बंगाल में टीएमसी के खिलाफ भाजपा को विकल्प मान रहे मुस्लिम मतदाता

– महिला मतदाता की चुप्पी पार्टियों को डाला मुश्किल में
अशोक झा, सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में तीसरे चरण में 7  को चार सीटों पर चुनाव है, जहां मुसलमान वोट खास मायने रखते हैं। ये सीटें हैं- मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, जंगीपुर और मुर्शिदाबाद। मालदा जिले की दोनों सीटें मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण में पहले कांग्रेस के एबीए गनी खान चौधरी का सिक्का चलता था। लेकिन, इन मु्स्लिम बहुल क्षेत्रों की राजनीति में अब काफी बदलाव आ चुका है। अन्य दोनों सीटों का भी चुनावी गणित अब बदला-बदला नजर आता है। लोकसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम वोट और मुस्लिम महिला को लेकर काफी चर्चा है। सबसे ज्यादा सेना अधिकारी सरिया अब्बासी, फातिमा वसीम के सेना में महिला शक्ति को लेकर चर्चा हो रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान महिलाएं अबला नहीं हम सबका है जैसा आवाज बुलंद हो रहा है। संदेशखाली में महिला सशक्तिकरण का शोर है तो वही मुस्लिम महिलाओं में शौर को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। भाजपा की टीम महिलाओं में महिला विरोधी तेरी खैर नहीं मोदी से कोई बैर नहीं का नारा बुलंद किए हुए है। अगर आपको लगता है कि गणतंत्र दिवस परेड में सभी महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी का मार्च करना सिर्फ एक दिखावा था, तो आपको भारतीय सेना में दो महिलाओं के बारे में जानना होगा ताकि यह महसूस किया जा सके कि महिलाएं न केवल सेना में शामिल हो रही हैं बल्कि भारत के दुर्गम इलाकों और शत्रु सीमाओं पर तैनात होकर सबसे कठिन कार्य प्राप्त करें। कैप्टन सारिया अब्बासी और कैप्टन फातिमा वसीम दो महिला सैन्य अधिकारी हैं जिनके नाम सोशल मीडिया पर सामने आए। अब्बासी को चीन के साथ विवादास्पद कामकाजी सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक पोस्ट पर और फातिमा वसीम को पाकिस्तान के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन में एक पोस्ट पर तैनात किया गया है। मीडिया टीम के तवांग सीमा के दौरे के बाद कैप्टन सरिया अब्बासी की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई, जहां भारत ने अपनी नवीनतम अधिग्रहण एंटी-एयरक्राफ्ट गन 170 तैनात की थी। इससे महिलों की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मालदा उत्तर: यहां से बीजेपी के मौजूदा सांसद खगेन मुर्मू को टक्कर देने के लिए तृणमूल ने पूर्व आईपीएस प्रसून बनर्जी को उतारा है, तो कांग्रेस ने मुस्ताक अहमद पर भरोसा दिखाया है।इस लोकसभा सीट में 7 विधानसभा सीटें हैं और 2021 में इनमें से 4 टीएमसी और 3 बीजेपी जीती थी। इस हिसाब से बीजेपी के लिए यह सीट बचानी इस बार कड़ी चुनौती है। लेकिन, टीएमसी को इस सीट पर गनी खान चौधरी के परिवार की उससे मायूसी भारी पड़ सकती है। उनके परिवार की पूर्व सांसद मौसम नूर यहां से टिकट की दावेदार थीं। लेकिन, ममता बनर्जी ने एक बनर्जी पर ज्यादा यकीन दिखा दिया है। नूर कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में आई हैं। 2019 में चौधरी के खानदान के दो उम्मीदवार टीएमसी से नूर और कांग्रेस से इशा खान चौधरी चुनाव मैदान में थे और बीजेपी को 84,000 वोटों से जीत मिल गई थी। मालदा दक्षिण: मालदा उत्तर की तरह ही मालदा दक्षिण में भी त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है। यहां कांग्रेस से मौजूदा सांसद अबू हसेम खान चौधरी (गनी खान के भाई) के बेटे इशा खान चौधरी मैदान में हैं। तो बीजेपी से श्रीरूपा मित्रा चौधरी और टीएमसी से शाहनवाज अली रैहान मैदान में हैं। 