मेरे खिलाफ कैंपेन चलाया गया भाई’ को वोट दें, ‘दादा’ को नहीं: अधीर रंजन चौधरी
दादा का मतलब हिंदू और भाई का मतलब मुसलमान होता है
अशोक झा, कोलकोता: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश अध्यक्ष तक चुनाव हार गए हैं। टीएमसी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे यूसुफ पठान ने अधीर रंजन चौधरी को बहरामपुर सीट से चुनाव हराया है। वह हारे या साजिश के तहत उन्हें हरा दिया गया। यह उनके दिए जवाब से ही स्पष्ट होता है। चुनाव हारने के बाद वह काफी टूट चुके है। उन्होंने कहा कि बंगाल की पूरी कांग्रेस नहीं चाहती थी की ममता बनर्जी से गठनबंधन हो पर आज हारने के बाद इनपर ही अंगुली उठाया जा रहा है। उनसे जब हार के कारणों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हार तो हार ही होती है। मैंने अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश की, लेकिन मैं सफल नहीं हो सका। मैं पांच बार सीट जीत चुका हूं। मैं सुन रहा हूं कि इस बार भाजपा को अधिक वोट मिले हैं। एक इंटरव्यू में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी (टीएमसी) ने एक अजीब अभियान चलाया। उन्होंने कैंडिडेट बाहर से बुलाए। मुझे उस पर कोई आपत्ति नहीं है, यूसुफ पठान आए और अल्पसंख्यकों से कहने लगे कि वे ‘भाई’ को वोट दें, ‘दादा’ को नहीं। दादा का मतलब हिंदू और भाई का मतलब मुसलमान होता है। उन्होंने आगे कहा, “लेकिन मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। यूसुफ पठान एक अच्छे इंसान हैं। उन्होंने मेरे खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। वे एक खिलाड़ी हैं और एक खिलाड़ी की तरह लड़े। हमारी लड़ाई सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ थी। उनके पास संगठन है। सभी पंचायतों और नगर पालिकाओं पर उनका नियंत्रण है। मेरा जिला बहुत गरीब जिला है और प्रवासी श्रमिकों का केंद्र है।” अधीर रंजन ने कहा, “अगर किसी गरीब व्यक्ति को 1000-1200 रुपये मिलते हैं तो यह उनके लिए बड़ी राहत है। खासकर महिलाओं के लिए। उन्होंने प्रचार में कहा कि अगर टीएमसी उम्मीदवार हार जाता है तो इस योजना को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने डर पैदा किया।” अधीर ने कहा कि मैं ये सब बहाने के तौर पर नहीं कह रहा हूं। मैं हार को बिना शर्त स्वीकार करता हूं। गठबंधन पर क्या बोले अधीर?: मैंने अपनी पार्टी से कहा था कि मुझे किसी के साथ समझौता करने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन मैंने उनसे कहा कि जब तक मैं बंगाल में कांग्रेस की कमान संभालूंगा, तब तक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोई समझौता नहीं करेंगी। मैंने पार्टी से कहा कि किसी नए व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष को नियुक्त करें और उनसे सीधे बात करें। मुझे कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर वे मुझे पार्टी का चेहरा बनाकर टीएमसी से बात करेंगे, तो कोई समझौता नहीं होगा। बंगाल कांग्रेस के सभी बड़े नेता दिल्ली जाकर कांग्रेस की बैठक में शामिल हुए थे। एक-दो को छोड़कर लगभग सभी ने कहा कि टीएमसी के साथ गठबंधन उचित नहीं होगा। ऐसा कहने वाला मैं अकेला हीं था। अब इसका दोष मुझ पर मढ़ा जा रहा है। अधीर रंजन ने कहा कि बंगाल में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन और मेरी हार के बाद कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने मेरे से बात नहीं की है। मुझे दिल्ली जाने दीजिए, फिर चर्चा होगी। मुझे पता है कि हमारे नेता राहुल गांधी ने मेरे बारे में पूछा है।
खड़गे मालदा आए और बहरामपुर क्यों नहीं?अधीर रंजन ने कहा, “राहुल जी आना चाहते थे। मैंने उनसे अपने निर्वाचन क्षेत्र में आने का अनुरोध नहीं किया था। मैंने आखिरी समय में अनुरोध किया। मैं चाहता था कि वे 10 मई को आएं, लेकिन उस दिन उनके कुछ पहले से तय कार्यक्रम थे। वे 11 मई को आना चाहते थे। यह कहना सही नहीं है कि वे नहीं आना चाहते थे। राहुल गांधी ने जिस तरह से हमारे देश को बचाने और धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को बचाने के लिए संघर्ष किया और कड़ी मेहनत की वह एक बहुत बड़ा काम था। आज उन्हें सफलता मिली है।