकर उसने 65 लाख रुपए बालकुमार और बर्खास्त लेखपाल को दिया था। लेकिन पट्टा आवंटित नहीं हुआ। जब रुपया वापस मांगा तो बालकुमार ने रुपया भूल जाने की धमकी दी। यह मामला इस समय एमपी एमएलए कोर्ट की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरिमा सिंह की कोर्ट में विचाराधीन है।
विशेष अभियोजक अंबिका व्यास ने बताया कि इस मामले में बर्खास्त लेखपाल भानु प्रताप की कुर्की हो गई। फिर भी वह न्यायालय में हाजिर नहीं हुआ। वहीं बालकुमार पटेल जमानत के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गए, फिर भी उन्हें राहत नहीं मिली। मजबूर होकर उन्होंने निचली अदालत में आत्मसमर्पण किया और जमानत के लिए कोर्ट मे अर्जी डाली, लेकिन कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। शुक्रवार को इस मामले में सुलहनामा का प्रार्थना पत्र दिया गया। जिसमें बताया गया कि बालकुमार पटेल ने विपक्षी पार्टी को 65 लाख रुपए के बजाय मुकदमे का खर्च जोड़ते हुए 70 लाख रुपए देकर समझौता कर लिया है। लेकिन एमपी एमएलए कोर्ट की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरिमा सिंह ने सुलहनामा को खारिज कर दिया।

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