वैशाख अमावस्या आज, बन रहा यह योग पूजन,स्नान-दान के लिए शुभकारी योग
सिलीगुड़ी: वैशाख अमावस्या पर कुंडली में मौजूद कालसर्प जैसे कष्टकारी दोषों के निवारण के उपाय किये जायेंगे। इस बार वैशाख अमावस्या पर सौभाग्य, सर्वार्थसिद्धि व शोभन योग भी बनने जा रहे हैं। पंडित अभय झा के अनुसार अमावस्या पर बन रहा यह योग पूजन,स्नान-दान के लिए शुभकारी होगा। इन योगों में भगवान विष्णु का पूजन करने से अक्षय फल मिलेंगे। वैशाख अमावस्या पर पितृदोष के निवारण के लिए भी उपाय किए जाएंगे।ऐसे में यदि पितरों का विधि-विधान से तर्पण किया जाए तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन पूजा करने से कुंडली में मौजूद पितृ दोष का प्रभाव भी कम होता है। इसलिए इस दिन पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण अवश्य करना चाहिए।वैशाख अमावस्या की कथा: पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में धर्मवर्ण नाम एक ब्राह्मण रहा करता था।उस ब्राह्मण ने किसी महात्मा से सुना था कि घोर कलियुग आने पर विष्णु जी के स्मरण से अधिक पुण्य किसी अन्य कार्य से नहीं मिलेगा और श्रीहरि के सुमिरन से मनुष्य को यज्ञ के बराबर का पुण्य प्राप्त होगा। ब्राह्मण ने महात्मा की बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन त्यागकर भ्रमण पर निकल पड़े। एक बार भ्रमण करते समय धर्मवर्ण ब्राह्मण पितृलोक में पहुंच. जहां उन्होंने देखा कि उनके पितृ यानि पूर्वज बहुत ही कष्ट व तकलीफ में है। जब उन्होंने पितरों से पूछा कि उन्हें यह तकलीफ क्यों हो रही है तो उन्होंने इसका दोषी धर्मवर्ण को बताया. पितरों ने कहा कि तुम्हारे सन्यास लेने के कारण हमें इस तकलीफ से गुजरना पड़ रहा है। क्योंकि अब हमारा पिंडदान करने वाला कोई नहीं है. जब तक पिंडदान नहीं होगा हमारी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। पितरों धर्मवर्ण से कहा कि तुम गृहस्थ जीवन आरंभ करों और संतान उत्पन्न करो, जिससे हमारा पिंडदान हो और तृप्ति मिले। पितरों के कहे अनुसार धर्मवर्ण ने धरती पर आकर अपना गृहस्थ जीवन शुरू किया गया और वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पितरों का तर्पण किया। जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिली और उन्होंने प्रसन्न होकर धर्मवर्ण को आशीर्वाद दिया। रिपोर्ट अशोक झा