400 पार कोई जुमला नहाई, 120 पर एक साल से भाजपा कर रही थी काम

नई दिल्ली: चुनाव को लेकर एग्जिट पोल्स के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने एक बार फिर मोदी सरकार की भविष्यवाणी कर दी है। यह कोई जुमला नहीं है इसके लिए पिछले एक साल से भाजपा के शीर्ष नेता काम कर रहे थे। सिर्फ जीत दर्ज नहीं हो रही है, बल्कि अनुमान तो प्रचंड बहुमत का लगाया गया है।इस बार तो पीएम मोदी का 400 पार वाला लक्ष्य भी सही साबित होता दिख रहा है। अब जब एग्जिट पोल्स के आंकड़े सामने आ गए हैं, उसका विश्लेषण भी शुरू कर दिया गया है। इसी विश्लेषण का एक आधार है अमित शाह का बीजेपी के लिए रहा मिशन 120।
क्या था यह मिशन 120?: असल में 2017 में अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एक रणनीति तैयार की थी। उसी रणनीति के तहत पार्टी ने कुल 120 ऐसी सीटों को टारगेट किया जहां पर उसे हार मिली, लेकिन जीतने की उम्मीद भी दिख गई। इसी वजह से अमित शाह ने तब प्लान तैयार कि ऐसी तमाम सीटों पर केंद्र के मंत्री लगातार दौरा करेंगे, कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित किया जाएगा और सरकार की योजनाओं को जमीन पर अमलीजामा भी पहनाने की कोशिश होगी। इन 120 सीटों में दक्षिण भारत की सीटें शामिल थीं और पूर्वोत्तर को भी टारगेट किया गया था।लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने अपना आंकड़ा तो बढ़ाया, लेकिन इन 120 सीटों पर उसकी स्थिति कुछ खास नहीं सुधरी, दक्षिण में विस्तार करने का उसका सपना अधूरा रह गया था और पूर्वोत्तर में भी वो क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे आगे बढ़ती रही। लेकिन अब पांच साल बाद वही मिशन 120 वाली रणनीति जमीन पर अपना असर दिखा रही है। एग्जिट पोल्स तो जरूर इस ओर इशारा करते दिख रहे हैं।
2019 में बीजेपी ने दक्षिण-पूर्वोत्तर में कितनी सीटें जीती?
समझने वाली बात यह है कि दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर की सीटों को अगर मिला दिया जाए तो कुल 218 सीटें बैठती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने इन 218 सीटों में से 73 पर जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में एक तरफ पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय दलों का दबदबा था तो दक्षिण भारत में केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पार्टी का खाता तक नहीं खुला था। इसी वजह से चुनावी नतीजों के बाद तय किया गया कि बीजेपी ने जहां थोड़ी भी टक्कर दी थी, उन सीटों पर फिर जोर लगाया जाएगा और उन सीटों पर हारी हुई बाजी को पलटने की तैयारी रहेगी।
एग्जिट पोल के आंकड़े क्या बता रहे?अब एग्जिट पोल्स के जो आंकड़े आए हैं, वो बता रहे हैं कि बीजेपी ने दक्षिण में जोरदार दस्तक दी है। जिस पार्टी का तमिलनाडु में पहले खाता तक नहीं खुल रहा था, इस बार वो 4 सीटें तक जीत सकती है। इसी तरह जिस केरल में पिछले कई सालों से पार्टी मेहनत कर रही है, अब जाकर वो 3 से 4 सीटों पर लड़ाई की स्थिति में है और वहां जीत भी दर्ज कर सकती है। आंध्र प्रदेश में तो इस बार बीजेपी के लिए टीडीपी के साथ हुआ गठबंधन बड़ी राहत लेकर आया है। एग्जिट पोल बता रहे हैं कि इस राज्य में एनडीए क्लीन स्वीप कर सकता है, उसका आंकड़ा 25 सीटों में से 21-22 तक जा सकता है। तेलंगाना में भी इस बार 17 सीटों में से बीजेपी और सहयोगी दल 10 से 11 सीटें निकाल सकते हैं।दो राज्यों ने बदला बीजेपी के लिए खेल: अगर ओडिशा चला जाए तो वहां पर पिछली बार बीजेपी का आंकड़ा महज 7 सीटों पर सिमट गया था। लेकिन इस बार वो 21 सीटों में से 20 सीटें तक अपने नाम कर सकती है। यानी कि नवीन पटनायक के गढ़ में अप्रत्याशित सेंधमारी इस बार देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल में पिछली बार बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटें जीती थी, लेकिन फिर भी ममता आगे दिखीं। लेकिन इस बार एग्जिट पोल्स तो इस राज्य में भी परिवर्तन की जबरदस्त लहर दिखा रहे हैं। एक्सिस का आंकड़ा तो कह रहा है कि बीजेपी 26 से 31 सीटें तक जीत सकती है, वही टीएमसी का आंकड़ा महज 11 से 15 सीटों पर सिमट सकता है। पूर्वोत्तर के राज्यों पर चला जाए तो वहां भी 25 सीटों में से इस बार बीजेपी 16 से 21 सीटें मिल सकती हैं।
कहां है बीजेपी को नुकसान का अनुमान?यह आंकड़ा मायने रखता है क्योंकि बीजेपी हर राज्य में इस बार गेन करती दिख रही है जहां पिछली बार उसे हार का सामना करना पड़ा था। बड़ी बात यह है कि बीजेपी को खुद इस बात का अहसास था कि उसे इस बार बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है। जमीन पर ऐसे समीकरण बन चुके थे कि पार्टी कुछ सीटें हारने की कगार पर दिखी। तभी से एक अलग रणनीति पर फोकस किया गया जहां पर इन सीटों को छोड़ उन राज्यों में फोकस किया गया जहां से जीत निकाली जा सके। उसी रणनीति में दक्षिण भारत शामिल था, पूर्वोत्तर को रखा गया था और बंगाल-ओडिशा पर खास जोर दिया गया। अब वो रणनीति एग्जिट पोल में जरूर रंग लाती दिख रही है, जिन 120 सीटों पर 2019 के चुनाव में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था, इस बार उन सीटों पर खेल बदल सकता है।
मोदी का खास फोकस, शाह की मेहनत: बीजेपी ने शुरुआत से ही इस बार दक्षिण भारत पर अपना खास फोकस किया था। अकेले तमिलनाडु में इस साल जनवरी से 30 मई के बीच में 9 रैलियां पीएम ने वहां संबोधित की थी, इसी तरह बंगाल में तो 42 सीटों के लिए मोदी ने 23 जनसभाएं कर डालीं। यह बताने के लिए काफी है कि बीजेपी का इन राज्यों पर कितना फोकस था। उस फोकस की वजह से ही पार्टी ने अपना विस्तार किया है, खुद को फर्श से अर्श तक पहुंचाने का काम किया है। अब अगर एग्जिट ही एग्जैक्ट पोल साबित होते हैं, अमित शाह का ‘मिशन 120’ सही मायनों में बीजेपी के लिए सबसे मजबूत कड़ी साबित होने वाला है। रिपोर्ट अशोक झा

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