बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल समझौता को लेकर ममता बनर्जी नाराज, उनको साथ नहीं रखने से है गुस्सा

विपक्षी नेताओं से कर रही संपर्क, लिख सकती है पीएम मोदी को पत्र

बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल समझौता को लेकर ममता बनर्जी नाराज, उनको साथ नहीं रखने से है गुस्सा
विपक्षी नेताओं से कर रही संपर्क, लिख सकती है पीएम मोदी को पत्र
कोलकाता: केंद्र सरकार ने 1996 की गंगा जल बंटवारा संधि के रिन्यूअल के लिए बांग्लादेश के साथ बातचीत शुरू करने के फैसला लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी इसे लेकर नाराज हैं। जबकि बांग्लादेश के साथ भारत के समझौता को देश में खुशी का माहौल है वही बताया जा रहा है कि मामले को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के नेताओं के संपर्क में हैं। सूत्रों के हवाले से बताया कि ममता बंगाल को बातचीत से बाहर रखे जाने से नाराज हैं। वह औपचारिक विरोध दर्ज कराने के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख सकती हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो दिवसीय दौरे पर भारत आई हुई हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के बीच शनिवार (22 जून) को लंबी बातचीत के बाद कई समझौतों को अंतिम रूप दिया गया। इस दौरान भारत ने बांग्लादेश को तीस्ता नदी के संरक्षण वाले प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाया है। दूसरी तरफ चीन भी एक अरब डॉलर की इस परियोजना पर नजर बनाए हुए है।
तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर ढाका जाएगा भारतीय दल : दोनों देश के प्रधानमंत्री ने व्यापार, डिजिटल मुद्दों और कनेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहलों हस्ताक्षर किए। बांग्लादेशी पीएम के साथ बतचीत के बाद मीडिया से बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि भारत का एक तकनीकी दल जल्द ही तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर ढाका का दौरा करेगा। तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश के बीच 54 नदियों में से एक है।।प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा, ‘‘आज हमने नये क्षेत्रों में सहयोग के वास्ते भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण तैयार किया है। हरित साझेदारी, डिजिटल भागीदारी, समुद्री अर्थव्यवस्था और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर बनी सहमति से दोनों देशों के युवाओं को लाभ मिलेगा। वहीं, अपनी टिप्पणी में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने भारत को बांग्लादेश का प्रमुख पड़ोसी और एक विश्वसनीय मित्र बताया।
पीएम मोदी और शेख हसीना की इन मुद्दों पर हुई चर्चा: बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने कहा, “आज हमारी बहुत ही सार्थक बैठकें हुईं, जिसमें हमने सुरक्षा, व्यापार, संपर्क, साझा नदियों के पानी के बंटवारे, बिजली और ऊर्जा तथा क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की. हम अपने लोगों और देशों की बेहतरी के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने पर सहमत हुए हैं। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि साझा जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामला है. उन्होंने आगे कहा, “दोनों नेताओं ने तीस्ता के संरक्षण पर चर्चा की, जिसके लिए उचित तकनीकी प्रबंधन की आवश्यकता है. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि एक भारतीय तकनीकी टीम इस पर काम करने की पहले करेगी।रिपोर्ट के मुताबिक तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर चीन ने 1 अरब डॉलर खर्चे का अनुमान लगाते हुए इसका औपचारिक प्रस्ताव बांग्लादेश के सामने पेश किया था, जिस पर भारत ने किसी चीनी फर्म को काम दिए जाने के लेकर आपत्ति जताई थी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से बातचीत के बाद पीएम मोदी ने कहा, ‘हमने 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण के लिए तकनीकी स्तर पर बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया है। बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन पर तकनीकी दल जल्द ही बातचीत के लिए बांग्लादेश का दौरा करेगा।’ इस बड़ी परियोजना का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि चीन ने भी परोक्ष तौर पर इसमें रुचि दिखाई है। इस प्रोजेक्ट के तहत तीस्ता नदी के पानी के प्रबंधन और संरक्षण के लिए बड़े जलाशय व संबंधित बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की परिकल्पना की गई है। परियोजना पर यह कदम दोनों देशों के बीच तीस्ता जल बंटवारे पर समझौता होने के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव के बीच उठाया गया है। किस बात का विरोध कर रहीं ममता बनर्जी
रिपोर्ट के मुताबिक, इस समझौते पर सितंबर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान हस्ताक्षर होने थे, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्तियों के कारण इसे अंतिम समय में स्थगित कर दिया गया था। इस तरह, ममता बनर्जी लंबे समय से जल-बंटवारे समझौते का विरोध करती रही हैं। उन्होंने राज्य में कटाव, गाद और बाढ़ के लिए फरक्का बैराज को दोषी ठहराया है। गंगा नदी के पानी के बंटवारे पर बांग्लादेश और भारत के बीच फरक्का समझौता 2026 में समाप्त होने वाला है। इस संधि के तहत ऊपरी तटवर्ती भारत और निचले तटवर्ती बांग्लादेश फरक्का में नदी के पानी को साझा करने पर सहमत हुए, जो बांग्लादेश सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर भागीरथी नदी पर एक बांध है। रिपोर्ट अशोक झा

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