2019 में बीजेपी की मौजूदा उम्मीदवार से कांग्रेस के सीटिंग सांसद ने यह सीट सिर्फ 8,222 वोटों से जीती थी। इस चुनाव में टीएमसी के मोहम्मद मोआजेम हुसैन तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें भी साढ़े 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। भाजपा उम्मीदवार इंग्लिशबाजार की विधायक भी हैं। जबकि, टीएमसी उम्मीदवार एनआरआई हैं और लंदन में रहते हैं। यहां भाजपा प्रत्याशी का प्रचार अभियान लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। वह राजनीतिक हमलों के बजाए मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया को सामने रख रही हैं, साथ ही साथ स्थानीय संस्कृति पर भी पूरा जोर दे रही हैं, जिसमें बाउल संगीत भी शामिल है। इनके पक्ष में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी रोड शो भी किया है और लोगों से पिछली बार वाली गलती न दोहराने की अपील भी की है।मुर्शिदाबाद: मुर्शिदाबाद सीट पर भी लड़ाई वैसे त्रिकोणीय ही नजर आ रही है। यहां सीपीएम से इसके दिग्गज नेता मोहम्मद सलीम, टीएमसी के सीटिंग सांसद अबू ताहर खान और बीजेपी से गौरी शंखर घोष मैदान में हैं।।2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ मुर्शिदाबाद सीट जीती थी और इसकी सात विधानसभा सीटों में से बाकी 6 पर तृणमूल कांग्रेस जीत गई थी। लेकिन, मोहम्मद सलीम की उम्मीदवारी से इस सीट पर टीएमसी की राह उतनी आसान नजर नहीं आ रही है।जंगीपुर: जंगीपुर से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सिर्फ दो ही बार 2004 और 2009 में जीते, लेकिन यह सीट उन्हीं के नाम से जुड़ गई। 2012 के उपचुनाव में उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया। 2019 में यहां से टीएमसी के स्थानीय कारोबारी खलीलुर्रहमान को जीत मिली थी। बीजेपी ने पिछली बार यहां से मफूजा खातून को टिकट दिया था, लेकिन वो दूसरे नंबर पर रही तो थीं, लेकिन टीएमसी की जीत का मार्जिन काफी ज्यादा था।। भाजपा ने इस बार धनंजय घोष को उतारा है और कांग्रेस ने मुर्तजा हुसैन को टिकट देकर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की है। टीएमसी ने फिर से अपने सांसद पर ही भरोसा जताया है। रिपोर्ट अशोक झाबंगाल में टीएमसी के खिलाफ भाजपा को विकल्प मान रहे मुस्लिम मतदाता
– महिला मतदाता की चुप्पी पार्टियों को डाला मुश्किल में
अशोक झा, सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में तीसरे चरण में 7 मई को चार सीटों पर चुनाव है, जहां मुसलमान वोट खास मायने रखते हैं। ये सीटें हैं- मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, जंगीपुर और मुर्शिदाबाद। मालदा जिले की दोनों सीटें मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण में पहले कांग्रेस के एबीए गनी खान चौधरी का सिक्का चलता था। लेकिन, इन मु्स्लिम बहुल क्षेत्रों की राजनीति में अब काफी बदलाव आ चुका है। अन्य दोनों सीटों का भी चुनावी गणित अब बदला-बदला नजर आता है। लोकसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम वोट और मुस्लिम महिला को लेकर काफी चर्चा है। सबसे ज्यादा सेना अधिकारी सरिया अब्बासी, फातिमा वसीम के सेना में महिला शक्ति को लेकर चर्चा हो रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान महिलाएं अबला नहीं हम सबका है जैसा आवाज बुलंद हो रहा है। संदेशखाली में महिला सशक्तिकरण का शोर है तो वही मुस्लिम महिलाओं में शौर को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। भाजपा की टीम महिलाओं में महिला विरोधी तेरी खैर नहीं मोदी से कोई बैर नहीं का नारा बुलंद किए हुए है। अगर आपको लगता है कि गणतंत्र दिवस परेड में सभी महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी का मार्च करना सिर्फ एक दिखावा था, तो आपको भारतीय सेना में दो महिलाओं के बारे में जानना होगा ताकि यह महसूस किया जा सके कि महिलाएं न केवल सेना में शामिल हो रही हैं बल्कि भारत के दुर्गम इलाकों और शत्रु सीमाओं पर तैनात होकर सबसे कठिन कार्य प्राप्त करें। कैप्टन सारिया अब्बासी और कैप्टन फातिमा वसीम दो महिला सैन्य अधिकारी हैं जिनके नाम सोशल मीडिया पर सामने आए। अब्बासी को चीन के साथ विवादास्पद कामकाजी सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक