क्या क्या रंग दिखाएगा संदेशखाली, पीड़ित महिला अब इसे मान रही साजिश
बंगाल में संदेशखली की तीन महिलाओं में से एक, जिनके द्वारा तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ बलात्कार की शिकायत ने बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के इस ग्रामीण ब्लॉक में अशांति फैला दी थी, उन्होने अपना रुख बदल लिया। सबल यह उठता है की क्या संदेशखाली का सच को दबाने की कोशिश हो रही है। क्या राजनीतिक दबाव में यहां का सच कभी सामने नहीं आ पाएगा? देशखाली कांड को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली में केंद्रीय जांच एजेंसी को सहयोग करने के लिए राज्य सरकार अधिक पुलिस बल को भेजे। वही दूसरी ओर मीडिया को संबोधित करते हुए महिला ने बताया कि कैसे उसे और उसकी सास को “दिल्ली के महिला आयोग” के आदेश पर शिकायत की सामग्री को जाने बिना फर्जी बलात्कार की शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था। महिलाओं ने टीएमसी नेताओं के खिलाफ शिकायत वापस लेने के फैसले के कारण धमकियों और बहिष्कार का हवाला देते हुए पुलिस में एक नई शिकायत दर्ज कराई। झूठी शिकायत से जुड़ना नहीं चाहते बुधवार को महिला और उसकी सास ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने कहा, “हम किसी भी झूठी शिकायत से जुड़ना नहीं चाहते।हमारे पड़ोस में कोई भी हमसे बात नहीं कर रहा है। जब मैंने उनसे झूठी शिकायत वापस लेने के लिए कहा, तो मुझे भगा दिया गया।” महिला ने दावा किया कि एक दिन दो महिलाएं – पियाली दास और मम्पी दास- उनके घर आईं और उसकी सास को पुलिस स्टेशन ले गईं। हमसे श्वेत पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए महिला ने कहा, “जब वह पुलिस स्टेशन गई, तो गेट अंदर से बंद था। मेरी सास ने केवल इतना कहा कि उन्हें 100 दिनों की नौकरी योजना के तहत खाना पकाने के लिए अपना बकाया अभी तक नहीं मिला है। फिर उनसे एक श्वेत पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए। हमें मामलों के बारे में पता नहीं था।” महिला ने कहा कि उसे बाद में पता चला कि वह और उसकी सास उन महिलाओं की सूची में थीं, जिन्होंने स्थानीय तृणमूल नेताओं पर बलात्कार का आरोप लगाया था। उन्होंने आगे कहा, “हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह स्क्रिप्टेड, झूठे आरोप थे। हम किसी भी झूठी शिकायत से नहीं जुड़ना चाहते।” कब सुर्खियों में आया मामला? यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भाजपा ने बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधने के लिए लोकसभा चुनाव के बीच संदेशखाली मुद्दे को उठाया है। संदेशखाली इस साल की शुरुआत में तब सुर्खियों में आया जब कई महिलाओं ने तृणमूल के ताकतवर नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और उन पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। बीजेपी ने कबूला- बलात्कार के आरोप मनगढ़ंत थे: TMC रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को सत्तारूढ़ टीएमसी ने कहा कि वह बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी और अन्य के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराएगी, उन्होंने दावा किया कि एक बीजेपी नेता ने कैमरे पर “कबूल” किया है कि संदेशखाली में बलात्कार के आरोप मनगढ़ंत थे। रिपोर्ट अशोक झा