पोस्ट पर और फातिमा वसीम को पाकिस्तान के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन में एक पोस्ट पर तैनात किया गया है। मीडिया टीम के तवांग सीमा के दौरे के बाद कैप्टन सरिया अब्बासी की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई, जहां भारत ने अपनी नवीनतम अधिग्रहण एंटी-एयरक्राफ्ट गन 170 तैनात की थी। इससे महिलों की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मालदा उत्तर: यहां से बीजेपी के मौजूदा सांसद खगेन मुर्मू को टक्कर देने के लिए तृणमूल ने पूर्व आईपीएस प्रसून बनर्जी को उतारा है, तो कांग्रेस ने मुस्ताक अहमद पर भरोसा दिखाया है।इस लोकसभा सीट में 7 विधानसभा सीटें हैं और 2021 में इनमें से 4 टीएमसी और 3 बीजेपी जीती थी। इस हिसाब से बीजेपी के लिए यह सीट बचानी इस बार कड़ी चुनौती है। लेकिन, टीएमसी को इस सीट पर गनी खान चौधरी के परिवार की उससे मायूसी भारी पड़ सकती है। उनके परिवार की पूर्व सांसद मौसम नूर यहां से टिकट की दावेदार थीं। लेकिन, ममता बनर्जी ने एक बनर्जी पर ज्यादा यकीन दिखा दिया है। नूर कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में आई हैं। 2019 में चौधरी के खानदान के दो उम्मीदवार टीएमसी से नूर और कांग्रेस से इशा खान चौधरी चुनाव मैदान में थे और बीजेपी को 84,000 वोटों से जीत मिल गई थी। मालदा दक्षिण: मालदा उत्तर की तरह ही मालदा दक्षिण में भी त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है। यहां कांग्रेस से मौजूदा सांसद अबू हसेम खान चौधरी (गनी खान के भाई) के बेटे इशा खान चौधरी मैदान में हैं। तो बीजेपी से श्रीरूपा मित्रा चौधरी और टीएमसी से शाहनवाज अली रैहान मैदान में हैं। 2019 में बीजेपी की मौजूदा उम्मीदवार से कांग्रेस के सीटिंग सांसद ने यह सीट सिर्फ 8,222 वोटों से जीती थी। इस चुनाव में टीएमसी के मोहम्मद मोआजेम हुसैन तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें भी साढ़े 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। भाजपा उम्मीदवार इंग्लिशबाजार की विधायक भी हैं। जबकि, टीएमसी उम्मीदवार एनआरआई हैं और लंदन में रहते हैं। यहां भाजपा प्रत्याशी का प्रचार अभियान लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। वह राजनीतिक हमलों के बजाए मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया को सामने रख रही हैं, साथ ही साथ स्थानीय संस्कृति पर भी पूरा जोर दे रही हैं, जिसमें बाउल संगीत भी शामिल है। इनके पक्ष में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी रोड शो भी किया है और लोगों से पिछली बार वाली गलती न दोहराने की अपील भी की है।मुर्शिदाबाद: मुर्शिदाबाद सीट पर भी लड़ाई वैसे त्रिकोणीय ही नजर आ रही है। यहां सीपीएम से इसके दिग्गज नेता मोहम्मद सलीम, टीएमसी के सीटिंग सांसद अबू ताहर खान और बीजेपी से गौरी शंखर घोष मैदान में हैं।।2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ मुर्शिदाबाद सीट जीती थी और इसकी सात विधानसभा सीटों में से बाकी 6 पर तृणमूल कांग्रेस जीत गई थी। लेकिन, मोहम्मद सलीम की उम्मीदवारी से इस सीट पर टीएमसी की राह उतनी आसान नजर नहीं आ रही है।जंगीपुर: जंगीपुर से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सिर्फ दो ही बार 2004 और 2009 में जीते, लेकिन यह सीट उन्हीं के नाम से जुड़ गई। 2012 के उपचुनाव में उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया। 2019 में यहां से टीएमसी के स्थानीय कारोबारी खलीलुर्रहमान को जीत मिली थी। बीजेपी ने पिछली बार यहां से मफूजा खातून को टिकट दिया था, लेकिन वो दूसरे नंबर पर रही तो थीं, लेकिन टीएमसी की जीत का मार्जिन काफी ज्यादा था।। भाजपा ने इस बार धनंजय घोष को उतारा है और कांग्रेस ने मुर्तजा हुसैन को टिकट देकर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की है। टीएमसी ने फिर से अपने सांसद पर ही भरोसा जताया है। रिपोर्ट अशोक झा

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